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कुमारकोटि
( ७४ )
कुरुक्षेत्र
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कुमारकोटि-एक तीर्थ, जिसके नियमपूर्वक सेवनसे दस कुम्भरेता-शंयुके प्रथम पुत्र भरद्वाजकी पत्नी वीराके गर्भ से
हजार गोदानका फल प्राप्त होता है (वन०२।११७)। उत्पन्न वीर नामक अग्नि, जिन्हें सोमदेवताके साथ द्वितीय कुमारधारा-पितामह सरोवरसे निकली 'कुमारधारा' नामकी
आज्य-भाग प्राप्त होता है। इन्हें 'रथप्रभु' रथध्वान' एक धारा, जहाँ स्नानसे कृतार्थता प्राप्त होती है और 'कुम्भरेता' भी कहते हैं (धन० २२० १९.१०)। (वन० ८४ । १४९)।
कुम्भवक्त्र-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ५५ । ७५)। कुमारवर्ष-रैवतक पर्वतके पासका वर्ष (भीष्म० ११।२६)।
० ११।२६)। कुम्भश्रवा-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य० ४६ । २६)। कुमारी-(१) केकयदेशकी एक राजकुमारी, पूरुवंशीय कुम्भाण्डकोदर-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य. राजा भीमसेनकी पत्नी, प्रतिश्रवाकी माता ( आदि.
प्रतिश्रवाकी माता ( आदि०४५। ६९)। ९५ । ४३)। (२) स्कन्दके शरीरसे उत्पन्न कुमारी कम्भिका-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य०४६।१५)। ग्रह । ये कुमारियाँ गर्भस्थ बालकोंका भक्षण करनेवाली
कुम्भीनसि-एक मायावी असुर (अनु० ३९।७)। हैं (वन० २३०३१) । (३) धनंजय नागकी भार्या
कुम्भीनसी-गन्धर्वराज चित्ररथकी पत्नी, जिसने चित्ररथकी (उद्योग०११७ । १७)। (४)भारतकी एक नदी,
जीवन-रक्षाके लिये युधिष्ठिरसे प्रार्थना की थी ( आदि. जिसका जल यहाँकी प्रजा पीती है (भीष्म० ९ । ३६)।
१६९ । ३५)। (५) शाकद्वीपकी एक नदी (भीष्म०११ । ३२)।
कुरङ्गक्षेत्र-एक तीर्थ, यहाँ स्नान और त्रिरात्र उपवासका कुमुद-(१) एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ । १५;
फल ( अनु० २५ । १-१२)। उद्योग० १०३ । १३; मौसल. ४ । १५)।(२) एक
कुरु-(१) सूर्यकन्या तपतीके गर्भसे सम्राट् संवरणद्वारा वानर जो वानरराज सुग्रीवका सहायक एवं अनुगामी
उत्पन्न (आदि० ९४ । ४८)। इनके द्वारा वाहिनीके था (वन० २८९ । ४) । (३) सुप्रतीकके कुलमें
गर्भसे अश्ववान्, अभिष्यन्त, चैत्ररथ, मुनि एवं जनमेजयका उत्पन्न एक गजराज (उद्योग० ९९ । १५)।(४)
जन्म । इनके नामसे कुरुजाङ्गल देशकी प्रसिद्धि । गरुडकी प्रमुख संतानों से एक (उद्योग० १०१।१२)। (५) कुशद्वीपका एक पर्वत (भीष्म० १२ । १०)।
इनकी तपस्यासे कुरुक्षेत्रका पवित्र होना (आदि० ९४ । (६) धाताद्वारा स्कन्दको दिये गये पाँच पार्षदोंमेंसे
५०-५१)। इनकी दूसरी पत्नी शुभाङ्गीसे विदुरका एक ( शल्य० ४५ । ३९ ) । (७) स्कन्दका एक
जन्म ( आदि० ९५ । ३९)। कुरुक्षेत्रकी भूमि जोतते सैनिक ( शल्य० ४५ । ५६ )। (८) भगवान्
हुए इनका इन्द्र के साथ संवाद (शल्य. ५३ । विष्णुका एक नाम (अनु. १४९ । ७६)।
६-१५ ) । कुरुक्षेत्रमें इनके यज्ञ करते समय सरस्वती
नदी (सुरेणु' नामसे प्रकट हुई थीं । कुछ व्याख्याकारोंके कुमदमाली-ब्रह्माद्वारा स्कन्दको दिये गये चार पार्षदोंमेंसे
अनुसार 'ओघवती' नामसे इनका प्राकट्य हुआ था एक (शल्य. ४५। २५)।
(शल्य. ३८ । २६-२७)। (२) एक श्रद्धा-शमकुमुदाक्ष-एक प्रमुख नाग (आदि० ३५ । १५)।
दमसम्पन्न प्राचीन ऋषि, जो शरशय्यापर पड़े हुए कुमुदोत्तर-शाकद्वीपका एक वर्ष, जो जलद या मलयके
भीष्मजीको देखने आये थे (शान्ति० ४७।८)। निकट है (भीष्म० ११ । २५)।
कुरुक्षेत्र-सरस्वती एवं दृषद्वती नामक नदीका मध्यवर्ती कुम्भ-प्रह्लादजीके तीन पुत्रोंमेंसे एक, इसके शेष दो भाई
क्षेत्र, इसमें निवासकी महिमा (वन० ८३ । ४, २०४, विरोचन और निकुम्भ हैं ( आदि० ६५। १९)।
२०५)। कुरुक्षेत्रमें इक्षुमती नदीके तटपर तक्षक रहता कुम्भक-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५ । ७५)।
था (आदि० ३ । १३९-१४२)। कुरुने अपनी तपस्यासे कम्भकर्ण-राक्षसकन्या पुष्पोत्कटाके दो पुत्रों से एक । इस क्षेत्रको पवित्र बनाया (आदि० ९४ । ५०)।
रावणका सहोदर छोटा भाई । इसके पिता पुलस्त्यकुमार चित्राङ्गद नामक गन्धर्वके साथ युद्ध करके महाराज विश्रवा थे ( बन० २७५ । १-७)। इसका तप चित्राङ्गदकी मृत्यु यहीं हुई थी ( आदि० १०१ । करके ब्रह्मासे नींदका वरदान माँगना ( वन० २७५।। ८-९) सुन्द और उपसुन्द सम्पूर्ण दिशाओंको जीतकर २८)। इसका लक्ष्मणद्वारा वध (वन० २८७।१९)। कुरुक्षेत्रमें निवास करते थे (आदि० २०९ । २७ )। कुम्भकर्णाश्रम-एक तीर्थ, इसकी यात्रासे भूतलपर सम्मान- खाण्डवदाहके पहले तक्षक वहासे कुरुक्षेत्र चला लाभ (वन० ८४ । १५७)।
गया था (आदि० २२६ । ४)। वनयात्राके समय कुम्भयोनि-अर्जुनके जानेपर इन्द्रसभामें नृत्य करनेवाली पाण्डवोंका यहाँ आगमन (वन० ५।१)। यह एक अप्सराओंमेंसे एक (वन० ४३ । ३०)।
प्रसिद्ध तीर्थ है, जिसके दर्शनमात्रसे पाप नाश हो जाता
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