SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 506
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्वनयाश्रय ४८१ निश्चयनय प्राय: तात्त्विक अर्थ को स्वीकार करता है, जबकि व्यवहारनय आम जनता में प्रचलित अर्थ को स्वीकार करता है । निश्चय नय हमेशा सर्वनयों को अभिमत अर्थ का अनुसरण करता है, जबकि व्यवहार नय किसी एक नय के अभिप्राय का अनुसरण करता है। - अतः सर्वनयों के आश्रित ज्ञानी पुरुष को इसमें से किसी एक नय के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए, ना ही किसी भ्रम-जाल में फँस जाए। वह भूलकर भी कभी निश्चय नय की मान्यता को अपनी गाँठ में बाँध न रखे और व्यवहार की मान्यता का हठाग्रही न बने । वह प्रत्येक नय के तर्क अवश्य श्रवण करे, लेकिन किसी एक नय के तर्क को आत्मसात् न करे । मात्र ज्ञान को प्राधान्य देनेवाले ज्ञाननय की भूलभुलैया में वह अटक न पड़े और ना ही क्रिया की महत्ता स्वीकार करनेवाले क्रियानय का कट्टर समर्थक बन, ज्ञाननय का तिरस्कार करे । दोनों नयों की ओर देखने की उसकी दृष्टि मध्यस्थदृष्टि हो और हर नय की मान्यता का मूल्यांकन वह उनकी अपेक्षा से ही करे। नयों के एकान्त आग्रह से परे रहे... अलिप्त हुए महाज्ञानी, सर्वोच्च आत्मा की विशुद्ध भूमिका पर आरुढ़ हो, अपने अन्तिम लक्ष्य की ओर निरन्तर एकाग्र हो अग्रेसर होते हैं । उनके मन में किसी के प्रति पक्षपात नहीं और ना ही कोई दुराग्रह । ___ मानों साक्षात् परमानन्द की मूर्ति । उनके पावन दर्शन करते ही परम आनन्द की उत्कट अनुभूति होती है। सर्वनयों के आश्रित ऐसे सर्वोत्कृष्ट परमानन्दी आत्मा सदा जयवन्त हैं। जिन सर्वोत्कृष्ट परमानन्दी आत्माओं की हम सोत्साह जयजयकार करते हैं, उनके पदचिह्नों पर चलने के लिये कृतनिश्चयी बनना चाहिये । एकान्तवाद के लोह-बन्धनों को तोडकर अनेकान्तवाद के सार्वभौम स्वतंत्र प्रदेश में विचरण करने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए । वास्तव में पूर्णानन्दी ही परमानन्दी है । पूर्णानन्दी बनने के लिये जितने सोपान चढने की आवश्यकता है, उतने ही सोपान चढ़ने पर परमानन्दी बन जाते
SR No.022297
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptavijay
PublisherChintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth
Publication Year2009
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy