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सुकर्मा
( ३८३ )
सुचार
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जिसके गर्भसे मङ्कणक मुनिका जन्म हुआ था (शल्य० (२) अलकापुरीकी एक अप्सरा, जिसने अष्टावक्रके ३८ । ५९)।
स्वागत-समारोहमें कुबेर-भवन में नृत्य किया था (मनु. सुकर्मा-विधाताद्वारा स्कन्दको दिये गये दो पार्षदोंमेंसे एक, १९ । ४५)। दूसरेका नाम सुवत था (शल्य० ४५ । ४२ )।
सुक्रतु-एक प्राचीन नरेश, जिनके नामका उल्लेख संजयने सुकुट-एक भारतीय जनपद तथा वहाँके निवासी (सभा०
प्राचीन राजाओंकी गणनामें किया है (आदि०१ । २३५)। १४ । १६)।
सुक्षत्र-पाण्डवपक्षके एक योद्धा, जो कोसलनरेशके पुत्र थे । सुकुण्डल-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों से एक (आदि०
___ इनके रथके घोड़ोंका वर्णन (द्रोण० २३ । ५७)। ६७। ९८)।
सुखदा-स्कन्द की अनुचरी एक मातृका (शल्य०४६।२८)। कुमार-१) तक्षककुलमें उत्पन्न एक नागः जो सर्पसत्रमें सुगणा-स्कन्दका अनुचरी एकमातृका (शल्य०४ दग्ध हो गया था (आदि०५७।१)। (२) पलिन्दोंके सुगन्धा-(१) एक अप्सरा, जिसने अर्जुनके जन्ममहान् नगर (या राजधानी) के शासक एक राजकुमार महोत्सवमें नृत्य किया था (आदि. १२२ । ६३)। या नरेश, जो सम्भवतः राजा सुमित्रके पुत्र थे। सकमार (२) एक तीर्थ, जहाँ जाकर मानव स्वर्गलोकमें
और सुमित्र दोनोंको भीमसेनने पर्व-दिग्विजयके समय प्रतिष्ठित होता है और सब पापोंसे मुक्त हो स्वर्गलोकमें जीत लिया था (सभा० २९ । १०)। द्रौपदीस्वयंवरमें पूजित होता है ( वन० ८४ । १० ८४ । ३६)। भी पुलिन्दराज सुकुमार अपने पिता सुमित्र (या सुचित्र) सुगोता-एक सनातन विश्वेदेव (अनु० ९१ । ३७)। के साथ पधारे थे (आदि. १८५।१०)। पुलिन्द सग्रीव-(२) वानरोंके एक राजा, जो भगवान् सूर्यके पुत्र नगरके राजा सुकुमार और सुमित्रको सहदेवने भी थे। पर्वकालमें सभी वानरयूथपति इनकी सेवामें रहते थे दक्षिण-दिग्विजयके समय जीता था (सभा० ३१ । ४)। (वन १४७।२८-२९)। श्रीरामकी इनके साथ मित्रता ये युधिष्ठिरकी सेनाके एक उदार रथी थे ( उद्योग
और इनके भाई वालीके वधका संक्षिप्त वृत्तान्त ( सभा. १७१।१५)। (३) शाकद्वीपके जलधारगिरिक पासका
३८ । २९ के बाद दा. पाठ, पृष्ठ ७९४.)। भगवान् एक वर्ष (भीष्म ११।१५)।
श्रीरामका इनके पास जाना, इनके साथ उनकी मैत्री। सुकुमारी-(१) शाकद्वीपकी एक पवित्र जलवाली नदी इनका श्रीरामको सीताजीके वस्त्र दिखाना, श्रीरामका इन्हें (भीष्म ११।३२)। (२) राजा सृञ्जयकी पुत्री वानरसम्राट के पदपर अभिषिक्त करना तथा सुग्रीवका और नारदकी पत्नी (द्रोण. ५५। ७-१३, शान्ति. सीताजीकी खोजके लिये प्रतिज्ञा करना (वन० २८. । ३०।१४-३०)।
९-१४)। इनका अपने भाई वालीके साथ युद्ध (धन. सुकुसुमा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य ४६। २८० । ३०-३६ )। श्रीरामसे सीताकी खोजके विषयमें २४)।
इनका अपना कार्य बताना (वन. २८२ । २२)। सुकेत-(१) एक राजा, जो अपने पुत्र सुनामा एवं
कुम्भकर्णद्वारा इनका अपहरण ( वन० २८७ । ११)। सुवर्चाके साथ द्रौपदीके स्वयंवर में आये थे (आदि०
श्रीरामके साथ पुष्पक विमानद्वारा इनका अयोध्याको १८५।९)। (२) शिशुपालका एक पुत्र, जो
आना ( वन० २९१ । ६० )। राज्याभिषेकके बाद द्रोणाचार्यके हाथसे मारा गया था, इसकी चर्चा (कर्ण
श्रीरामका इन्हें कर्तव्यकी शिक्षा दे बड़े दुःखसे विदा
करना ( वन० २९२ । ६७-६८)। (२) भगवान् ६।३३)। (३) पाण्डवपक्षका एक महाबली राजा,
श्रीकृष्णके रथके एक अश्वका नाम (द्रोण१४७।४७)। जो चित्रकेतुका पुत्र था। इसका कृपाचार्य के साथ युद्ध और उनके द्वारा वध हुआ था (कर्ण० ५४ । २१-२९)। सुघोष-नकुलके शङ्खका नाम (भीष्म० २५ । १६)। सुकेशी-(१) गान्धारराजकी कुलीन कन्या, जो सुचक्र-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ५९)।
भगवान् श्रीकृष्ण की प्रेयसी थीं। भगवानने उन्हें द्वारका सुचन्द्र-(१) एक असुर, जो सिंहिकाके गर्भसे उत्पन्न • उस महलमें ठहराया था, जिसका दरवाजा जाम्बनद हुआ था ( आदि० ६५ । ३१ )। (२) एक
सुवर्णके समान उद्दीत होता था, जो देखनेमें प्रज्वलित देवगन्धर्व, जो कश्यपद्वारा प्राधाके गर्भसे उत्पन्न हुआ था अग्नि-सा जान पड़ता था, विशालतामें जिसकी उपमा (आदि० ६६ । ४६-४८)। यह अर्जुनके जन्मकालिक समुद्रसे दी जाती थी और जो मेरु नामसे विख्यात या महोत्सबमें सम्मिलित हुआ था ( आदि० १२२ । ५८ )। (सभा० ३८ ! २९ के बाद दा• पाठ, पृष्ठ ८१५)। सुचारु-(१) धृतराष्ट्रका एक पुत्र । इसने अन्य सात
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