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________________ १५. अनेकसिद्ध : एक समय में अनेक जीव मोक्ष में जाये, वे अनेक सिद्ध है। यहाँ जघन्य से एक समय में एक जीव तथा उत्कृष्ट से १०८ जीव मोक्ष में जाते हैं। १५-सिद्ध भेदों के दृष्टान्त गाथा जिण सिद्धा अरिहंता, अजिण-सिद्धा य पुंडरिअ-पमुहा । गणहारि तित्थ-सिद्धा, अतित्थ-सिद्धा य मरुदेवी ॥५६॥ गिहिलिंगसिद्ध भरहो, वक्कलचीरी य अन्नलिंगम्मि । साहू सलिंग सिद्धा, थी सिद्धा चंदणा पमुहा ॥५७॥ पुंसिद्धा गोयमाइ, गांगेयाइ नपुंसया सिद्धा । पत्तेय सयंबुद्धा, भणिया करकंडु-कविलाई ॥५८॥ तह बुद्ध बोहि गुरु बोहिया य, इग समये इग सिद्धा य । इग समये वि अणेगा, सिद्धा तेऽणेग सिद्धा य ॥५९॥ अन्वय मूल गाथावत् - ५६ मूल गाथावत् - ५७ गोयमाई पुंसिद्धा, गांगेयाइ नपुंसया सिद्धा, करकंडु आइ पत्तेयबुद्धा, कविलाई सयंबुद्धा भणिया ॥५८॥ तह गुरुबोहिया य बुद्धबोहि, इगसमये इग सिद्धा य, इग समये अवि अणेगा, सिद्धा ते अणेग सिद्धा य ॥५९॥ संस्कृतपदानुवाद जिनसिद्धा अर्हन्तो, अजिन सिद्धाश्च पुण्डरिक प्रमुखाः । गणधारिणस्तीर्थसिद्धा, अतीर्थसिद्धाश्च मरुदेवी ॥५६॥ गृहलिंग सिद्ध भरतो, वल्कलचीरी चान्यलिङ्गे । साधवः स्वलिङ्गसिद्धाः, स्त्रीसिद्धाः चन्दना प्रमुखाः ॥५७॥ ---------- श्री नवतत्त्व प्रकरण------- श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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