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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दश ( १३९ ) श--एक भारतीय जनपद (भीष्म० ५। ५६)। और वीरबाहुकी सुनन्दा । इन दोनोंका ननिहाल दशार्णदशग्रीव--राक्षसराज दशमुख रावण, जो विश्रवामुनिके द्वारा देशमें था, दमयन्तीका जन्म भी दशार्णराजके ही घरमें पुष्पोत्कटाके गर्भसे उत्पन्न हुआ था । इसके सहोदर हुआ था (वन० ६९ । १३-१६)। महाभारत युद्धसे भाईका नाम था कुम्भकर्ण (वन० २७५। ७,१०)। पूर्व दशार्णदेशके राजा हिरण्यवर्मा थे, जिनकी पुत्रीका यह वरुणकी सभामें विराजमान होकर उनके पास बैठता विवाह पुरुषवेशमें रहनेवाली द्रुपदकन्या शिखण्डिनीसे है ( सभा०९ । १४)। हआ था । यह रहस्य खुलनेपर दशार्णराजने द्रुपदपर पशज्योति-सुभ्राटके तीन पुत्रोमैंसे एक ( आदि. आक्रमण करनेकी तैयारी की, परंतु दैवयोगसे शिखण्डिनी १।४४)। वनमें जाकर शिखण्डीरूपमें परिणित हो गयी और दशमालिक--एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ६६) । उसके पुरुषत्वका परिचय पाकर दशार्णराज संतुष्ट हो गये (उद्योग० १८९ अध्यायसे १९२ अध्यायतक)। दशरथ-इक्ष्वाकुवंशीय महाराज अजके पुत्र, जो सदा दशार्ण देश दो थे अथवा एक ही देशके दो विभाग थेस्वाध्यायमें तत्पर रहनेवाले और पवित्र थे। इनकी माता ऐसा जान पड़ता है। क्योंकि भीष्मपर्वमें जहाँ भारतीय का नाम इलविला था (वन० २७४ । ६) इनके चार जनपदोंकी गणना करायी गयी है, वहाँ दोदशार्ण देशोंका पुत्र थे---श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न (वन. उल्लेख देखा जाता है (भीष्म० ९ । ४१-४२)। २७४।७)। इनके तीन पत्नियाँ थीं-श्रीराममाता दशार्ण देशके सैनिक दुर्योधनके पक्षमें थे और द्रोणाचार्यकौसल्या, भरतजननी कैकेयी तथा लक्ष्मण और शत्रुघ्नकी के अनुगामी होकर युद्ध करते थे (भीष्म०५१।१२)। माता सुमित्रा (वन० २७४ । ८)। इनका श्रीरामके युधिष्ठिरके अश्वमेध यज्ञके समय दशार्ण देशका राज्य राज्याभिषेकके लिये सामग्री जुटानेके निमित्त पुरोहितको चित्राङ्गदके अधिकारमें था, अर्जुनने इनको पराजित आदेश (वन० २७७ । १५)। कैकेयीका इन्हें वचनबद्ध करके इनसे श्रीरामके वनवास और भरतके राज्या किया था (आश्व० ८३ । ५-७)। भिषेकका वर माँगना और इनका दाखित होकर मौन दशाह-यदुकुलमें उत्पन्न एक श्रेष्ठ क्षत्रिय, जिनके वंशमें हो जाना (वन० २७७ । २१-२.)। श्रीरामके वनमें उत्पन्न होनेवाले क्षत्रियोंको दाशाह कहते हैं। भगवान् चले जानेपर इनका शरीर-त्याग करना ( वन. श्रीकृष्णको भी इसीलिये दाशार्ह या दाशार्हपति कहते हैं २७७ । ३०)। रावणपर विजय पानेके बाद श्रीरामके (सभा० ३८1दा० पाठ, पृष्ठ ८०९, ८१३, ८१४,616, पास इनका आना और राज्यके लिये आदेश देना (वन. ८२० और८२५)। २९१ । ३६) । दशरथके घरमें श्रीरामरूपसे अवतीर्ण दशावर-एक दैत्य, जो वरुणकी सभाम राकर उनकी हुए श्रीविष्णुने दशग्रीव रावणका वध किया था (वन उपासना करता है (सभा० ५।४)। ३१५ । २०)। दशाश्व-इक्ष्वाकुका दसवाँ पुत्र, जो माहिष्मतीपुरीमें दशार्ण-एक प्राचीन जनपद (कुछ लोगोंके मतानुसार इसके राज्य करता था। इसके पुत्रका नाम मदिराश्व था (अनु. दो भाग ये-पूर्वी और पश्चिमी । पूर्वीभागमें छत्तीसगढ़का कुछ २।६)। भाग और पाटन राज्य था तथा पश्चिमी भागमें पूर्वी मालवा दशाश्वमेध-कुरुक्षेत्रकी सीमाके अन्तर्गत एक तीर्थ, जहाँ और भूपालकी रियासत सम्मिलित थी। हिंदी शब्दसागरके स्नान करके मनुष्य सहस्र गोदानका फल पाता है (वन. अनुसार विन्ध्यपर्वतके पूर्व-दक्षिणकी ओर स्थित उस प्रदेश- ८३ । १४)। का प्राचीन नाम दिशाणं' है, जिसके समीप होकर धसान दशाश्वमेधिक-कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक तीर्थ, जिसमें नदी बहती है। मेघदूत' से पता चलता है कि विदिशा दशा- स्नान करके मनुष्य उत्तम गति पाता है (वन० ८३ । आधुनिक भिलसा इसी प्रदेशकी राजधानी थी।) इस )। देशपर राजा पाण्डुका आक्रमण और विजय (आदि. दस-(नासत्य और ) दस्र दोनों अश्विनीकुमारों के नाम ११२ । २५)। भीमसेनने भी इस देशको जीता था है ( शान्ति० २०८ । १७)। (सभा० २९॥ ५) । नकुलने भी इसपर आक्रमण दहति-अंशद्वारा स्कन्दको दिये गये पाँच पार्षदों से करके विजय पायी थी (सभा० ३२ । ७)। प्राचीन कालमें दशार्णदेशके राजा सुदामा थे, इनकी दो पत्रियाँ एक (शल्य० ४५ । ३४)। थीं, इनमेंसे एक विदर्भनरेश भीमको और दसरी चेदिराज दहदहा-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य०१६।२०)। वीरबाहको ब्याही गयी थी, भीमकी पुत्री दमयन्ती थी दहन-(१) ग्यारह रुद्रोमेसे एक, ब्रह्माजीके पौत्र एवं For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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