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________________ कन्या २००६ कन्वैलेमेरीन कन्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) घृत कुमारी । कन्यिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कन्यका। कन्या ग्वार । घीवार । रा०नि० व०५ । (२) बड़ी अविवाहिता लड़की। इलायची । स्थूलैला । रा०नि० व० ६ । (३) कन्यित-बिर०] गर्जन । गर्जन का पेड़ । बाराहीकन्द । बाराही नामक महा कन्द शाक । | कन्युष-संज्ञा पु० [सं० वी०] (1) बकरे की पूंछ गेंठी । रा०नि०व०७। (४) कुमारी । दश वत्सपुच्छ । हारा० । (२) बाँझ खेखसा । बर्षीया लड़की । कारी लड़की। रा० नि० व० १८ बन्ध्या कोटकी । बांझ ककोड़ा। वन्ध्या ककोटको (५) स्त्री जाति नारी । (६) एक महौषध । फल । भा० पू० १ भा० । (३) हस्तपुच्छ । सुश्रुत के मत से कन्या में मयूर के पक्ष की भाँति __कलाई के नीचे का हाथ । १२ मनोज्ञ पत्र लगते हैं । इनमें सोने के रंग का कन्यों-सी-[बर०] शतावर । सतावर । शतमूली। पीला दूध निकलता है । और यह कन्६ से उत्पन्न | कन्योंसी-[ बर० ] गर्जन का पेड़। होता है । दे. “ोषधि" । (७) बन्ध्या कको कनगत-[ मारवाड़ ) वीरवृक्ष। वरतुली । खेरी। टकी । बाँझ खेखसा । रा०नि० व. ३ । (८) Mimosa ciperea मुसब्बर । कन्या रसोद्भवा। (६) बन्दाक । कनरेगू-[ते. विकंकत | कंटाई । बैंचा । बाँदा । वंदा । बंझा । (१०) कंद गिलोय । कंद कही- मरा० ] नकोली । वांदर सिरिस । विथुश्रा गुडूची वै० निघ । (११) पुत्री . बेटी । | ( Dalbergia Lancoolaria, (१२) मृद । कोमल । (१३) नारी शाक । Linn.) कोसा(१४) अविवाहितास्त्री । वह स्त्री जिसकी कन्वॉलब्यलस आवसिस-ले० convolvulus शादी न हुई हो। __arvensis Linn] हिरनपदी । कन्याका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) कन्या। कन्वालव्युलस टपीथम-[ ले convolvulus बेटी । (२) कुमारी । लड़की । ___turpethum,] निसोथ । तुर्बुद । त्रिवृत् । कन्याकार-वि० [ सं0 ] कन्या की तरह । कन्वालव्युलस निल-[ ले: convolvulus कन्या-कुमारी-गड-[ ते०] सफेद मुसली। श्वेत __nil ] काला दाना। मूसली। कन्वालव्युलस पर्गा-[ ले• convolvulus कन्या-गर्भ-संज्ञा पु० [सं० पु.] अविवाहिता स्त्री का गर्भ। .. _purga ] जलब । जलापा। जलाबा । कन्या-गोपी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ) गौड़ पाला की कन्वालव्युलस पेनिक्युलेट!-[ ले० convolvu जड़। lus paniculata] पताल कोहड़ा। भूमि कन्याट-संज्ञा पु० [सं० पु.] (१) लड़कियों के . कुष्माण्ड | पीछे-पीछे फिरनेवाला । लम्पट । कामुक। हाराक कन्वालव्युलस लु रिकालिस-ले convolvul (२) आभ्यंतर गृह । अंतःपुर । ज़मातखाना। __us pluricaulis ] गोरखपान । कन्यात्व-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] कन्या का भाव । कन्वालव्युलस बटेटास-[ ले convolvulus विक्रारत। ____batatas] पिंडालू । कन्या-दूषण-संज्ञा पुं० [सं० श्री.] अविवाहिता | कन्वालव्युलस स्कमोनियां-[ले० convolvulus वालिका के साथ बलात्कार करने की क्रिया। _scammonia ] सामूनिया । महमूदा। कन्या भाव-संज्ञा पु० सं० पु.] कन्यात्व । कन्या कन्वालव्युलीन-[अं॰ convolvuline ] एक वस्था। अक्षत योनि बालिका । विकारत । ग्ल्युकोसाइड जो जलापा निर्यास (jalapae कन्यारासी-वि० [सं०] नपुंसक । नामर्द । resina) में पाया जाता है । यह ईथर विलेय कन्या हरण-संज्ञा पुं० [सं० क्री.] कन्या को | नहीं होता। निकाल लेजाने का कार्य । लड़की ले भगाने का | कन्वैलेमेरीन-[ अं० convallamarine ] काम । ___ एक प्रकार का ग्ल्युकोसाइड ( सार) जो कन्वै
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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