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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोधा ( १०६ ) गोवासन ९।१४) । जो जनस्थानमें गोदावरीके जलमें स्नान मेंसे है ( भीष्म० ९ । १८)। दिवोदासकी नगरीका करके उपवास करता है, वह पुरुष राजलक्ष्मीसे सेवित एक छोर गङ्गाके उत्तरतटपर था और दूसरा छोर होता है (अनु० २५। २९)। गोमतीके दक्षिण किनारेतक फैला हुआ था (अनु० गोधा-(गोध)-पूर्वोत्तर भारतका एक जनपद (भीष्म ३०।1८)। ९। ४२)। गोमतीमन्त्र-एक मन्त्र, जिसे गौओंके बीचमें खड़ा होकर गोनन्द-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४३ । ६५)। मन-ही-मन जपा जाता है। ऐसा करनेवाला पुरुष शुद्ध एवं गोपति-(१)कालकेतुका साथी एक राक्षस, जो महेन्द्रके निर्मल (पापरहित) हो जाता है । जो तीन रात उपवास करके शिखरपर इरावतीके किनारे श्रीकृष्णद्वारा आइत हुआ गोमतीमन्त्रका जप करता है, उसे गौओंका वरऔर अक्षप्रपतनके अन्तर्गत नेमिहंस-पथ नामक स्थानमें दान प्राप्त होता है । इसके जपसे पुत्रार्थीको पुत्र, धनार्थीको मारा गया (सभा० ३८ । २९ के बाद दाक्षिणात्य पाठ, धन और पतिकी इच्छावाली स्त्रीको मनके अनुकूल पृष्ठ ८२४ ) । (२) एक देवगन्धर्व, जो कश्यपपत्नी पतिकी प्राप्ति होती है (अनु० ८१ । ४२-४५)। मुनिके गर्भसे उत्पन्न हुआ था (वन०६५। ४२)। गोमन्त-(१)द्वारकाके निकटका एक श्रेष्ठ पर्वत, (गोमान् या यह अर्जुनके जन्ममहोत्सव में आया था ( आदि. १२२। रैवतक) जहाँ जरासंधको पछाड़कर बलरामजीने उसे जीवित ५५)। (३) शिबिका एक पुत्र, परशुरामजीके छोड़ दिया था क्योंकि उसकी मृत्यु भीमसेनके हाथसे होनेक्षत्रियसंहारके बाद वनमें गौओंने इसकी रक्षा की थी। वाली थी (सभा० २४।४ के बाद दाक्षिणात्य पाठ, पृथ्वीने कश्यपजीको इसका परिचय दिया था (शान्ति. पृष्ठ ७१.)। (२) पूर्वोत्तर भारतका एक जनपद ४९ । ७८-७९)। (४) भगवान् शिवका एक नाम (भीष्म०९। ४३)। (३) कुशद्वीपका एक पर्वत (अनु० १७ । ११५)। (५) भगवान् विष्णुका (भीष्म० १२।८)। एक नाम ( अनु० १४९।६१)। गोमुख-(१) क्रोधवशसंज्ञक दैत्यके अंशसे उत्पन्न एक गोपराष्ट्र-पूर्वोत्तर भारतका एक जनपद (भीष्म० ९। राजा ( आदि० ६७ । ६३-६६)। (२) इन्द्रसारथि १४)। ___ मातलिका पुत्र (उद्योग० १००।८)। गोपायन-गोपोंकी सेनाका नाम ( भीम० ७१ । १३)। गोरथ-मगधकी राजधानी गिरिव्रजके निकटका एक पर्वत गोपालकक्ष-एक पूर्वीय देश, जिसे भीमसेनने दिग्विजयके (सभा० २० । ३०)। समय जीता था (सभा० ३०। ३। भीष्म० ९ । ५६)। गोलोक-एक दिव्य सच्चिदानन्दमय लोक, जो समस्त लोकगोपाली-(१) एक अप्सरा, जिसने अर्जुनके सम्मानार्थ पालोंके लोकोंसे ऊपर है और वहाँ प्रधानतः दिव्य इन्द्रसभामें नृत्य किया था ( वन. ४३ । ३०)। गौओंका निवास है। इसकी समस्त लोकोंसे ऊपर स्थिति (२) स्कन्दकी अनुचरी मातृका(शल्य० ४६ । ४)। क्यों है--इसके कारणका ब्रह्माजीद्वारा प्रतिपादन (अनु. गोप्रतार-सरयूनदीका उत्तम तीर्थ, जहाँ भृत्य, सेना और ८३ अध्याय)। गोलोक भगवान् नारायणका ऊपरका ओठ वाहनोंसहित भगवान् श्रीराम परमधामको पधारे थे और ब्रह्मलोक नीचेका ओठ है (शान्ति० ३४७ । ५२)। (वन० ८४ । ७०-७३)। गोवर्धन-(१) व्रजमण्डलका सुप्रसिद्ध पर्वत, जो भगगोभवन-कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक पवित्र तीर्थ, जहाँ वान् श्रीकृष्णका स्वरूप माना गया है, इसे गिरिराज' स्नान करनेसे सहस्र गोदानका फल मिलता है (वन. कहते हैं । जब इन्द्र व्रजवासियोको अपनी पूजा न पाने८३ । ५०)। के कारण मिटा देने के लिये व्रजमें घोर वर्षा करने लगे, गोमती-एक प्रसिद्ध नदी, गङ्गाकी सात धाराओंमेंसे एक, उन दिनों भगवान् श्रीकृष्णने बाल्यावस्थामें ही गौओंकी इसका जल पीनेवाले मनुष्योंके पाप तत्काल नष्ट हो रक्षाके लिये एक सप्ताहतक गोवर्धन पर्वतको अपने जाते हैं (आदि. १६९ । २०.२१)। यह वरुणकी हाथपर उठा रक्खा था (सभा० ३८ । दाक्षिणात्य सभामें उपस्थित होती है (सभा०९।२३)। युधि- पाठ पृष्ठ ८०१ सभा०४१।९, उद्योग० १३०।४६)। ष्ठिर तीर्थयात्राके प्रसंगसे यहाँ गये थे (वन० ९५। (२) बाहीक देशके राजभवनके द्वारपर स्थित एक २)। यह विश्वभुक नामक अग्निकी पत्नी है (वन० वटवृक्ष, जो गोवर्धन नामसे प्रसिद्ध था ( कर्ण०४४। २१९ । १९)। जारूथीमें गोमतीके तटपर दशरथनन्दन भगवान् श्रीरामने दस अश्वमेध यज्ञ किये थे गोवासन-(१)शिवि देशके राजा, जिनकी पुत्री देविका(वन० २५५ । ७०)। यह भारतवर्षकी प्रधान नदियों ने स्वयंवरमें राजा युधिष्ठिरको अपना पति चुना था For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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