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निबिड
( १८३ )
निषङ्गी
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ब्रह्मदत्त परमगतिको प्राप्त हुए थे ( अनु० १३७ । निर्मोचन-एक नगर, जो मुरदैत्यकी राजधानी था (उद्योग
४८ । ८३)। निबिड-क्रौञ्चद्वीपका एक पर्वत ( भीष्म० १२ । १९)। निवातकवच दैत्योंका एक दल, इन्द्रद्वारा इनका वर्णन
(वन० ४७ । १५)। इनका अर्जुनके साथ युद्ध और निमि-(१) एक प्राचीन राजा, विदेह देशके अधिपति
संहार ( वन अध्याय १६९ से १७२ तक)। (आदि. १।२३४)। ये यमराजकी सभामें रहकर
अवान्तर पर्व सूर्यपुत्र यमकी उपासना करते हैं ( सभा० ८।९)। निवातकवचयुद्धपर्व-वनपर्वका एक इनके द्वारा ब्राह्मणको गज्य-दान (वन० २३४ । २६)।
का (अध्याय १६५ से १७५ तक)। इन्होंने वन में कभी मांस नहीं खाया था (अनु. निशठ-(१) एक वृष्णिवंशी राजकुमार, जो रैवतक पर्वत११५। ६५)। (२) अत्रिकुलमें उत्पन्न एक ऋषि,
के उत्सवमें सम्मिलित था (आदि. ३१८ । १०)। जो दत्तात्रेयके पुत्र थे ( अनु० ९१ । ५)। इन्होंने
(हरिवंशके अनुसार यह बलराम और रेवतीका पुत्र है।) अपने पुत्र श्रीमान्को पिण्डदान दिया (अनु० ९१ ।
यह सुभद्राके लिये दहेज लेकर खाण्डवप्रस्थमें आया था १४-१५)। इनके द्वारा स्मरण करनेपर इनके समक्ष
(आदि० २०।३१) । युधिष्ठिरके राजसूययज्ञमें सम्मिलित वंशप्रवर्तक अत्रिमुनिका प्रकट होना ( अनु० ९१ ।
हुआ था (सभा. ३४ । १६)। उपप्लव्यनगरमें १४)। (३) विदर्भराजके पुत्र, जिन्होंने महात्मा
अभिमन्युके विवाहमें उपस्थित हुआ था (विराट० ७२ । अगस्त्यको अपनी कन्याका दान करके स्वर्गलोक प्राप्त
२२ )। अश्वमेध यज्ञमें श्रीकृष्णके साथ निशठका भी किया था ( अनु० १३७ | ११)!
आगमन हुआ था ( आश्व० ६६ । ४)। यह मृत्युके
पश्चात् विश्वेदेवोंमें मिल गया था (स्वर्गा० ५। १६निमेष-गरुडकी एक प्रमुख संतान ( उद्योग० १०१।
१८)। (२) एक प्राचीन राजा, जो यम-सभामें रहकर
सूर्यपुत्र यमकी उपासना करता है (सभा० ८ । नियति ब्रह्माजीकी सभामें रहकर उनकी उपासना करनेवाली एक देवी ( सभा. ११। ४३ )।
निशा-भानु (मनु) नामक अग्निकी तीसरी भार्याः नियुतायु-श्रुनायुक पुत्र, जो अर्जुनद्वारा मारा गया जिसने रोहिणी नामक कन्या और अग्नि एवं सोम नामक (द्रोण ९४ । २९)।
पुत्रको जन्म दिया था। (इसने पाँच अग्निस्वरूप पुत्र नियोधक-एक दंगली पहलवानका नाम ( विराट०
और उत्पन्न किये थे-वैश्वानर, विश्वपति, संनिहित, २।९)।
कपिल और अग्रणी ।) निरमित्र-(१) नकुलका पुत्र, इसकी माता करेणुमती निशाकर-गरुडकी प्रमुख संतानों से एक (उद्योग० १०१।
थी ( आदि. ९५। ७९)। (२) एक त्रिगर्तराज- १४)। कुमार, जो सहदेवद्वारा मारा गया था (द्रोण. १०७। निशम्भ-नरकासुरके चार प्रमुख राज्यपालोमैंसे एक २६)।
जो भूतलसे लेकर देवयानतकका मार्ग रोककर खड़ा रहता निरविन्द-एक पर्वत, यहाँ स्नान और पिण्डदानका फल था । श्रीकृष्णद्वारा इसका वध (सभा० ३८ । २९ के बाद (अनु० २५ । ४२)।
दा० पाठ , पृष्ठ ८०५)। निरामय-एक प्राचीन नरेश ( आदि० १ । २३७)।
निश्चीरा-एक त्रिलोकविख्यात नदी, जिसकी यात्रा करने
से अश्वमेध यज्ञका फल मिलता और यात्री भगवान् विष्णुनिरामया-एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा
के लोकमें जाता है। निश्चीरासंगममें दानका फल इन्द्र पीती है ( भीष्म० ९ । ३३)।
लोककी प्राप्ति है ( वन० ८४ । १३८-१३९)। निरामर्द-एक प्राचीन राजा (आदि० १ । २३७)। निश्च्यवन-बृहस्पतिके दूसरे पुत्र, जो यश वर्चस् और कान्तिनिति-(१) ग्यारह रुद्रों से एक, ब्रह्माजीके पौत्र एवं से कभी च्युत नहीं होते, ये केवल पृथ्वीकी स्तुति करते
स्थाणुके पुत्र (आदि० ६६ । २)। ये अर्जुनके जन्म- हैं । निधाप, निर्भल, विशुद्ध तथा तेजःपुञ्जसे प्रकाशित हैं। महोत्सवमें पधारे थे ( आदि. १२२ । ६८)। (२) इनके पुत्रका नाम सत्य है (वन० २१९ ॥१२. अधर्मकी स्त्री, इससे नैर्ऋत नामवाले तीन भयङ्कर राक्षस १३)। उत्पन्न हुए, जिनके नाम हैं-भय, महाभय एवं मृत्यु निषङ्गी-धृतराष्ट्रका एक पुत्र ( आदि०६७।१०३)। (आदि. ६६ । ५४-५५)।
भीमसेनद्वारा इसका वध ( कर्ण० ८४ । ४-६)।
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