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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौतमी ( १०८ ) घटोत्कच करना (आइत्र० ५६ । ३२–३५)। गौतमके पुत्र गौरपृष्ठ-एक राजर्षि, जो यमसभामें उपस्थित हो सूर्यपुत्र शरद्वान्को भी गौतम' कहा जाता है ( आदि० १२९। यमकी उपासना करते हैं ( सभा० ८ । २१)। १) तथा शरद्वान् के पुत्र कृप और कन्या कृपीके लिये गौरमुख-शमीक ऋषिके एक शिष्य । इन्होंने गुरुकी भी गौतम' (आदि० १३० । १४) एवं गौतमी' आज्ञासे राजा परीक्षित्को शृङ्गी ऋषिके शापका समाचार नामका प्रयोग देखा जाता है ( आदि० १२९ । ४७)। सुनाया ( आदि० ४२ । १४-२२)। ( २ ) एक ऋषि, जो अन्य ऋषि-मुनियोके साथ गौरवाहन-एक राजा, जो युधिष्ठिरके राजसूय यज्ञमें पधारे युधिष्ठिरकी सभामें विराजते थे (सभा०४।७)। ये (सभा० ३४ । १२)। ये इन्द्रकी सभामें भी उपस्थित होकर देवेन्द्रकी उपासना करते थे (सभा०७।१८)। इन्होंने ही गिरिखजमें गौशिरा-एक मुनि, जो इन्द्रकी सभामें रहकर वज्रधारी __ इन्द्रकी उपासना करते हैं (सभा० ७।११)। निवास करके उशीनर देशकी शूद्र-जातीय कन्याके गर्भसे काक्षीवान् नामक पुत्र उत्पन्न किया था (सभा०२१।३- गौराश्व-एक राजर्षि, जो यमसभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी ५)। (३) एक तपस्वी एवं विद्वान् ब्राह्मण मुनि, जो उपासना करते हैं (सभा० ८ । १८)। एकत, द्वित और त्रितके पिता थे (शल्य० ३६ । ७९)। गौरी-( १ ) महादेवी पार्वतीका एक नाम (वन० (४) एक तपस्वी ब्राह्मण, जिन्होंने अपने हाथीका ८४ । १५१)(२) उमादेवीकी अनुगामिनी सहचरी अपहरण हो जानेपर धृतराष्ट्ररूपधारी इन्द्र के साथ संवाद (वन० २३१ । ४८ )। (३) वरुणकी प्रिय पत्नी किया था (अनु० १०२ अध्याय)। (५) मध्यदेशका ( उद्योग. ११७ । ९ )। (४) भारतवर्षकी एक रहनेवाला एक कृतघ्न ब्राह्मण, जिसका नाम गौतम था: प्रमुख नदी, जिसका जल भारतीय जनता पीती है इसका डाकुओंके गाँवमें निवास (शान्ति.१६८।३६)। (भीष्म०९।२५)। अपने गाँवके एक सदाचारी ब्राह्मणद्वारा फटकारे जानेपर गौरीशिखर-एक त्रिभुवनविख्यात तीर्थ, वहाँ स्तनकुण्डमें उसके द्वारा समुद्र की यात्रा (शान्ति० १६९।१)। स्नान करनेसे वाजपेय यज्ञका तथा देवता-पितरोंका पूजन वनमें राजधर्मा नामके वकका अतिथि होना (शान्ति० करनेसे अश्वमेध यज्ञका फल मिलता है (वन० ८४ । १६९।१.)। राजधर्माका आतिथ्य स्वीकार करके १५१-१५४ )। धनके लिये राक्षसराज विरूपाक्षके पास पहुँचना (शान्ति. ग्रन्थिक-विराटनगरमें अज्ञातवासके समय नकुलका नाम १००।२६ ) । विरूपाक्षसे वार्तालाप और धन लेकर (विराट०३।४)। लौटना ( शान्ति. १७१।२-२८)। राजधर्माको ग्रामणी-भगवान् शिवके एक गण, जिनके नामका शुद्धमार डालनेका विचार (शान्ति. १७१ । ३४-३५)। भावसे कीर्तन करनेवाले मनुष्योंके सब पाप नष्ट हो जाते जलती हुई लकड़ियोंद्वारा राजधर्माका वध (शान्ति. १७२ । ३ ) । राक्षसोंद्वारा इसका वध (शान्ति. हैं (अनु० १५० । २५)। १७२। २३-२४ ) । इन्द्रद्वारा जीवनदान ( शान्ति. ग्रामणीय-ग्रामशासक क्षत्रियोंके वंशज, जिन्हें दिग्विजयके १७३ । १२-१३)। इसे देवताओंका शाप ( शान्ति समय नकुलने जीता था (समा० ३२ । ९)। १७३ । १७-१८)। (घ) गौतमी-(१) द्रोणाचार्यकी भार्या (आदि०१२९॥ ४७)। घट-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ६३)। ( देखिये-कृपी ) (२) गौतम गोत्रकी एक कन्या घटजानक-एक प्राचीन ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें जटिला, जिसने सात ऋषियोंसे विवाह किया था (आदि० विराजते हैं ( सभा० ४।१३)। हस्तिनापुर जाते १९५।१४)। यह ब्रह्माजीकी सभामें विराजमान होती समय मार्गमें श्रीकृष्णसे इनकी भेंट (उद्योग० ८३ । है (सभा०११।४०)। द्रौपदीकी पतिसेवाके विषय ६४ के बाद दाक्षिणात्य पाठ)। में गौतमी जटिलाका दृष्टान्त (शान्ति० ३८ । ५)। घटोत्कच-हिडिम्बाके गर्भसे भीमसेनद्वारा उत्पन्न एक राक्षस (३) एक ब्राह्मणी । अपने पुत्रकी मृत्युपर इसका (आदि. १५४ । ३.)। इसका 'घटोत्कच' नाम व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके साथ संवाद (अनु. होनेका कारण ( आदि. १५४ । ३८)। आवश्यकता । २१-३२ ) । ( ४ ) एक नदी ( अनु. पड़नेपर अपने पितृवर्गों ( पाण्डवों ) की सेवाके लिये १६५ । २१)। इसका कुन्तीको आश्वासन (आदि. १५४ । ४५)। गौर-कुशद्वीपका एक पर्वत ( भीष्म० १२ । ४)। इन्द्रकी शक्तिका आघात सहन करनेके लिये इन्द्रद्वारा For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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