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________________ ५२ हो गया और अपने आप को, अपने आत्मस्वरूप को भूल - भालकर संसार के यश-अपयश में आकण्ठ डूब गया ! ज्ञानसार यह सब करने के पहले भले आदमी, इतना तो सोच कि तेरे पास जो शास्त्र हैं, ग्रन्थ हैं और ज्ञान की अपूर्व निधि है, उसे अच्छी तरह जान पाया है क्या ? उसका सही अर्थ - निर्णय कर सका है क्या ? आज इस जगत में केवलज्ञानी परम पुरुषों का वास नहीं है, ना ही मनः पर्यवज्ञानी अथवा अवधिज्ञान के अधिकारी महात्मा यहाँ विद्यमान हैं । तब भला, अनंतज्ञान के स्वामी परम मनीषियों द्वारा रचित और प्रतिपादित शास्त्रों को तू अल्पमति से समझने का, आत्मसात् करने का दावा करता है ? यह कैसी विडंबना है ? और फिर तेरे द्वारा लगाया गया अर्थ ही सही है; सरे-आम कहने की घृष्टता करता है ? दूसरों के अर्थ - निर्णय को बेबुनियाद करार देकर वाद-विवाद करने की नाहक चेष्टा करता है ? तू भली-भाँति समझ ले कि तेरी मति अल्प है, श्रुतज्ञानावरण का क्षयोपशम अति मन्द है । ऐसी स्थिति में तेरे पास जो शास्त्रज्ञान है, वह अनिश्चित अर्थ से युक्त है। इसके बलबूते पर तू वर्षों तक वाद-विवाद करता रहेगा, फिर भी उसका पार नहीं पा सकेगा । उसके वास्तविक अर्थ को समझने में असफल सिद्ध होगा । ज्ञान के परमानन्द का मुक्त मन से उपभोग नहीं कर सकेगा। सम्भव है कि वाद-विवाद और वितंडावाद में तू विजयी होगा और उसका आनन्द तेरे रोम-रोम को पुलकित कर देगा । लेकिन यह न भूलो कि वह आनन्द क्षणिक है, क्षणभंगुर है और वैभाविक है। के वाद-विवाद कर तत्त्व के साक्षात्कार की अपेक्षा रखना, दिन में तारे देखने का दावा करने जैसी बात है । जिस तरह कोल्हू का बैल लगातार बारह घंटे तक अविश्राम श्रम करने के बावजूद अपनी जगह से एक कदम भी, तिलमात्र भी आगे नहीं बढ़ता | अतः हे आत्मन् ! तू अपनी आँखों पर यश - प्राप्ति, कीर्ति - प्राप्ति, सम्पत्ति और संपदा पाने की पट्टी बाँधकर अन्धी दौड तो लगा रहा है, लेकिन क्षणार्ध के लिये ठहर कर, अपनी आँख की पट्टी हटाकर तो जरा देख कि तू आत्मस्वरूप की मंजिल तक पहुँचा भी है ? कर्मराजा ने अपने माया - जाल में फँसाकर तेरी आँख पर पट्टी बाँध दी है और तू है कि भ्रमित बन, उसी कर्म
SR No.022297
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptavijay
PublisherChintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth
Publication Year2009
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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