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और ख्या वा ॥ ८।२। १९५ ॥दे सम्मुखीकरणे च ॥ ८।२।१९६ ॥ हुँ दान-पृच्छा-निवारणे ॥ ८।२।१९७ ॥ हु सु निश्चय-वितर्क-सम्भावन-विस्मये ॥८११
अष्टाध्य ॥ २७ ॥
२॥ १९८ ॥ ऊ गोक्षेप-विस्मय सूचने ॥८।२।१९९ ॥ यू कुत्सायाम् ॥ ८।२।२०० ॥ रे अरे सम्भापण-रतिकलहे ॥ ८॥२॥ २०१॥ हरे क्षेपे च ॥८॥ २।२०२ ॥ ओ सूचना-पश्चाचापे ॥ ८।२।२०३ ॥ अव्वो सूचना दुःख-सम्भाषणापराध-विस्मयानन्दादर-भय-खेद विषाद-पश्चात्तापे ॥ ८।२।२०४ ॥ अइ सम्भावने ॥ ८।२ । २०५॥ वणे निश्चय-विकल्पानुकम्प्ये च ।। ८।२।२०६॥ मणे विमझें ॥ ८।२। २०७ ॥ अम्मो आश्चर्ये ॥ ८।२। २०८ ॥ स्वयं-१४ मोर्थे अप्पणो न वा ॥ ८।२।२०९॥ मत्येकमः पाडिकं पाडिएकं ॥ ८॥२॥२१० ॥ उअ पश्य ॥ ८।२।२११ ॥ इहरा इतरथा ॥ ८।२।२१२ ॥ एकसरिअंझगिति सम्मति ॥ ८।२।२१३ ॥ मोरउल्ला सुधा ॥ ८।२।२१४ ॥ दरार्धाल्पे ।। ८।२।२१५ ॥ किणो प्रश्ने ॥ ८।२।२१६ ॥ इ-जे-राः पाद | पूरणे ॥८।२ । २१७ ॥ प्यादयः ॥ ८ ॥ २ ॥ २१८ ॥ ॥ इत्याचार्यश्रीहेमचन्द्रसूरिविरचिते सिद्धहेमचन्द्राभिधानस्वोपज्ञशब्दानुशासने | अष्टमस्याध्यायस्य द्वितीयः पादः समाप्तः ॥ २॥ ॥ अहम् ॥ वीप्स्यात्स्यादेवीस्ये स्वरे मो वा ॥ ८॥३॥ १ ॥ अतः सेझैः ॥ ८ ॥३॥ २॥ वैतत्तदः | ॥८।३।३ ॥ जम्-शसोलुक् ॥ ८॥३॥ ४॥ अमोऽस्य ॥ ८॥३॥५॥टा-आमोणः ॥ ८॥३॥६॥ भिसो हि हि हिं॥४॥३७॥ उसेस् चो-दो-दु-हि हिन्तो लुकः ॥ ८।३।८॥ भ्यसस् चो दो दु हि हिन्तो मुन्तो ॥ ८॥३॥९॥ उसः सः ॥ ८।३।१०॥ डे म्मि ॥ ८॥ ३ ॥ ११ ॥ जस्-शस्-सितो दो-द्वामि दीर्घः॥ ८॥३॥ १२ ॥ भ्यसि वा ॥८॥३॥ १३ ॥ टाण-शस्येत् ॥ ८॥ ३ ॥ १४ ॥ भिस्भ्यस्सुपि ॥ ८।३।१५॥ इदुतो दीर्घः ॥ ८।३।। १६ ॥ चतुरो वा ॥ ८॥३॥ १७॥ लुप्ते शसि ॥८॥३॥ १८ ॥ अक्लीवे सौ॥८॥३॥ १९ ॥ पुंसि जसो डउ डओ वा ।। ८।३।२०॥ वोतो डवो ॥८॥ । ३॥ २१ ॥ जस् शसो! या ॥ ८॥ ३ ॥ २२ ॥ सि-उसोः पुं-वली वा ॥ ८॥३॥ २३ ॥ टोणा ॥ ८॥ ३ ॥ २४ ॥ वत्रीचे स्वरान्म् सेः ॥ ८ ॥ ३ ॥ २५ ॥ अम् शस इ ई-णयः समागदीर्घाः ॥८॥३॥ २६ ॥ खियामुदोती वा ॥ ८॥ ३ ॥ २७ ॥ इतः सेवा वा ॥ ८॥ ३ ॥ २८ ॥ टा-ङस्-डेरदादिदेवा तु उसेः ॥ ८। ३ ॥ २९ ॥ नात आत् ॥ ८ ॥ ३ ॥ ३० ॥ प्रत्यये छीन वा ॥ ८ ॥ ३ ॥ ३१ ॥ अजातेः पुंसः ॥८॥३॥३२॥ किं-यत्तदोस्यमामि ॥ ८ । ३।३३॥ छाया-हारिद्रयोः॥८॥ ३॥३४॥स्वसादे ॥८॥३।३५।। इस्वोमि।।८।३।३६॥ नामन्ध्यात्सौ मः॥८॥३॥३७॥ डोदी? वा ॥८३८॥ऋतोद्वा ॥८॥३॥३२॥ नाम्न्यरं वा॥८३॥४०॥वाप ए श४१॥ ॥ इंदूतोईस्वः॥८॥३॥ ४२ ॥ किपः ॥ ८।३। ४३ ॥ ऋतामुदस्पमौनु वा ॥ ८॥३॥ ४४ ॥ आरः स्यादौ ॥ ८॥३॥ ४५ ॥"आ अरा मातुः ॥ ८।३।।
४६ ॥ नाम्न्यरः ॥८।३।४७ ।। आ सौ न वा ॥ ८।३। ४८ ॥ राज्ञः ॥ ८१३ । ४९ ॥ जस्-शम् उसि-उसा णो ॥ ८॥३॥५०॥ टोणा ॥ ८॥३॥5 १५१॥ इर्जस्य णो-णा-उौ ॥ ८।३।५२ ॥ इणममामा । ८।३। ५३ । ईनिस्भ्यसाम्मुपि ॥ ८॥३॥ ५४॥ आजस्य टा-उ-सि-उस्सु सणाणोष्वण ॥10॥२७