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सुचित्र
( ३८४ )
सुदर्शन ( चक्र)
भाइयोंके साथ होकर अभिमन्युपर आक्रमण किया था (भीष्म० ७९ । २२-२३) । (विशेष देखिये चारु, चारुचित्र)। (२) श्रीकृष्णके द्वारा रुक्मिणीदेवीके गर्भसे उत्पन्न एक पुत्र (अनु.१४ । ३३)। सचित्र-(१) धृतराष्ट्र कलमें उत्पन्न एक नाग, जो
जनमेजयके सर्पसत्रमें दग्ध हो गया था (आदि. ५७। १८)। (२) द्रौपदी-स्वयंवरमें गया हुआ एक राजा इसके साथ सुकुमारका भी नाम आया है । अतः यह पुलिन्दराज सुकुमारका पिता सुमित्र जान पड़ता है (सम्भव है सुमित्रकी जगह सुचित्र पाठ हो गया हो। अथवा सुमित्रका ही दूसरा नाम सुचित्र हो) (आदि. १८५। १०)। (३) धृतराष्ट्रका एक पुत्र, जिसने अपने भाइयो- के साथ रहकर अभिमन्युपर आक्रमण किया था (भीष्म ७९ । २२-२३) ( विशेष देखिये चित्र )। (४) पाण्डवपक्षका एक महावीर महारथी, जो चित्रवर्माका पिता था । रणभूमिमें विचरते हुए इन दोनों वीरोंको द्रोणाचार्यने मारा था, इसकी चर्चा (कर्ण. ६ ।
२७-२८)। सुचेता-वीतहव्यवंशी गृत्समदके पुत्र, इनके पुत्रका नाम
वर्चा था (अनु. ३० । ६१)। सुजात-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंमेंसे एक, जिसने भाइयोंके साथ भीमसेनपर आक्रमण किया और उनके द्वारा युद्ध में
मारा गया (शल्य० २६ । ५-१८)। सुजाता-महर्षि उद्दालककी पुत्री, जिसका कहोड ऋषिके
साथ विवाह हुआ था (वन० १३२ । ९)। इसका पतिसे धनके लिये आग्रह करना (वन० १३२ । १४)। अपने पुत्र अष्टावक्रसे पतिकी मृत्युका वृत्तान्त बताना
(वन० १३२ । २०)। सुजानु-एक दिव्य महर्षि, जो हस्तिनापुर जाते समय मार्गमें
श्रीकृष्णसे मिले थे ( उद्योग० ८३ । ६४ के बाद दा. पाठ)। सुतनु-आहुक ( उग्रसेन) की पुत्री । इसका विवाह भगवान् श्रीकृष्णने अक्रूरके साथ कराया था ( सभा०
१४ । ३३)। सुतसोम-द्रौपदोके गर्भसे भीमसेनद्वारा उत्पन्न पुत्र ( आदि०६३ । १२३, आदि० ९५। ७५)। इसकी उत्पत्ति विश्वेदेवोंके अंशसे हुई थी (आदि० ६७ । १२७१२८)। इसका सुतसोम नाम पड़ने का कारण (आदि० २२० । ७९, ८२, द्रोण० २३ । २८-२९)। प्रथम दिनके संग्राममें विकर्णके साथ द्वन्द्वयुद्ध (भीष्म० ४५ । ५८-५९) । दुर्मुखसे श्रुतकर्माकी रक्षा करना (भीष्म ७९ । ३९)। इसके रथके घोड़ोंका वर्णन (द्रोण
२३ । २८)। विविंशतिके साथ युद्ध (द्रोण. २५ । २४-२५)। शकुनि के साथ युद्ध और पराजय (कर्ण. २५।१८-४०) अश्वत्थामाके साथ युद्ध (कर्ण० ५५ । १४-१६)।रातमें अश्वत्थामाद्वारा इसका वध (सौप्तिक.
८। ५५.५६ )। सुतीर्थ-कुरुक्षेत्रकी सीमाके अन्तर्गत स्थित एक प्राचीन तीर्थ, जहाँ देवतालोग पितरों के साथ सदा विद्यमान रहते हैं। वहाँ देवता-पितरोंके पूजनमें तत्पर हो स्नान करनेसे अश्वमेध यज्ञका फल मिलता है और यात्री पितृलोकमें जाता है (वन० ८३ । ५४.५५)। सतेजन-युधिष्ठिरका एक सम्बन्धी और सहायक राजा
(द्रोण. १५८ । ४०)। सुदक्षिण-(१) काम्बोज देश ( काबुल ) के राजा या राजकुमार, जो द्रौपदीके स्वयंवरमें पधारे थे ( आदि. १८५।१५)। ये एक अक्षौहिणी सेनाके साथ दुर्योधनकी सहायताके लिये आये थे ( उद्योग० १९ । २१)। इन्हें दुर्योधनके पक्षका एक रथी वीर माना गया था (उद्योग० १६६। १)। प्रथम दिनके संग्राममें श्रुतकर्माके साथ इनका द्वन्द्व युद्ध (भीष्म० ४५ । ६६-६८)। अभिमन्युके साथ इनका द्वन्द्वयुद्ध (भीष्म०११०।१५) भीष्म० १११। १८-२१)। अर्जुनके साथ युद्ध और उनके द्वारा इनका वध (द्रोण० ९२।६१-७१)। इनके छोटे भाईने भी अर्जुनपर धावा किया और यह उनके हाथसे मारा गया (कर्ण० ५६ । ११०-१११)। (२) पाण्डवपक्षका योद्धा, जिसे द्रोणाचार्यने आहत करके रथकी बैठकसे नीचे गिरा दिया था (द्रोण० २१ । ५६ )। सुदत्ता-भगवान् श्रीकृष्णकी एक पटरानी, द्वारकामें इन्हें रहनेके लिये केतुमान् नामक प्रासाद प्राप्त हुआ था। उसका विशेष वर्णन (सभा०३८ । २९ के बाद दा० पाठ, पृष्ठ ८१५)। सुदर्शन (चक्र)-(१) भगवान् नारायण एवं
श्रीकृष्णके चक्रका नाम, इसके तेजस्वी एवं प्रभावशाली दिव्य रूपका वर्णन (आदि. १९।२०-२९)। अग्निदेवने भगवान् श्रीकृष्णको यह चक्र प्रदान किया और इसके प्रभावका स्वयं वर्गन किया (आदि०२२४ । २३-२७)। श्रीकृष्णने इस अस्त्रसे शिशुपालका मस्तक काटा था (सभा० ४५ । २१-२५)। इसके द्वारा सौभ विमानका विध्वंस और शाल्वका संहार (वन० २२ । २९-३७)। श्रीकृष्णका अर्जुनको अपने दिये हुए चक्रसे शत्रुका मस्तक काटने के लिये प्रेरित करना (कर्ण०८९ । ४५-४६)। (२) देवराज इन्द्र के रथका नाम ( या विशेषण) (विराट० ५६ । ३)। (३) देवताओंके लिये आदरणीय
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