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करीवन
२२४७ 5 व्यवहार में पाता है। पशुनों के रक्कमूत्रता रोग | करु'दा-[ उड़ि.] करौंदा। में इसकी जड़ काम में आती है।
करुबा-[ मदरास] । करीवन-[ मरा० ] मंडूकपर्णी । ब्रह्ममंडूकी। करुबु-[ ता०] गन्ना । ईख । ऊख । करीश-लांगरिण-[ ता०] सफेद भंगरैया । केशराज । | करु (डु)[ ता०] बकुची । सोमराजी । श्वेत भुंगराज ।
वि० [ता.] काला । कृष्ण ।
- देश० ] करील । ई० मे० प्रा० । करीष-संज्ञा पु० [सं० पु०, क्री.] (१) सूखा
-[बं०] चिरायता । किराततिक । गोबर जो जंगलों में मिलता है और जलाने के
[ 40 ] (Rhamnus purpureus, काम में आता है। बन कंडा, । अरना कंडा।
Edgew.) वात सिंजल । जंगली कंडा । बन उपला । करसा। चूंट (बं०)
-[ देश० ] ( Gentiana kurreo, बिनुश्रा कंडा ।
Rogle.) कमल फूल । कुटकी । "वन्यकरीष घ्राणात जलपानात् ।"
करुअन-[ मरा०] बरना । बरुण । सि. यो० मंदा० चि०। (२) सूखा गोबर ।
करा -संज्ञा पुं॰ [देश०] दारचीनी की तरह का (३) गोबर । पशु का पुरीषमात्र ।
एक पेड़ जो दक्षिण के उत्तरी कनाड़ा नामक वेश करीषक-संज्ञा पुं० [सं० पु.] दे० "करीष"।।
में होता है। इसका फल दारचीनी के फलसे बड़ा करीषाग्नि-संज्ञा स्त्री० [सं० पु.] कंडे की भाग।
होता है और काली नागकेसर के नाम से दिखता गोमयाग्नि । चूँटेर श्रागुन -(बं०)। हारा० ।
है । इसकी सुगंधित छाल और पत्तियों से एक करीस-[अ० करीस] (१) मसाला । (२)
प्रकार का तेल निकाला जाता है जो सिर के दर्द सब्ज़ी । भाजी । तरकारी । (३) सिरका डाल
श्रादि में लगाया जाता है कर पकाया हुआ गोश्त ।
वि० [सं० कटुक] [स्त्री० करुई ] (1) करीस-[अ०] (१) यखनी का पानी जो ठंढा |
कड़वा । (२) अप्रिय । होकर जम गया हो। (२) एक प्रकार की
करु-अल्लमु-[ते. ] जंगली अवरक । बनाईक । ग़िज़ा।
कर-इंदु-[ ता. ] ( Pisonia Aculiata,) करीस-[पं०] करील । ई० मे० प्लां० ।
बाघचूहा । हाथी अंकुश । करीसा-[१] एक प्रकार का छुहारा ।
करुक-[पं०] वेरुला । बैठला । करीसा चरू तूनीस, क़रीसाबरूतू नस-[यू०] खनूब
करु-उम्मत- मल०] काला धतूरा | कृष्ण धुम्वर । शामी।
करु-उम्मती-[ ता०] काला धतूरा । करीह-[अ० करीह ] खालिस पानी ।
करु कप्पुल्ल-[ मल० ] इशरमूल । ज़राबड़े हिंदी । वि० [अ० करीह ] [ बहु० क हाँ] (१) जखमी । नसता। (२) बेमेल । खालिस ।।
| करुकपुल्ल-[ मल० ] दूव । दूर्वा ।
करुकर-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] रीढ़ की हड्डी का एक करीह-[अ.] घृणित । घिनोना । वीभत्स । मकरोह
उभार। नापसंद । वदशकल । भोंड़ा ।
( Trunsverse process of Verकरीहतुल इंसान-[१०] मनुष्य स्वभाव । इंसान
___tebra) अ. शा। की पैदायशी तबीयत।
| करुकरान्तरीय-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] उन नाम
की एक सन्धि । (Inter-transversari. करु जीरणम्-[ ता. ] कृष्णजीरक । कलौंजी। कर टोली-[ मल० ] तेजपात । तमालपत्र । जंगली
___ous)। अ० शा०। दारचीनी का पत्ता।
'करुकुवा-[ ता. ] बातदला । काकुपाल । करुंडय-[द०] ( Flacourtia sepiaria)| करुड़-[पं०] (.) गीदद द्राक । द्रांगी। (२) कोहै। किंगारो।
रामसर । सरपत।