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________________ कमलाई २१०५ आते हों, तब उसमें से पाँच से दस गोली तक खिलाने से बहुत उपकार होता है। बल्कि यह ज़हरमुहरा ख़ताई (वा खानिज विषघ्न श्रौषध) से कम नहीं होता । ( ख़० श्र० ) इसका छिलका तुरंज का प्रतिनिधि है । इसके फल का मुरब्बा सुगंधिपूर्ण और सुस्वादु होता है। इसके बीज तिर्याक्रियत में तुरंज के समान होते हैं (बु० मु०)। इसके छिलके का उबटन चेहरेके व्यंग और झाँई को मिटाता है । इसके बीज बहुश: विषों के प्रतिविष है और विसूचिका के लिए रामबाण है | म० मु० | प्रकृति - उष्ण तथा रुक्ष गुण, कर्म, प्रयोग - यह विषाक्त जंतु है । इसका दर्पन एरण्डतैल है । इसे मलने और पिलाने से विष नष्ट होता है । तज़किरतुल हिंद के संकलनकर्त्ता लिखते हैं कि मैंने उन कीड़े पर अनेक चीज़े डाली परंतु वह इनमें से किसी से नहीं मरा । परंतु जब उस पर रेंडी का तेल डाला तब उससे क्षण भर में यमपुर सिधारा । उस दिन से मैंने यह समझ लिया कि यही उसका दर्पदलन है । जिसको मैंने उक्त तैल का व्यवहार कराया, उसे लाभ हुधा । - ख० ० । (२) सफ़ेद रंग का एक लंबा कीड़ा जो अनाज वा सड़े फल श्रादि में पड़ जाता है | ला | ढोलट | संज्ञा पुं० [देश० कमीला | कमलाई -संज्ञा पुं० [सं० कमल-कमल के समान लाल ] मझोले डील डौल का एक पेड़ जो राजपूताने की पहाड़ियों और मध्य प्रान्त में होता है । जाड़े में इसकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं । इसे मूल भी कहते हैं । संज्ञा पुं० [सं० की ० ] शिरः शूल उक्त नाम का लेप | में कमलिमी कमल । संज्ञा पुं० [सं० कंबल ] ( १ ) काले रंग का एक कीड़ा जिसके ऊपर रोएँ होते हैं। इसके |कमलाडाई - [ अं० Kamala dye ] कमीला । मनुष्यों के शरीर में लग जाने से खुजली होती है और शरीर सूज जाता है। यह बरसात में पैदा होता है । वेर के पेड़ पर यह बहुत होता है यह उन कीड़ों में से है जो बड़ा होने पर छोटेपन की अपेक्षा घट जाते हैं। अस्तु, यह दो-तिहाई के घाटा जाता है | झाँझाँ | सूँड़ी । प्रयुक्त कमला गुडि - [ बं०] कमीला । कमलाग्रजा - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] हल्दी । हरिद्रा | कमलादि लेप-संज्ञा पुं० [सं० पु ं०] कमल, और तुलसी की जड़ को पीसकर लेप करने से शिर की पीड़ा शान्त होती है । वृ० नि० २० शिरो शे० चि० । कमलानश - [ श्र० ] एक वनस्पति । ना० मु० । कमला-नि-माला - [ गु० ] गिलोय के टुकड़े काटकर बनाया हुआ हार जो कमलरोग में उपयोगी ख़्याल किया जाता है । कमलानिवास-संज्ञा पुं० [सं०] कमल का फूल । कमला नेबू - [ बं० कमलारंज - [ ता० ] संतरा । कमला लेबु - [ बं०] संतरा । मीठा नीबू । मिष्ट निंबू । कमलावन - [ रू०] काशम । संतरा । कमला नीबू । कमला विलास रस-संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] उक्त नामका रसौषधयोग-लोहभस्म, अभ्रक भस्म, गंधक, पारद सोने की भस्म, और हीरे की भस्म समान भाग लेकर विकुवार के रस में घोट कर गोला बनालें । फिर उस गोले के ऊपर एरण्ड का पक्का पत्ता लपेट कर ढोरे से मज़बूत बाँध दें और अनाज के ढेर में दबायें । फिर ३ दिन पश्चात् निकाल कर महीन चूर्ण कर रख लें । गुण - इसे यथोचित मात्रानुसार शहद और त्रिफला के क्वाथ के साथ सेवन करने से वृद्धता और व्याधि का नाश होता है । और सुख की प्राप्ति होती है । यह सब प्रकार के प्रमेह, पाँच प्रकार की खाँसी, पाण्डु, हिचकी, घाव, कफ, वायु, हलीमक, नि मान्य, खुजली, कोद, विसर्प, विद्रधि, मुख रोग और अपस्मार आदि का नाश करता है। यह वैद्यों को यश देने वाला ओर सुख पूर्वक तैयार होने वाला रस है । २० २० स० । २६ श्र० । कमलाक्ष-संज्ञा पुं० [सं० पु० ] कमल का बीज । कमलगट्टा | वै० निघ० छर्दि चि० वमनामृतयोग | कर्मालिनी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] ( १ ) कमल । (२) छोटा कमल । पद्मिनी । कमल का पेड़ | भावप्रकाश में इसे ठंडा, भारी, मधुर, नमकीन,
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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