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पुस्तकें मँगाने के नियम १. स्थायी ग्राहकों तथा साधारण ग्राहकों के लिए
१ - एक रुपया प्रवेश - फीस देकर कोई भी सज्जन मण्डल के स्थायी ग्राहक बन सकते हैं । स्थायी ग्राहकों को मण्डल से अबतक के प्रकाशित तथा आगे प्रकाशित होनेवाले ग्रन्थ पौने मूल्य में मिलते हैं । प्रवेश फीस का रुपया वापस नहीं लौटाया जाता है और न किसी हिसाब में मुजरा दिया जाता है। २ – स्थायी ग्राहकों को मण्डल के प्रकाशनों की एक-एक प्रति ही मूल्य में मिलेगी । एक से ज्यादा लेने पर चौथाई कमीशन के बजाय दो आना रुपया कमीशन दिया जायगा ।
पौने
३ – 'मंडल' के स्थायी ग्राहकों को प्रतिवर्ष की मण्डल से प्रकाशित पाँच रुपये की पुस्तकें अवश्य खरीदनी होंगी। एक साल न खरीदने पर दूसरे साल उनका नाम ग्राहक श्रेणी से अलग किया जा सकेगा । पर खास हालतों में रियायत करने का अधिकार मंत्री को रहेगा ।
४ – स्थायी ग्राहक बनने के लिए लाइब्रेरियों तथा शिक्षण-संस्थाओं से ग्राहक - फीस का १) नहीं लिया जायगा । पर यह जरूरी है कि उनका पहला आर्डर 'कमीशन काटकर' कम-से-कम २५) का हो। जो लाइब्रेरियाँ बिलकुल नई खुली हों अथवा नई खुलनेवाली हों उनको मालगाड़ी के वज्रन ( यानी १५ सेर) जितनी पुस्तकें मंगाने पर रेल किराया मण्डल देगा ।
- जब नई पुस्तकें प्रकाशित होती हैं तो पहले उनका विवरण और मूल्य आदि का एक सूचनापत्र स्थायी ग्राहकों के पास भेज दिया जाता है । ग्राहकों को चाहिए कि सूचना मिलते ही, यदि पुस्तकें मँगाना है तो, पुस्तकें पसन्द करके विवरण-पत्र के साथ भेजे जानेवाले कार्ड पर