SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यमी दल्म प्रयास करनेके लिये कहना । पिताकी आज्ञासे नलको (सभा० ५२ । १३)। वनवासके समय सुबाहुकी ढूँढ़नेके लिये जाते हुए ब्राह्मणोंको नलसे कहनेके लिये राजधानीमें जाते समय पाण्डवलोग दरद देशमें होकर अपना संदेश बताना और जो उस संदेशका उत्तर दें, गये थे (वन० १७७ । १२) । पाण्डवोकी ओरसे उनकी सारी परिस्थिति जानकर उनके विषयमें शीघ्र जिन्हें रणनिमन्त्रण भेजना आवश्यक समझा गया था, सूचना देनेके लिये कहना (वन० ६९ अध्याय)। उनमें दरदराजका भी नाम है (उद्योग० ४।१५)। पर्णादका दमयन्तीसे बाहुकरूपधारी नलका समाचार यह पूर्वोत्तर दिशामें स्थित देश है (भीष्म०९।६७)। बताना और दमयन्तीका मातासे सलाह करके पिताको सूचित दरददेशीय योद्धा दुर्योधनकी सेनामें सम्मिलित थे किये बिना गुप्तरूपसे सुदेव नामक ब्राह्मणको राजा (भीष्म० ५१ । १६)। भगवान् श्रीकृष्णने कभी ऋतुपर्णके यहाँ कल ही सूर्योदयके बाद होनेवाले अपने इस देशको जीता था (द्रोण. ७० । ११)। स्वयंवरका संदेश देकर भेजना (वन० ७० अध्याय)। दरद देशीय योद्धाओंका सात्यकिपर आक्रमण और नलके विषयमें दमयन्तीके विचार (वन० ७३ । ८ सात्यकिद्वारा इनका संहार (द्रोण. १२१। ४२-४३)। १५)। इनके द्वारा बाहककी परीक्षाके लिये केशिनीका (३) एक जाति, दरदलोग पहले क्षत्रिय थे, परंतु भेजा जाना (वन० ७५। २)। माता-पिताकी आज्ञा ब्राह्मणोंके साथ ईर्ष्या करनेके कारण शूद्र हो गये लेकर दमयन्तीका बाहुकको अपने महलमें बुलाना और (अनु० ३५। १७-१८)। 'महाराज नल मुझे छोड़कर क्यों चले गये ? क्या तुमने दरि-धृतराष्ट्रके वंशमें उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजयके उन्हें कहीं देखा है ?? इत्यादि प्रश्न करके अपना दुःख सर्पसत्रमें जलकर भस्म हो गया था (आदि०५७। १६)। निवेदन करना । बाहुकरूपी नलके नेत्रोंसे आँसू बहना दर्दुर–एक पर्वत, जिसके अधिष्ठाता देवता कुबेरकी सभामें और उनका 'कलियुगसे प्रेरित होकर सब कुछ करना रहकर भगवान् धनाध्यक्षकी उपासना करते हैं (सभा० पड़ा है। ऐसा कहकर दमयन्तीके द्वितीय पति-वरणकी १०।३२)। भावनापर कटाक्ष करना, दमयन्तीका शपथपूर्वक अपनी दी-एक प्राचीन ऋषि, जिन्होंने कुरुक्षेत्रकी सीमाके निर्दोषता बताना । वायु देवताका आकाशवाणीद्वारा भीतर अर्धकील तीर्थ प्रकट किया था, वहाँ उपनयन दमयन्तीकी शुद्धताका समर्थन करना और स्वयंवरको और उपवास करनेसे मनुष्य कर्मकाण्ड और मन्त्रोंका नलकी प्राप्तिका एक उपायमात्र बताना । तत्पश्चात् नलका ज्ञानी ब्राह्मण होता है । दर्भी मुनि वहाँ चार समुद्र भी अपने रूपको प्रकट करना और दमयन्तीके साथ उनका लाये थे, उनमें स्नान करनेसे चार हजार गोदानका फल मिलन (वन० ७६ अध्याय)। पुष्करसे अपने राज्यको मिलता है (वन० ८३ । १५४-१५७ )। वापस लेकर नलका दमयन्तीको पुनः अपनी राजधानीमें बुलाना (वन० ७९ । १)। दर्व-(१) एक क्षत्रिय जाति, इस वंशके श्रेष्ठ क्षत्रिय राजदमी-एक त्रिभुवनविख्यात तीर्थ, जो सब पापोका नाश कुमारोंने अजातशत्रु युधिष्ठिरको बहुत धन भेंट किया था करनेवाला है। यहाँ ब्रह्मा आदि देवता भगवान् महेश्वरकी (सभा० ५२ । १३)। (२) एक भारतीय जनपद (भीष्म० १ । ५४)। उपासना करते हैं (वन० ८२ । ७२ )। दम्भोद्भव-एक सार्वभौम सम्राट् ( भादि. १ । २३४)। दवीसंक्रमण-एक तीर्थ, जहाँकी यात्रा करनेसे तीर्थयात्री अश्वमेध यज्ञका फल पाता और स्वर्गलोकमें जाता है ये महारथी और महापराक्रमी थे। इनका नर-नारायणके (वन० ८४ । ४५)। साथ युद्ध और उनसे पराजित होना तथा उनके चरणों में प्रणाम करके इनका पुनः अपनी राजधानीमें लौट दर्शक-एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ५ । ५३)। आना (उद्योग० ९६ । ५-३९)। दल-इक्ष्वाकुवंशी राजा परीक्षित्का पुत्र, जिसकी माता दरद-(१) बाहीक देशके एक राजा, जो सूर्यनामक महान् मण्डूकराजकी कन्या सुशोभना थी (वन. १९२ । ३८)। असुरके अंशसे उत्पन्न हुए थे (आदि० ६७ ॥ ५८)। इनका अपने बड़े भाई शलके मारे जानेपर राज्याभिषेक इन्होंने जन्म लेते ही अपने शरीरके भारसे इस पृथ्वीको (वन० १९२ । ५९)। इनका महर्षि वामदेवसे वार्ताविदीर्ण कर दिया था (सभा०४४।८)।(२) एक लाप तथा वाम्य अश्वोको लौटाना (वन० १९२। ६०प्राचीन-देश और वहाँके निवासी। जिसे इस उत्तर दिग्विजय २)। के समय अर्जुनने जीता था (सभा० २७ । २३)। दल्भ-एक प्राचीन ऋषि, जिनके पुत्र दाल्भ्य नामसे दरद देशके लोग राजा युधिष्ठिरके लिये भेंट ले गये थे प्रसिद्ध थे (बन० २।५)। For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy