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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीमसेन ( २३१ ) भीमसेन - और इनके द्वारा सेनापति, जलसंध, सुषेण, उग्र, वीरबाहु, १०८। ४२ ) । सात्यकिके साथ अर्जुनका समाचार भीम, भीमरथ और सुलोचन-इन आठ धृतराष्ट्रपुत्रोंका लानेके लिये जाते समय सात्यकिके कहनेसे युधिष्ठिरकी वध (भीष्म०६४ । ३२-३०)। इनका घमासान रक्षाके लिये लौट आना (द्रोण. ११२ । ७०युद्ध (भीष्म०७० अध्याय) । भीष्मके साथ इनका ७६)। कृतवर्मा के साथ इनका युद्ध (द्रोण. ११४ । घोर युद्ध (भीष्म० ७२ । २१-२५)। दुर्योधनके ६७-८.)। घबराये हुए युधिष्ठिरको सान्त्वना देना साथ इनका युद्ध (भीष्म०७३ । १७.-२३)। धृत- (द्रोण० १२६ । ३२-३४) । धृष्टद्युम्नको युधिष्ठिरकी राष्ट्र-पुत्रोंपर आक्रमण करके घोर पराक्रम प्रकट करना रक्षाका भार सौंपना (द्रोण० १२७ । ४-९)। (भीष्म० ७७ । ६--३६)। इनका दुर्योधनको पराजित युधिष्ठिरकी आज्ञासे अर्जुनके पास जानेके लिये प्रस्थान करना (भीष्म ७९ । ११-१६)। इनके द्वारा कृत- करना (द्रोण. १२७ । २९) । इनके द्वारा द्रोणावर्माकी पराजय (भीष्म०८२ । ६०-६१)। इनका चार्यकी पराजय (द्रोण. १२७ । ४२-५४)। इनके अद्भुत पुरुषार्थ ( भीष्म० ८५। ३२--४०)। द्वारा कुण्डभेदी, सुषेण, दीर्घलोचन, बृन्दारक, अभय, भीष्मके सारथिको मारकर उन्हें युद्ध-मैदानसे विलग कर रौद्रकर्मा, दुर्विमोचन, विन्द, अनुविन्द, सुवर्मा और देना (भीष्म०८८ । १२)। इनके द्वारा धृतराष्ट्रके। सुदर्शनका वध (द्रोण० १२७ । ६०-६७)। इनके का वध ( भीष्म ८८।१३-२९)। द्वारा रथसहित द्रोणाचार्यका आठ बार फेंका जाना इनके द्वारा गजसेनाका संहार (भीष्म०८९ । २६- (द्रोण० १२८ । १४-२३)। श्रीकृष्ण और अर्जुनके ३१)। इनके प्रहारसे द्रोणाचार्यका मूञ्छित होना पास पहुँचकर युधिष्ठिरको सूचना देनेके लिये सिंहनाद (भीष्म० ९४ । १८-१९)। इनके द्वारा धृतराष्ट्रके नौ करना (द्रोण० १२८ । ३२) । कर्णके साथ इनका पुत्रोंका वध (भीष्म ९६ । २३-२७)। इनके द्वारा युद्ध और उसे पराजित करना ( द्रोण० १२९ गजसेनाका संहार (भीष्म. १०२३१-३९)। इनके अध्याय )। इनके द्वारा दुःशलका वध (द्रोण. द्वारा बाहीककी पराजय (भीष्म० १०१।१८-२७)। १२९ । ३९ के बाद)। कर्णके साथ युद्ध और उसे भूरिश्रवाके साथ दून्द्वयुद्ध करना (भीष्म० ११०।। परास्त करना (द्रोण० १३१ अध्याय )। कर्णके १०-११, भीष्म० १११ । ४४-४९)। इनका दस साथ घोर युद्ध (द्रोण० अध्याय १३२ से १३३ तक)। प्रमुख महारथियोंके साथ युद्ध करना और अद्भुत पराक्रम इनके द्वारा धृतराष्ट्रपुत्र दुर्जयका वध (द्रोण० १३३ । दिखाना (भीष्म अध्याय ११३ से ११४ तक)। इनके द्वारा ४१-४२)। कर्णके साथ युद्ध और इनको परास्त गजसेनाका संहार ( भीष्म० ११६ । ३७-३९ )। करना (द्रोण. १३४ अध्याय)। इनके द्वारा धृतधृतराष्ट्रद्वारा इनकी वीरताका वर्णन (द्रोण० १० । १३. राष्ट्र-पुत्र दुर्मुखका वध (द्रोण० १३४ । २०-२९)। १४)। विविंशतिके साथ इनका युद्ध (द्रोण० १४। इनके द्वारा दुर्मर्षण, दुःसह, दुर्मद, दुर्धर ( दुराधार) २७-३०)। शल्यके साथ गदायुद्ध में उनको पराजित और जयका वध (द्रोण० १३५ । ३०-३६)। इनके करना (द्रोण. १५८-३२)। इनके रथके घोड़ों- द्वारा कर्णकी पराजय (द्रोण. १३६ । १७)। इनके का वर्णन (द्रोण० २३ । ३)। दुर्मर्षणके साथ इनका द्वारा चित्र, उपचित्र, चित्राक्ष, चारचित्र, शरासन, युद्ध (द्रोण० २५ । ५-७)। इनके द्वारा म्लेच्छ- चित्रायुध और चित्रवर्माका वध (द्रोण. १३६ । जातीय राजा अङ्गका वध (द्रोण. २६ । १७)। २०-२२) । कर्णके साथ इनका घोर युद्ध (द्रोण. १३० भगदत्त और उनके गजराजके साथ युद्ध में पराजित होकर अध्याय) । इनके द्वारा शत्रुजय, शत्रुसह, चित्र भागना (द्रोण० २६ । १९-२९) । इनके द्वारा (चित्रवाण), चित्रायुध (अग्रायुध), दृढ़ (दृढ़वर्मा), कर्णपर धावा करना और उसके पंद्रह योद्धाओंका चित्रसेन ( उग्रसेन) और विकर्णका वध (द्रोण. एक साथ वध कर देना (द्रोण.३२।६३-६४)। १३७ । २९-३०)। कर्णके साथ इनका भयंकर युद्ध चक्रव्यूहमें साथ चलने के लिये अभिमन्युको आश्वासन (द्रोण. १३८ अध्याय)। कर्णके साथ इनका भयंकर युद्ध (द्रोण० ३५। २२-२३)। अर्जुनद्वारा की गयी जय और उसे परास्त करना (द्रोण० १३९ । ९)। इनके द्रथ-वधकी प्रतिशाका अनुमोदन करना (द्रोण. ७३। द्वारा कर्णके बहत-से धनुषोंका काटा जाना (द्रोण. ५३ के बाद दाक्षिणात्य पाठ)। चित्रसेन, विविंशति और १३९ । १९-२२)। अस्त्रहीन होनेपर कर्णको पकड़नेके विकर्णके साथ इनका युद्ध (द्रोण ९६ ।३.)। लिये इनका उसके रथपर चढ़ जाना (द्रोण० १३९ । अलम्बुषके साय इनका युद्ध (द्रोण. १०६ । १६. ७४-७५)। कर्णके प्रहारसे इनका मूच्छित होना १७)। इनके द्वारा अलम्बुषकी पराजय (द्रोण. (द्रोण. १३९ । ९.)। अर्जुनसे कर्णको मारनेके लिये For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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