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कात्यायन
( ६३ )
काम्बोज
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कात्यायन-इन्द्रकी सभामें विराजमान होनेवाले एक ऋषि कामठक (या कामठ )-धृतराष्ट्र कुलमें उत्पन्न एक (सभा० ७ । १९)।
नाग, जो जनमेजयके सर्पसत्रमें जल मरा था ( आदि. कानीन-एक प्रकारका बन्धुदायाद पुत्र ( आदि. ११९ । ५७ । १६)।
३३) । ( विवाहसे पहले ही जिस कन्याको इस शर्तपर काम (अथवा कामाख्य ) तीर्थ-एक तीर्थ, जहाँ स्नानस दिया जाता है कि इसके गर्भसे उत्पन्न हुआ पुत्र मेरा मनोवाञ्छित फलकी प्राप्ति होती है ( वन० ८२ । ही पुत्र समझा जायगा ।' उस कन्याके गर्भसे उत्पन्न १०५)। पुत्रको 'कानीन' कहते हैं-यह नीलकण्ठकी व्याख्या कामदा-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य०४६ । २७)। है। ) सर्वसम्मत मत यह है कि नारीकी कन्यावस्थामें कामदेव-भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९ । ८३ )। ( विवाहसे पूर्व ) ही जो पुत्र पैदा होता है, वह 'कानीन' कामन्दक-एक प्राचीन ऋषि, जिन्होंने आङ्गरिष्ठको कहलाता है । यथा-व्यास, कर्ण, शिवि, अष्टक, प्रतर्दन
राजधर्मका उपदेश दिया था (शान्ति. १२३ । १५-२५)। और वसुमान आदि ।
कामा-पृथुवाकी पुत्री, जो पूरुवंशी महाराज अयुतनायीकी कान्तारक-एक दक्षिण भारतीय जनपद, जिसके राजाको
पत्नी तथा अक्रोधनकी माता थी ( आदि. १७७ । २१)। सहदेवने दक्षिण-विजयके अवसरपर पराजित किया (सभा० ३१ । १३)। ( वेणा नदीके तट पर स्थित काम्पिल्य-दक्षिणपाञ्चालका एक नगर, जो द्रुपदकी भूभागको ही कान्तारक' कहा गया है--ऐसा आधुनिक
राजधानी था (आदि. १३७ । ७३)। विवाहके पश्चात् विचारकोंका मत है।)
शिखण्डीका काम्पिल्य नगरमें आगमन (उद्योग. १८९ । कान्ति-एक भारतीय जनपद (भीष्म०९।४०)।
१३) । दशार्णराजने एक समय इसके निकट पहुँचकर कान्यकुब्ज-गङ्गातटपर बसा हुआ एक प्राचीन नगर, जो
किसी ब्राह्मणको दूत बनाकर वहाँ भेजा था ( उद्योग. राजा गाधिकी राजधानी था ( आधुनिक कन्नौज ही
१९२ । १४)। प्राचीन कालमें यहीं राजा ब्रह्मदत्त राज्य
करते थे, जिनके यहाँ पूजनी नामक चिड़िया थी प्राचीन कान्यकुब्ज है)। वह राज्य या जनपद भी
(शान्ति० १३९ । ५)। कान्यकुब्ज नामसे ही विख्यात था (आदि. १७४ । ३, वन० ११५ । २०)। यहाँ विश्वामित्रने इन्द्रके साथ
काम्बोज-(१) पश्चिमोत्तर भारतखण्डका एक जनपद सोमपान किया था ( वन० ८७ । १७)। कान्यकुब्जमें
और वहाँके निवासी, जिन्हें अर्जुनने जीता था (सभा० राजा गाधिकी कुमारी पुत्री सत्यवतीको अपनी पत्नी
२७ । २३)। युधिष्ठिरके रथमें काम्बोजदेशमै उत्पन्न बनाने के लिये ऋचीक मुनिने राजासे माँगा था ( उद्योग
(काबुली) घोड़े जोते गये थे (सभा० ५३ । ५)। ११९ । ४)।
काम्बोजदेशीय म्लेच्छगण कलियुगमें राजा होंगे---यह कान्वशिरा-एक जाति, जो पहले क्षत्रिय थी; किंतु ब्राहाणोंसे
भविष्यवाणी ( वन. १८८ । ३६)। काम्बोज योद्धा डाह रखने के कारण नीच भावको प्राप्त हो गयी (अनु.
दुर्योधनके सैनिक थे ( उद्योग० १६० । १०३)।
महाभारतकालमें इस देशका राजा सुदक्षिण था, जो ३५ । १७)।
महारथी माना गया था (उद्योग० १६६ । १-३)। कापिल-कुशद्वीपका सातवाँ वर्ष ( भीष्म० १२ । १४)।
भीष्मनिर्मित गरुडव्यूहके पुच्छ स्थानमें काम्बोज खड़े कापी-एक नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा पीती है
किये गये थे (भीष्म० ५६ । ७)। काम्बोजदेशीय (भीष्म०९।२४)।
अश्व देखनेयोग्य तथा तोतेकी पाँखके समान रङ्गवाले काम-(१) धर्मके तीन पुत्रोंमेंसे एक, इनकी पत्नीका होते हैं। ऐसे ही घोड़े नकुलके रथमें जुते हुए थे (द्रोण. नाम रति है (आदि० ६६ । ३२-३३)। (२) अनुपम २३ । ७)। काम्बोज आदि कई देशोंके अश्व पूँछ, रूपवान् स्वाहापुत्र अग्नि ( बन० २१९ । २३)।
कान और नेत्रोंको स्थिर करके वेगसे दौड़नेवाले होते हैं (३) भगवान् शिवका एक नाम (अनु०१७।४२)। (द्रोण. ३६ । ३६) । (२) काम्बोजराज सुदक्षिण, जो (४) कामस्वरूप रुक्मिणीपुत्र प्रद्युम्न (अनु. १४८। द्रौपदीस्वयंवरमें गया था (आदि. १८५। १५)। २०-२१)। (५) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० जिसके छोटे भाईका अर्जुनद्वारा वध हुआ था (कर्ण० १४९ । ४५ ) । (६) एक ऋषिका नाम ( अनु० १५६ । १११)। यह काम्बोजदेशीय घोड़ोंपर सवार १५०1४१)। .
हो युद्धके लिये चला था (भीष्म० ७१ | १३)। कामचरी-स्कन्दकी अनुचरी मातृका ( शल्य. ४६ । इसका युद्ध और अर्जुनद्वारा वध (द्रोण. ९२ । ६१२३)।
७३)। काम्बोजनरेश सुदक्षिणके वधकी चर्चा (छोण.
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