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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कनकापीड ( ५३ ) कपिला कनकापीड-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५। ६६)। कपिध्वज-अर्जुनका एक नाम ( भीष्म० २५ । २०)। कनकायु-धृतराष्ट्रका पुत्र (आदि०६७ । ९९) । इसका कपिल-(१) भगवान् श्रीकृष्ण या विष्णुके पुरातन एक नाम करकायु भी था । द्रौपदी-स्वयंवरके अवसरपर अवतार महर्षि कपिल, जिन्होंने दृष्टिपातमात्रसे सगर-पुत्रोंइसके इसी नामका उल्लेख है ( आदि० १८५ । २)। को भस्म कर दिया था ( वन० ४७ । १८-१९; (इन दोनों नामोंसे भी इसकी मृत्युका उल्लेख नहीं है । वन० १०७ । ३२-३३)। ये प्रजापति कर्दमके पुत्र हैं । सम्भव है, इसका कोई तीसरा नाम भी हो।) इनकी माताका नाम देवहूति है । इनका दूसरा नाम कनकावती-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य०४६८)। 'चक्रधनु' है ( उद्योग० १०९ । १७-१८ )। कनखल-एक तीर्थ, जहाँ स्नान करके तीन रात उपवास शान्ति० ४३ अध्यायमें भी इनकी महिमाका उल्लेख करनेवाला मनुष्य अश्वमेधयज्ञका फल पाता है (वन० हुआ है । बाणशय्यापर गिरने के समय भीष्मजीके पास ८५ । ३०; वन० ९० । २२ ) । यहाँ स्नानका फल आनेवाले महर्षियोंमें इनका भी नाम आया है (शान्ति. (अनु० २५ । १३)। ४७ । ८ ) । इनका स्यूमरश्मि ऋषिके साथ यज्ञकन्दरा-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य० ४६ । ९)। विषयक संवाद ( शान्ति० २६८ अध्याय) । प्रवृत्तिकन्दर्प-कामदेवका एक नाम (वन० ५३ । २०)। निवृत्तिमार्गके विषयमें उन्हीं ऋषिसे संवाद (शान्ति. कन्यकागुण-एक भारतीय जनपद (भीष्म०९।५२)। २६९ अध्याय )। स्यूमरश्मिसे ब्रह्म-प्राप्तिके सम्बन्धमें कन्याकुप-एक प्राचीन तीर्थ । यहाँ स्नानका फल कीर्तिकी बातचीत (शान्ति० २७० अध्याय)। इनका शिवमहिमाके प्राप्ति ( अनु० २५ । १९-२०)। विषयमें युधिष्ठिरको अपना अनुभव बताना ( अनु० कन्यातीर्थ-(१) कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक तीर्थ १८ । ४-५)। सात धरणीधर ऋषियोंमेंसे एक ये भी (वन० ८३ । ११२)। (२) पाण्ड्य देशमें दक्षिण हैं (अनु. १५० । ४१)। इनके शापसे सगर-पुत्रोंके समुद्रके तटपर स्थित कन्या या कुमारी नामक तीर्थ; दग्ध होनेकी चर्चा ( अनु० १५३ । ९)। (२) जहाँ स्नान करनेसे सहस्र गोदानका फल और पापसे भगवान् सूर्यका एक नाम (वन० ३ । २४)। (३) छुटकारा मिलता है (वन०८५ । २३; वन०८८ 1 १४; एक नागराज, जिनका कपिलतीर्थ प्रसिद्ध है। कपिलके वन० ९५ । ३)। उस तीर्थमें स्नान करनेसे सहस्र कपिला-दानका फल होता कन्याश्रम-एक तीर्थ, जिसमें तीन राततक उपवास करके है (वन०८४ । ३२) । (४) भानु ( मनु ) नामक नियमित भोजन करनेसे स्वर्गीय सुख सुलभ होता है अग्निके चतुर्थ पुत्र पूर्वोक्त महर्षि कपिलके ही अवतार या स्वरूप हैं (वन० २२१ । २१)। (५) एक श्रेष्ठ (वन०८३ । १८९)। ऋषि, जो शालिहोत्रके पिता थे। इन्होंने उपरिचरके कन्यासंवेद्यतीर्थ-एक प्राचीन तीर्थ, जिसके सेवनसे मनुष्यको प्रजापति मनुका लोक प्राप्त होता है (वन०८४ । १३६)। यज्ञकी सदस्यता ग्रहण की थी (शान्ति० ३३६ । ८)। कन्याहृद-एक तीर्थ, जिसमें निवास करनेसे देवलोककी (६) विश्वामित्रके ब्रह्मवादी पुत्रोंमेंसे एक (अनु० ४।५६)। प्राप्ति होती है (अनु० २५ । ५३)। (७) भगवान् शिवका एक नाम (अनु०१७।९८)। (८) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९ । ७० कप-दानवोंका एक दल । इसका स्वर्गपर अधिकार करना (अनु० १५७ । ४) । ब्राह्मणोंद्वारा इसका संहार वन० १४९ । १०९)। (अनु० १५७ । १७-१८)। कपिलकेदारतीर्थ-कपिलका केदाररूप तीर्थ । इसमें स्नान कपट-एक दानव । कश्यपपत्नी दनुका पुत्र (भीष्म करनेसे महान् पुण्यकी प्राप्ति होती है । उस दुर्लभतीर्थमें ६५ । २६)। जाकर तपस्याद्वारा पाप नष्ट हो जानेसे मनुप्यको अन्तर्धानकपालमोचन-कुरुक्षेत्रमें सरस्वती-तटवर्ती एक तीर्थ, जो विद्याकी प्राप्ति होती है (वन० ८३ । ७२-७४ )। सब पापोंसे छुड़ानेवाला है (वन० ८३ । १३७; शल्य. कपिलतीर्थ-नागराज कपिलका एक तीर्थ, जिसमें स्नान ३९ वाँ अध्याय)। करनेसे सहस्र कपिला-दानका फल प्राप्त होता है (वन० कपाली-ग्यारह रुद्रोंमेसे एक । ये ब्रह्माजीके पौत्र तथा ८४ । ३२)। स्थाणुके पुत्र थे (आदि० ६६ । १-३)।। कपिला-(१) दक्ष प्रजापतिकी पुत्री । कश्यपपत्नी कपिजल-एक प्रकारके पक्षी, जो मरे हुए त्रिशिराके वेद- ( आदि० ६५। १२ )। (२) कुरुक्षेत्रके अन्तर्गत पाठी मुखसे उत्पन्न हुए थे ( उद्योग० ९ । ४०)। एक प्राचीन तीर्थ । यहाँ स्नान करनेसे सहस्र गोदानका कपिजला-एक नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा पीती है फल मिलता है ( वन० ८३ । ४७-४८ )। (३) (भीष्म० ९ । २६)। एक नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा पीती है (भीष्म० For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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