SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५६ उपदेशतरंगिणी. अंगपूजा, अग्रपूजा, अने लावपूजा एम पूजात्रण प्रकारनी . पूष्पादिक चमाववाथी अंगपूजा थायडे, नैवेद्य आदिक मूकवाश्री अग्रपूजा थाय , तथा स्तुति आदिकथी जावपूजा थाय बे. अंगपूजा जलश्री, पुष्पोथी तथा आजूषणोथी एम त्रण प्रकारोधी पायजे. जलपूजा, कर्पूरना जलथी, पुष्पोना जलश्री, केसरना जलथी तथा निर्मल सामान्य जलथी एम चार प्रकारे थाय. पुष्प पूजा कमल, चंपक, मालती आदिक अत्यंत सु. गंधि पुष्पोथी हारो गुंथीने तथा बुटां पुष्पोथी पण थायने.श्राजूषण पूजा, मुकुट, कुंमल, रत्नजडीत हार विगेरे थी थाय. एवी रीतेज धूपपूजा, वासदेपनी पूजा इत्यादिक अंगपूजामां आवी जाय जे. सोनारूपाना श्रदतो, नालीएर, मोदक, विविध प्रकारनां पकवानो विगेरे जिनप्रतिमापासे धरवां, ए अग्र पूजा ने तथा स्तुति आदिकथी लावपूजा थायचे. ते पूजा अष्टप्रकारी, सतरलेदी, एकवीस प्रकारी विगेरे अनेक प्रकारोथी थाय . एम विचारि जाग्यवान माणसे यथाशक्ति जिनपूजा करवी. कां ने के, पुष्पैर्गधैर्बहुपरिमलैरहतैषूपदीपैः “सन्नैवेद्यैः शुन्नफलगणैर्वारिसंपूर्णपात्रैः ॥ कुर्वाणस्ते जगदधिपतेरर्चनामष्टनेदां सर्वाशंसारहितमतयो विश्ववंद्या नवंति ॥१॥ अर्थ- सर्व प्रकारनी आशारहित बुद्धिवाला जे माणसो पुपोथी, सुगंधिउँथी, बढु परिमलवाला श्रदतोश्री, धूपोथी, दीपकोथी, उत्तम नैवेद्योथी, उत्तम फलोना समूहोथी अने जलथी जरेलां पात्रोथी एवी रीते आठ प्रकारोथी जिनपूजा करे , ते जगतथी पण वंदाय . एवी रीते आठ प्रकारनां साधनोनी जोगवा कदाच न मले
SR No.022144
Book TitleUpdesh Tarangini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnamandir Gani, Shravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek Samiti
Publication Year
Total Pages208
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy