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त्रुटिदिनान्दी किकिः कुक्कुटिः काकलिः शुक्तिपती ॥ २६ ॥ किखिस्ताडिकम्बी युतिः शारिरातिस्तटिः कोटिविष्टी वटिष्टिवीथी॥ दरि भेरी शरारिस्तुरिः पिण्डिमाढी मुपण्डिः ॥ २७॥ राटिराटिरटविः परिपाटिः फालिगालिजनिकाकनिकानि ॥ चारिहानिवलभि अधिकम्पी चुल्लिचोकम् ॥ कव-... शाणी ॥ २८ ॥ सनिः सानिमेनी मरिारिरथ्योषधी विधिल्लिरिः पारिरभ्रिः॥ शिरोधिः कविः कीर्तिगन्त्रीकवयः कुमार्याढकी स्वेदनी हादिनीली ॥२९॥१५॥ इमरी कर्तरीस्थग्यपट्यः करीयेंकपद्यक्षवत्यः प्रतोली ॥ कृपाणीकदल्यौ पलालीहसन्यौ वृसी गृध्रसी घर्घरी कपरी च ॥ ३०॥ काण्डी खल्ली मदी धटी गोणी खण्डर ल्येपणी गुणी ॥ तिलपर्णी केवली खटी नधीरसवत्यौ च पातली ॥ ३१॥ बाली गन्धोली काकली गोष्ठयजाजीन्द्राणी मत्स्यण्डी दामनी शिअिनी च ॥ शनी
कमि लमः ॥ वापि कूप ॥धूलि पाशुः ॥ कृपिः कर्षणम् ॥ उपलक्षण चेद किप्रत्ययान्तानाम् । तेन छिदिभिदिविष्यादयोऽपि सिद्धाः ॥ स्थालिरखा ॥ हिण्डि रात्रौ रक्षाचारः ॥ त्रुटि सशयेऽल्पेऽपि ।। वेदियशोपकरणी भूः ॥ नान्दि पूर्वरङ्गाजम् ॥ ककि. पक्षविशेप.॥ कुकुटि कुहनी ॥ काकलिध्वनिविशेष ॥ शुक्ति. कपालशकले। पक्तिर्दशसंख्या ॥२६॥ किसि. कालस्य गोनविशेप. ॥ ताडिराभरणविशेषः ॥ कम्बिदवि. ॥ युति कान्ति. ॥ शारिरक्षोपकरणम् ॥ आति शरारिः ॥ तटि. नद्यादौ जलास्फोटनस्थानम् ॥ कोटिरग्रम् ॥ विष्टिभद्रा ॥ वटिगुलिका | गृष्टिमानविशेष ॥ वीथि. पड्क्त्यादिषु ॥ दरिः कन्दरा ॥ वल्लरिमायौं एकार्थे । पुखि. सहति. ॥ भेरि. वाद्यम् ॥ शरारिरादिः ॥ तुरिस्तन्तुवायोपकरणम् ॥ पिण्डिनिष्पादितनेहपिण्डः ॥ मादि. पत्रवसा ॥ मुपण्तिरायुधविशेष. ॥ २७ ॥ राटिः कलहः ॥ आदि. शरारि ॥ अटविः अरण्यम् ॥ परिपाटि. क्रम ॥ फालिदलम् ॥ गालिरवद्योजावनम् ॥ जनिर्जन्म ॥ काकिनिर्मापचतुर्भाग. ॥ कानि सकोच.॥ चारि. पशुभ
