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करुचीकडु
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करुप्पु चित्तिरमूलम् करुचीकडु-ते. ] सफ़ेद सेम । महाशिंबी। रस में भावना दें। फिर ढाक के गोंद, मोचरस
(Canavallia ensiformis) के साथ भाँगरा रस देकर घोटे । पुनः इसमें सर्जी करुण-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] (१) Citrus खार, जवाखार, भुना सुहागा, पाँचोनमक, त्रिकुटा
decumana करना नीबू का पेड़ । कन्ना नीबू। शुद्ध सिंगिया बिष, चित्रक, जीरा और वायविडंग करुणा लेबुर गाछ (बं०)। ५० मु०।
२-२ माशे लें । इनका चूर्ण वनाय सवको अच्छी गुण-कफ, वायु नाशक, श्राम तथा मेद तरह मिलाकर रक्खें। नाशक और पित्त को प्रकुपित करनेवाला है। मात्रा-१-२ मा०। राज० ३ व० । वि० दे० "करना" । (२) एक गुणतथा उपयोग- अतिसार, ज्वर, विषमप्रकार का फलदार वृक्ष । फलित वृक्ष । (३) ज्वर, शूल, रुधिर विकार, निराम और शोथयुक्त करुण नामी रस का भेद । शोक । (४) करुण संग्रहणी उचित अनुपान या बिना अनुपाम द्वारा नामी वृक्ष का भेद । मे० (५) मोतिया बेज्ञा । नष्ट होती है । ( वृहत् रस रा. सु. अतिमल्लिका । हे. च.।
सार चि०)। वि० [सं० वि०] करुणायुक्त । दयाई। . करुणी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] एक प्रकार का पुष्प करूण-क्किमङ्ग-[ ता. ] घितकोचु । धैटकोंच ।
वृक्ष । ग्रीष्मपुष्पी । ककरबिरुणी (को०)। (Typhonium trilobatum)
. पय्या-रक्रपुष्पी, चारिणी, राजप्रिया, राजकरुण-कलंग-[ मदरास ] जंगलो सूरन । अर्शीध्म ।
पुष्पी, सूचमा, ब्रह्मचारिणी, ग्रीष्मपुष्पी । रा०नि० करुणकानम्-[ ता० ] चाकसू । चश्मीनज़ ।
व० १० । दे. "करवीरणी'। करुण कोडिवरे-[ ता. ] काला चीता । करुणोच्चि-[ ता०] काला सम्हालू । . करुणतक-[?] कटसरैया।
करु तुत्ति-[ सा० ] काली कंघी । करुण-तोट्टि-[ मल•j जंगली मेथी ।
करत्त अयङ्गौलम्- मल० ] काला ढेरा । अंकोल । करुण-नोच्चि-[ मलकाला संभालू । चमेली।
करुत्तकोटिवैल-[ मल० ] काला चीता। . करुण ( णा) मल्ली-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] नव
करुन-[पं०] वनचोर । सोकीलस। मल्लिका । श० ० !(Jasminum sam- करुन तफ़ो-[१] (१) गना। ईख । (२) baca)
फ्रानीज़ । करुण शीरगम-[ ता०] कलौंजी।
करुन शीरगम्-[ ता०] कलौंजी । करणा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] (१) दया ।
करुना-संज्ञा स्त्री० दे० "करुणा"। रहम । तर्स।
संज्ञा स्त्री० [सं० करुणा ] करना नोबू का ___पर्या–कारुण्य, घृणा, कृपा, दया, अनुकम्पा, अनुक्रोश, शूक।
करुना नीबू-संज्ञा पुं० [सं० करुणनिम्बुक ] करना (२) बकरे की आँख । छगलाक्ष । वै. नीबू । कन्ना नींबू। निघ० । (३) काना का पेड़। (४) शोक । | करुपत्ति-[ मल० ) कपास । अफसोस । रंज।
करुपाली-[ ता०] जियापोता। पतजीव । पुत्रीव । करुणा मल्ला-दे० 'करुणामल्ली" ।
करुपुपिल्लंगे-[ ता०] Phyllanthus reticकरुणालेबूर गाछ-[बं• ] करना नीबू का पे । ___ulatus पानजोली । पानकुशी । कृष्ण कांबोजी । करुणासागर रस-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] चन्द्रोदय | करुपसुपु-ते. ] जंगली अदरक । वनाईक ।
१ मा०, शुद्धगंधक २ मा०, शुद्ध अभ्रक भस्म ४ करुपूरम्-[ ता० ] कपूर । कपूर । मा०, इन्हें सरसों के तेल में १ दिन घोटे, पोछे करुप्पु-वि० [ ता० ] काला । कृष्ण । सम्पुट करके बालुका यंत्र में पचाएँ । जब स्वांग करुप्पुअकिंजिमरम्-[ ता० ] काला । अकोला । शीतल हो जाय; तब निकाल भाँगरा की जड़ के करप्पु चित्तिरमूलम्-[ ता०] काला चीता ।