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अपना आर्डर लिखकर भेज दें। यदि पुस्तकें न लेना चाहें तो तुरन्त ही उसी कार्ड पर अपनी इनकारी भेज दें। कृपया उसे अधिक दिन रोके नहीं।
६-स्थायी ग्राहक जब कभी पत्र-व्यवहार करें तो उन्हें चाहिए कि अपना ग्राहक-नम्बर अवश्य लिख दिया करें, जिससे उनके आर्डर पर कमीशन काटने में तथा दूसरी कार्रवाई करने में हमें सुविधा हो । २. दूसरे साधारण नियम
७-दूसरे प्रकाशकों की पुस्तकें जो मण्डल की दिल्ली तथा लखनऊ की दुकानों में बिक्री के लिए रहती हैं, उनपर साधारणतः मण्डल के स्थायी ग्राहकों को ६%, १२३% और १५% कमीशन दिया जायगा । बड़े आर्डर हों तो खास तौर से पत्र लिखना चाहिए।
८-१०) से अधिक या रेल से माल मँगाने पर जितने का आर्डर हो उसका एक चौथाई दाम पेशगी भेजना चाहिए। बिना पेशगी रुपया आये माल नहीं भेजा जायगा।
९–पत्र-व्यवहार हिन्दी में ही करना चाहिए और पता साफ़ लिखा होना चाहिए। रेल से माल मंगाना हो तो रेलवे स्टेशन का नाम अंग्रेजी रोमन अक्षरों ( A. B. C. ) में साफ़ लिखना चाहिए। ना
१०-२) रु० से कम की वी० पी० नहीं भेजी जायगी।
११--ग्राहकों के पास वी० पी० पहुंचने पर, उनको हमारे हिसाब में अगर कोई भूल मालूम हो तो वह कृपया वी० पी० वापस न करें। वी० पी० छुड़ाकर भूल की सूचना हमें दे दें। उनका पत्र आते ही भूल सुधार दी जायगी। थोड़ी-सी भूल के लिए वी० पी० लौटा देना ठीक नहीं है । इससे आपकी ही हानि होती है क्योंकि 'मण्डल' आपकी संस्था है और मण्डल की हानि आपकी ही हानि है। .. .