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________________ कुस अनः २२६६ क्रह बरूनिय्या क्रस अनः-[ ](१) शजरहे इबराहीम । (२) जराहत और वतल के लिए भी होता है । जराह - एक प्रकार का काँटेदार पौधा जिसके पत्ते भूमि | को अंगरेज़ी में वूड (Wound ) कहते हैं। । पर फैलते हैं। कहः अक्काल:-[१०] एक प्रकार का व्रण जो मांस कस आ-[?] कछुआ । और तन्तुओं को खा जाता और गलाता चला कसतारियून-[ यू०] कमात कोही । जाता है। गोश्त खोरह । फैजीडीनिक अल्सर कर्सतीलूस-[रू० ] शादनज। Phagedenic Ulcer: स्लफिंग अल्सर Slouphing Ulcer, रोडंट अल्सर Rodकर्स तूस-[यू० ] कुट। ant Ulcer -(अं०)। कर्सफ, कसूफ-[१०] रुई । दवात का सूत ।। कहः अफ़निय्यः-[अ० ] दे० "क़ह': मुत्अफ्रिकनः" कर्सफ्री-[अ०] सफेद काँदा का एक भेद ।। कहः असिरुल् इंदिमाल-[१०] कष्ट से भरने वाला कर्समनून-[यू० ] गेहूं के रेशे । व्रण । पुरातन व्रण जिसके किनारे उभरे हुए और कर्सर-[ संथाल ] Tby sano laena a car- | बहुत मोटे होते है तथा अंकुर विषम एवं खराब ___ifera, Nees. होते हैं। इस प्रकार का व्रण प्रायः पिंडली पर कान, कसियान- १] अंगूर की लकड़ी। — होता है। कह: मुज़िमनः । इंड्युलेट अल्सर कसियः-[?] नमक नफ़्ती । एक प्रकार का काला | Indulent Ulcer, क्रॉनिक अल्सर Chr. .. नमक। onic Ulcer, कैलस अल्सर Callous क़ीक़ी-[१] तरासी स. का एक भेद । — Ulcer -(अं०)। ... कर्सीतामनून-[सिरि०] जंजबीलुल कलाब । नोट-इस प्रकार का ज़ख्म जब पिंडली पर कर्सेमिया केशिया-[ ले० ] सफ़ेद मुसली । होता है तब उसको प्राचीन तिब्बी परिभाषा में कह-[फा०] मक्खन । मसका । बु.त्म कहते हैं। कह-[१०] कलौंजी । शोनीज़ । कहः अस्फजियः-[१०] एक प्रकार का व्रण जो कमज़ोरी और दुबलेपन की दशा में पैदा हुआ कह , कह::-[१०] [ बहु०कुरूह ] वह ज़ख़्म जिसमें करता है। ऐसे व्रण विषम, मोटे और पिलपिले : पीप पड़ गई हो । सपूय व्रण | पीपदार ज़ख़्म । होते हैं। पिलपिला ज़ख्म । कह : नुत्रियः । Ulcer Ulcus, Sore. फंगस अल्सर Fungus Ulcer, वीक नोट-(१) वह ज़ख़्म जिसमें अभी पीप न ___ अल्सर Weak Ulcer, (अं०)। . पड़ी हो । परिभाषा में जराहत कहलाती है। पर | यदि उसे चालीस दिन न बीते हो तो पीव पड़ | | कहः इह तिरानियः-[अ०] एक प्रकार का व्रण । जाने पर वही कह कहलाती है, और यदि उसे जिसमें सर्व प्रथम बड़ी २ कुसियाँ पैदा होती हैं चालीस दिन बीत गए हों और वह गहरा हो एवं! जिसके उपरांत वह पक कर फैल जाती और फूट निरंतर बहता रहे तो परिभाषा में उसे नासूर वा जाती हैं और उन पर काले रंग के खुरड होते हैं। नाड़ी व्रण कहते हैं। इस प्रकार का व्रण प्रायः बच्चों के मुंह पर हुआ (२) वह सूजन जो पीप पड़ने के उपरांत करता है । एक्जेमा Eczema (अं०)। फूट गईहो और उसमें से पीप बहती होतो कहः के | कह खबीस :-[१०] एक प्रकार का सड़नदार नाम से अभिहित होती है। ज़रूम जो शीघ्र सड़ता और फैलता है। ख़बीस (४) डाक्टरी में सपूय व्रण वा कह : को ज़ख़्म । दुष्टव्रण । लूपिया Lupia, लूपाइड अल्सर वा अल्कस कहते हैं। ये दोनों शब्द कह: अल्सर Lupiod Ulcer -(अं०)। के ठीक पर्याय हैं, पर सोर ( Sore) शब्द | कह, खैरूनिय्यः-[१०] एक प्रकार का दुष्ट व्रण सामान्य है। इसका प्रयोग कहः के अतिरिक : जो बड़ी कठिनाई से भरता है। खैरूनी जहम ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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