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बीज, कद्द 2 के बीज, तरबूज के बीज और पोस्ते के बीज - इन्हें बराबर-बराबर लेकर कोल्हू में पेलवाकर तेल निकालें इसे सिर पर मर्दन करने से श्रनिद्रा रोग नाश होता है। योनि संकोचनार्थ कद्द ू के बीज और लोध-इन दोनों को पानी में पीसकर योनि में लेप करें। इसकी पत्तियों के काढ़े में शर्करा मिलाकर पीने से कामला रोग आराम होता है । - ई० मे० मे० पृ० ४६६-७ तितलौकी या कटुतुम्बी पर्या॰— कटुकालाम्बुनी, तुम्बी, लम्बा, पिण्डफला, इच्वाकुः, तत्रियवरा, तिक्तबीजा, महाफला ( ध० नि०), कटुतुम्बी, कटुफला, तुम्बिनी कटुतुम्बिनी, वृहत्फला, राजपुत्री, तिक्रबीजा, तुम्बिका ( रा० नि० ) इक्ष्वाकुः, कटुतुम्वी, तुम्वी महाफला ( भा० ) विट्फला, राजन्या, प्रवरा, वरा, तिक्कालाँबू, दुग्धनिका, दुग्धिका, (केयदेव) फलिनी, चरः, पिण्डफला, (ज०), लम्बा (मे० ) इक्षा : ( ० ), तिक्रतुम्बी, कटुकालाबुः, नृपामजा, (२०) तिक्तका, कटुतिलिका, तिक्कालाबुः, कटुम्बिका, तुम्बा, तुम्बिः, तुम्बिका, कटुकफला, -सं० । तितलौकी, कड़वी तुम्बी, कड़वी लौकी, जंगली कद्द ू, कडूलौकी, तु'बी, तुमड़ी, कडुभिया तुंबा, हिं० । तित्लाऊ, तेंतोलाऊ, तिलाऊ, - बं० । कदूए तहख - ना० | कर्उल् मुर्र
-श्रु०।
The ( bitter) bottle gourd, बिटर पंपकिनू bitter pumpkin -श्रं० । लैजीनैरिया वल्गैरिस Lagenaria Vulgaris, Seringe कुकुरविटा लैजीनैरिया Cucurbita Lagenaria -ले० । गोर्डी Gourde - फ्रां० । फ्लैशेन कुर्विस Flas chen kurbis -जर० । शोरैकाय - ता० । मद० | निश्रान, सुरकाय, अनप्काय ते० । गादुदि, कटु चुरम्, अनपकाय - मल० । रान भोपला, कढूभोम्पट्ठा, कहिसोरै, कडु भोंपूला, कहुदुधी कडुदुधि ( भोपला ) - मरा०, कना०, कडु भोपला - चम्ब० । कड़वी तुम्बड़ी, कड़वीभोंपला - गु० । कडुदुद्दी - कों० । तिल लाबु - सिंहली ।
कह
कुष्माण्ड वर्ग
( N. O. Cucurbitaceae ) उत्पत्ति-स्थान- इसकी बेल समग्र भारतवर्ष में या तो जंगली होती है, या लगाई जाती है ।
औषधार्थ व्यवहार - मूल, पत्र, फल, बीज-जात तेल |
औषध - निर्माण —तुम्बी तैल, ( च० द०; भैष ), । इक्ष्वाकु कल्प |
बीज,
आयुर्वेदीय मतानुसारकासश्वासच्छर्दिहरा विषार्ते कफकषिते । इक्ष्वाकुमने शस्तः प्रशाम्यति च मानवः ॥ कटुतुम्बी कटुस्तिक्ता वातकृच्छ वासकासजित् । * कासनी शोधनी शोफणशूलविषापहा ॥ * द्वितीयाभिन्नविक्रान्ता गुर्वीरुक्षाऽतिशीतला । ( ध० नि० ) और छर्दि (वमन) का नाश करती है । बिष और कफ से पीड़ित मनुष्य को इससे वमन करना श्रेष्ठ उपाय है । इससे उसको श्राराम होता है ।
तितलौकी - कास, श्वास,
कटुतुम्बी कटुस्तीक्ष्णा वान्तिकृच्छ वास वातजित् । ( कासनी शोधनी शोफत्रणशूल विषापहा ॥ )
( रा० नि० ) वितलौकी - कटु, तीच्ण, वान्तिजनक, श्वास और वातनाशक ( कास निवारक, शोधक, तथा सूजन, व्रण, शूल और विषनाशक है । कटुम्बा हिमाद्या पित्तकास विषापहा । तिक्ता कटुविपाके च वातपित्त ज्वरान्तकृत् ।। ( भा० ) कड़वी तुम्बी वा तितलौकी शीतल, हृद्य है तथा यह पित्त, खाँसी और बिष को दूर करती है । यह स्वाद में कड़वी, विपाक में वरपरी, और वात पित्त ज्वर को दूर करती है । aggम्बी रसेपाके कटु द्या च शीतला । तिक्ता वान्तिकरी श्वास - कास- हृच्छोधनीमता ॥