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भीमश०
Aasad
कस्तूरी देहली मौय॑तिभ्यासन्दीरेय्यः शष्कुली द्रुपy ॥ ३२ ॥ कर्णान्दुकन्छु तनू रज्जुचक्षुलायुर्जुहः सीमधुरौ स्फिर्गवाक् ॥ द्वाघोंदिवौ मुक्त्वगृचः शरद्वाश्छदिर्दरपामपदृशो नौः ॥ ३३॥ ॥ इति स्त्रीलिजाः ॥ नलस्तुतत्तसंयुक्तररुयान्तं नपुंसकम् ॥ वेधआदीन चिना सन्तं द्विस्वरं मन्नकर्तरि ॥१॥ धनरत्ननभोऽनहुपीकतमोपुराणाऊणशुल्कशुभाम्बुरुहाम् ॥ अघगूथजलांशुकदारुमनोविलपिच्छधनुर्दलतालहृदाम् ॥ २ ॥ हलदुःखसुखागुरुहिगुरुचत्वचभेपजतुत्यकुसुम्भदृशाम् ॥ भी प्राण्याला ॥ आसन्दी पेगासनम् ॥ झरेगी पागसम् ॥ शकुली अनद. ॥ अयोदन्ता ॥ पशु कुठभेद ॥ पर्यु पारिथ ॥ ३२ ॥ कर्णान्दुररिक्षाप्तिका ॥ फच्छु' पामा ॥ तनु काय ॥ रज्जुर्गुण. ॥ अर्थप्राधान्यावरणापि ॥ पातुः पक्षिगुसायम् ॥ यागु-शिरा ॥ शह गुम्भेदः ॥ सीमा मर्यादा ॥ भू शकटाशम् ॥ स्फिग् क्षुतम् ॥ गर्वाक् अवान्तरम् ॥ द्वार द्वारम् ॥ घोदिपितो स्वीकाशगापिनो गोकारानापन्तौ ॥ शुग होगभार ॥ वा पार्ग कल ॥ वल्कले पार्थप्राधान्यात् उजिरपि ॥ पग गाग यादि. ॥ एते गयोऽपि चन्ता ॥ शरत् पातुविशेष गर्पा ॥ पा. पारि ॥ चित् शीयपमपि ॥ छर्दिन्ति ॥ चरण ग्लेनिशेषः ॥ पामा करलू ॥ परपापाणः ॥ एग् लोचनम् ॥ नौसारी ॥ ३३ ॥ इति सीलि समाप्तम् ॥ नान्त लान्तं स्वन्त तान्तं शामा सयुका ये रगास्तदन्त प नपुसकलिङ्ग सात् ॥ नान्तमणिग चमेगादि ॥ लान्त, चवालं समाए । पलं पाफलम् ॥ सवन्तं गस्तु राय पदार्थ ॥ मस्तु दधिनिसन्द ॥ तान्त शीतमनुष्णम्, अनुवमा मिलादि । सान्त भितं शकलम्, निगि हेरिणादि ॥ तस्य सगुफस्य गृधगुपन्यासात्पूर्वेऽसंयुक्ता गृणन्ते ॥ सयुफरान्तम् अग्न पुर. अधिक च ॥ गो नाम कुर क्षेग पशु सक्षमो भातुः । इत्यादि । संयुफरशब्दान्तम् श्मधु कूर्चम् इत्यादि । सयुक्तयान्त शरण लक्ष्य वेणं च । साशाय्य हव्यमित्यादि ॥ वेधसूप्रभृतीन वर्जवित्या सकारान्त दिस्वर गपुसकम् ॥ इस रक्ष निशाचर' ॥ उप प्रभात संध्यागो तु पुसी ॥ तप कृयाचरणम् ॥ माघे पुनपुसकम् ॥ रजो रेणु । पुंसीति गौउ ॥ जोपान्त्योऽयम् ॥ यादो जलचर ॥ रोचि शोचिष वीसी ॥ वेध आदीनिति निम् । गेधा पुगो विष्णुपिविध ॥ सहा हेमन्त ॥ नभा मेघावि. ॥ शोका गाश्रग ॥ गोफस्य तु कान्तत्वात्पुस्त्यम् । पूर्वापवादो योग । तेनाम्भ सोतो गाद इणादीनां गणादिनामणेऽपि सीयत्वमेव ।। गुणवतरणाचगलिशता परस्यात् ॥ हिस्सरमिति अनुवर्तते, अकसरि विहितो यो मन्तदन्त नाम नपुसकम् ॥ धाम तेज । वर्म प्रमाण पारीर ॥ तम यूपानम् । परम गार्गः ॥ करीरीति किम् ॥ वदाीति यामा ॥ करोगीति नामा ॥ १॥ धनादीनां नाम गपुसकम् ॥ धनगाम, नविण या इत्यादि ॥ रन माणिकमिलयादि ॥ नमो पिगदिशादि । जग सिपय भक्तम् ॥ एपीकम् इन्मुिगम् अक्षम् ॥ तमोऽवतमसम् इत्यादि । दिगम्वरस्य तु बालकार पुस्गम् । घुसृणम् कुम्फुम । पुंसीति वाचस्पति ॥ कश्मीरणम् एत्याधि ॥ अक्षणम् प्राङ्गणम् अशिरम् । इत्यादि । शुल्कम् आरगालम् तुपोदकमित्यादि । शुभम् गा श्रेषसम् करगाणमित्यादि ॥ शम्भावपि निश्शेयसशब्दो वाहुलकार नपुसफः ॥ अमारहम् गन्जम् कुशेशगम् एखादि ॥ अम्गुरुवाचिनां नलिनाम्गुजपाकमलनालीकाना पुगपुसफरयम् ॥ अघम् पापम् । गृथम् गशुचिः ॥ जलम् सलिलम् कीलालम् क्षीरम् । दधिसारयाणयोस्तु पुनपुसकरुपम् ॥ गोउ धनरसस्यापि ॥ परणस्य तदापिनो वाहुलकार पुरवम् ॥ अशुफम् राम् ॥ दार काठम् ॥ कायान्तापात्पूसिकाएमपि ॥ सरलो देवदारु दुमौ ॥ एवस्तु घणन्तरवेन समिधरतु न्युफ्तयार सीपम् ॥ मगो मागसमित्यादि । यिलम् राग इलादि । पिजाम् पतपम् परम् । तनूराहगरवस्तु पुनपुसफा ॥ धनु कार्मुकम् । पिनाककोदण्डगाण्डी पुनपुसकरवम् ॥ दणम् फिसलगम् ॥ तालु काकुवम् ॥ तव उपयम् । यक्ष. पुनपुसकम् ॥ २ ॥ हलग लालम् ॥ दु राम् कष्टम् ।। सुखवार्म ॥ सुसादीनां गुणवृत्तेस्वाश्चय। सुखा ॥ अगुरु लोहम् ॥ हिशु सहसपोधि ॥ रचम् जीवरम् ॥ त्वचम् गन्धागविशेषः ॥ तुस्थम् चक्षुग्गो व्यविशेषः ॥ भेषणम् शमनम् ॥ गोपधस्तु पुनपुसक. ॥ कुसुम रणतम् ॥ कुसुभस्तु पुगपुसकः ॥ अक्षि, ईक्षणम् । एग रतिः सीलिये ॥ मरिचम् पेरहणम् ॥ अस्थि कीकसम् ॥ शिलाभ शिलागा. सार निस्पन्द शैलेयसज्ञम् ।
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