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कर्मविपाक-चिन्तन
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हो जाएँ... जिनके आक्रमण मात्र से गिरि- कन्दराएँ मिट्टी में मिल जाएँ... शत्रुओं के छक्के छूट जाएँ... धरती का कोना कोना विनाश का प्रतीक बन जाएँ... लेकिन कर्मों की भयानकता प्रकट होते ही वही राजा, महाराजा और सम्राट... पलभर में रंक, दीन, गरीब बनकर दाने-दाने के मुँहताज हो जाते हैं ।
ऐसे अनेकानेक राजा-महाराजाओं के पतन की करूण कहानियाँ इतिहास के झरोखे से झांकने में तुम्हें अवश्य दृष्टिगोचर होगी । उनके अध: पतन की कहानियों से इतिहास के पन्ने भरे पडे हैं । सम्भव है यह सब पढ़कर तुम्हारा मन सहानुभूति से द्रवित हो उठा होगा अथवा 'वे इस के काबिल थे,' सोचकर तुम्हें संतोष हुआ होगा ! लेकिन किसी का अकस्मात इस तरह का पतन कैसे सम्भव है ? दीर्घावधि से विश्व के दरबारों में जिनका नाम गुंजारित था, उनका यों यकायक पतन क्यों कर ? इसकी सच्चाई की गहराई में जाने का, सत्य - शोधन करने का कभी क्या तुमने प्रयत्न किया है ?
क्या भूल गये रूस के लोहपुरुष कुश्चेव को ? अमरिकी तानाशाह और धनाढ्य हस्तियाँ भी उससे थर्राती थीं ! उसके शाब्दिक अग्निबाणों से विश्व का हर नागरिक दग्ध था ! जिसने स्टेलीन, लेनीन और बुल्गालीन जैसे रुस के महारथियों को जन-मानस में से उखाड़ फेंका था ! इतना ही नहीं बल्कि रुस के भाग्यविधाता-निर्माता लेनीन - स्टेलीन की कब्रों को तोड़-फोड़ कर उनका नामो-निशान तक मिटा दिया ! उस महाबली क्रुश्चेव का पतन होते देर न लगी ! एक ही रात में वह और उसका नाम मिट गया ! आज रुस में रुसी उसे जानते तक नहीं !
सिर्फ क्रुश्चेव ही नहीं, अमरिकन राष्ट्राध्यक्ष केनेडी को ही लीजिए ! उसका प्रभाव और दबदबा विश्व के हर कोने में छाया हुआ था ! अमरिकन प्रजा अब्राहम लिंकन के बाद उसे ही महापुरुष मानती थी ! वह उनका एक मात्र भाग्यविधाता था ! लेकिन देखते ही देखते वह गोली का निशाना बन गया ! उसे कोई नहीं बचा सका ! ऐसे कई किस्से किंवदंतियों से विश्व का इतिहास भरा पड़ा है ! इस पतन और विनाश के पीछे एक अदृश्य फिर भी ठोस सत्य, कठोर फिर भी चिरंतन तत्त्व काम कर रहा है ! जानते हो, वह क्या है !