क्ष्यम् । हानिरर्थनाशः ॥ वलभि. पटलाधारो वशपक्षर ॥ इदन्तत्वात् डयां वलभी ॥ अर्थप्राधान्यात् गोपानसी ॥ प्रधि रोगविशेष. ॥ कम्पि कम्पनम् ॥ चुचिरद्धानम् ॥ चुण्टि क्षुदयापी । S तरिः नीः ॥ अर्थप्राधान्यात् द्रोण्यपि ॥ अहतिदानम् ॥ शाणिः शाण. ॥ २८ ॥ सनियांचा । सानिर्वसभेदः ॥ मेनि सकल्प ॥ मरिमारिश मरकम् ॥ अधि. कोटिः ॥ ओपधिरोपधम् ॥
विधि रोगविशेष. ॥ झहरिवोद्यविशेप ॥ अर्थप्राधान्यात् कलरिरपि ॥ पारिस्तैलाद्याधार. ॥ अनि खनिन्नम् ॥ शिरोधि. कन्धरा ॥ कवि खलीनम् ॥ कीर्तिर्यश ॥ अथेदन्ता ॥ गन्त्री शकटिका ॥ कयरी वेणि. ॥ कुमारी रामतरुणी ॥ आठकी धान्यभेद ॥ अर्थप्राधान्यात् तुबर्यपि ॥ स्वेदिनी कण्डू. ॥ हादिनी वज्रम् ॥ ईली एकधारोऽसि ॥ २९ ।। हरणी स्वर्णप्रतिमा । अश्मरी मूत्रकृच्छ्रम् ॥ कर्तिनी त'. ॥ स्थगी ताम्बूलकरङ्गः ॥ अपटी काण्डपट ॥ करीरी करिदन्तमूलम् ॥ एकपदी मार्ग ॥ अर्थप्राधान्यात्पदविरपि ॥ अक्षवती यूतम् ॥ प्रतोली विशिखा ॥ कृपाणि कर्तरि ॥ अर्थप्राधान्यात्कर्तर्यपि ॥ कदली पताका ॥ पलाली क्षोद. ॥ हसनी अङ्गारशकटी ॥ अर्थप्राधान्यात् हसन्त्यपि ॥ वृसी मतिनामासनम् मूर्धन्योपान्त्यो दन्त्योपान्तश्च ॥ गृध्रसी उत्सधी
वातरक् ॥ धर्धरी किकिणी ॥ कर्परी तुस्थाञ्जनम् ॥ अर्थप्राधान्याइर्विकापि ॥ ३० ॥ काण्डी वेदविषयो ग्रन्थ ॥ खल्ली हस्तपादावमर्दनाख्यो रोग. । मदी कृषिवस्तुविशेषः ॥ धटी वखखण्डम् ॥ 2 गोणी धान्यभाजनविशेष. ॥ अर्थप्राधान्यात् कण्ठालापि ॥ खण्डोली सरसी तैलमानं च ॥ एपणी वैद्यशलाका ॥ अर्थप्राधान्यात् नाराच्यपि ॥ तुणी वर्णजलौका ॥ तिलपर्णी रक्तचन्दनम् ॥ पर्यPiन्तत्वेन मापपर्णीत्यायपि ॥ केवली ज्योति शासम् ॥ खटी सटिनी ॥ अर्थप्राधान्यात् कप्कटी कठिन्यामपि ॥ नधी वधी ॥ रसवती महानसम् ॥ पातली वागुरा ॥ ३१ ॥ बाली कर्णभूपणम् ॥
कप्रत्यये वालिका सिकता ॥ गन्धोली क्षुद्रजन्तु. ॥ काकली ध्वनिविशेष ॥ गोष्ठी सभा सलापश्च ॥ अजाजी जीरक ॥ इन्द्राणी करणविशेष. सिन्दुवारश्च ॥ मत्स्यण्डी शर्कराभेद. ॥ अर्थप्राधान्यात् मारस्यण्डी मीनाण्डी च ॥ दामनी पशुरन्छ । शिञ्जिनी ज्या ।। शृङ्गी स्वर्णविशेप॥ कस्तूरी मृगमद ॥ अर्थप्राधान्याद्योजनगन्धापि ॥ देहली गेहद्वाराग्रस्थली ॥ मौर्वी ज्या ॥ अति
सvere