SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मौन १७५ की सभी क्रियाएँ ज्ञानमय होती हैं-उस अनन्य स्वभाववाले मुनि का मौन अनुत्तर होता है। विवेचन : मौन की सर्वोत्कृष्ट अवस्था बताते हुए दीपक की ज्योति का उदाहरण दिया गया है। जिस तरह दीपक की ज्योति ऊँची-नीची वक्र अथवा कम-ज्यादा होते हुए भी दीपक प्रकाशमय होता है, ठीक उसी तरह योगी पुरुषों के योग पुद्गल-भाव से निवृत्त होते हैं। उसके आँतर-बाह्य सारे व्यवहार ज्ञान से परिपूर्ण होते हैं । उनकी आहार-क्रिया, परोपदेश-क्रिया, सभी ज्ञानमय होती __ आश्रव क्रिया को भी ज्ञानदृष्टि निर्जरा-क्रिया में परिवर्तित कर देती है। वह प्रत्येक क्रिया में चैतन्य का संचार करती है। कुरगडु मुनि आहार-ग्रहण की क्रिया कर रहे था उस पर ज्ञानदृष्टि का पूरा प्रभाव था । फलतः क्रिया चैतन्यमयी हो गयी । परिणाम स्वरूप आहार ग्रहण करते हुए वे केवलज्ञानी बन गये । गुणसागर विवाह मंडप में परिणय की वेदी पर बैठे थे। विवाह की रस्म पूरी कर रहे थे, कि सहसा क्रिया में चैतन्य का संचार हो गया और वह परिणय की क्रिया करते हुए वीतराग, निर्मोही बन गये। आषाढाभूति रंगभूमि पर अभिन्य क्रिया. परोपदेश-क्रिया, में खोये हुए थे। उनकी क्रिया ज्ञानदृष्टि से प्रभावित हो गई और फलतः भरत का अभिनय करनेवाले आषाढाभूति की आत्मा केवलज्ञान की अधिकारी बन गयी। यहाँ हमें ज्ञानदृष्टि के अजीबोगरीब चमत्कारों की दुनिया में परिभ्रमण कर उक्त चमत्कारों का वैज्ञानिक मूल्यांकन और महत्त्व समझने का प्रयत्न करने की आवश्यकता है। ज्ञानदृष्टि के यथार्थ स्वरूप को आत्मसात् कर ज्ञानदृष्टि प्राप्त करने की जरूरत है। ज्ञान होना अलग बात है और ज्ञानदृष्टि होना अलग ! सम्भव है ज्ञान हो और ज्ञानदृष्टि का अभाव हो ! लेकिन ज्ञानदृष्टिवाले में ज्ञान अवश्य होता है। आज हम ज्ञानप्राप्ति के लिए जरुर प्रयत्न करते हैं, लेकिन ज्ञानदृष्टि के मामले में पूर्णतया अनभिज्ञ हैं । ज्ञानी का पतन सम्भव है, लेकिन ज्ञानदृष्टिवाले का नहीं । वस्तुतः ज्ञानदृष्टि खुळी होनी चाहिए ।
SR No.022297
Book TitleGyansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptavijay
PublisherChintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth
Publication Year2009
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy