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नीलासोगसंकासा चासपिच्छसमप्यभा । वेरुलियनिद्धसंकासा नीललेसा उ वण्णओ ॥
(द्र द्रव्यलेश्या)
नैगम नय
१. भेद और अभेद को ग्रहण करने वाला दृष्टिकोण ।
भेदाभेदग्राही नैगमः ।
२. संकल्प को ग्रहण करने वाला दृष्टिकोण |
संकल्पग्राही च ।
नैपुणिक
१. सूक्ष्म ज्ञान का धनी ।
निपुणं सूक्ष्मज्ञानं तेन चरन्तीति नैपुणिकाः'
(उ ३४.५)
( भिक्षु ५.४)
( भिक्षु ५.५ )
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(स्था ९.२८ वृ प ४२८ )
२. नौंवा पूर्व - विद्यानुप्रवाद का अध्ययन । अथवा अनुप्रवादाभिधानस्य अध्ययनविशेषा एवेति । (स्था ९.२८ वृ प ४२८ )
नैरयिकायुष्क
आयुष्य कर्म की एक प्रकृति, जिसके उदय से जीव नारक अवस्था का अनुभव करता है। नारकाद्यायुः पुद्गलानामुदयेन नारकाद्यायुर्वेदयते ।
(प्रज्ञा २३.३७ वृ प ४६३) आयुरेवायुष्कं तत्र नरका उत्पत्तियातनास्थानानि पृथिवीपरिणतिविशेषास्तत्संबन्धिनः सत्त्वा अपि तात्स्थ्यान्नरकास्तेषामिदमायुर्नारकम्। (तभा ८.११ वृ पृ १४८)
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नैर्यात्रिक
वह धर्म, जो मोक्ष की ओर ले जाने वाला है।
(सूत्र १.८.११)
नैश्चयिक अर्थावग्रह
वह अवग्रह, जिसके द्वारा सामान्य का परिच्छेद होता है और जो एक समय की अवधि वाला है।
अवग्रहो द्विधा - नैश्चयिको व्यावहारिकश्च । तत्र नैश्चयिको नाम सामान्यपरिच्छेदः, स चैकसामयिकः शास्त्रेऽभिहितः । (तभा १.१६ वृ)
(द्र व्यावहारिक अर्थावग्रह )
जैन पारिभाषिक शब्दकोश
नैश्चयिक काल
वह सर्वव्यापी काल, जो प्रत्येक द्रव्य में होता है, जो परिणमन
होता है।
नैश्चयिकस्तु प्रतिद्रव्यं वर्तते तेन तस्य सर्वव्यापित्वम् । (जैसिदी १.३५ वृ)
नैश्चयिक नय
द्रव्य के समग्र रूप, सब पर्यायों को ग्रहण करने वाला दृष्टिकोण, जैसे- भौंरा पांच वर्ण वाला है। वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे पण्णत्ते ॥
...वावहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव अट्ठफासे पण्णत्ते ॥ (भग १८.१०७, १०८ ) तात्त्विकार्थाभ्युपगमपरो निश्चयः । यथा - पञ्चवर्णो भ्रमरः, तच्छरीरस्य बादरस्कन्धत्वेन । ( भिक्षु ५. १८ वृ)
(द्र व्यवहारनय)
नैषधिक
कायक्लेश का एक प्रकार । समपादपुता आदि निषद्याओं में बैठने वाला ।
नैषधिकः -- समपादपुतादिनिषद्योपवेशी।
(स्था ७.४९ वृ प ३७८)
नैषेधिकी
१. वह भूमि, जहां मुनि के शव का अंतिम संस्कार किया जाता है।
'नैषेधिक्यां वा' शवपरिष्ठापनभूम्याम् । (बृभा ५५४१ वृ) २. वह भूमि, जहां पर स्वाध्याय किया जाता है । 'णिसीहिया' सज्झायथाणं, जम्मि वा रुक्खमूलादौ सैव निसीहिया । (दअचू पृ १२६)
नैषेधिकी सामाचारी
स्थान में प्रवेश करते समय 'निस्सही' नैषेधिकी का उच्चारण करना ।
......ठाणे कुज्जा निसीहियं ।
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(उ२६.५)
नैसृष्टिकी क्रिया
किसी वस्तु के फेंकने से होने वाली कर्मबंध की हेतुभूत क्रिया ।
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