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प्राविका धूका कालिका दीधिकोष्टिका ॥ १२ ॥ श(शि)लाका वालुकेपीका विहडिकेपिके उखा ॥ परिखा विशिखा शाखा शिखा भडा सुरयास ॥ कवर १. चञ्चा कच्छा पिच्छा पिञ्जा गुजा खजा प्रजा ॥ झञ्झा घण्टा जटा घोण्टा पोटा भिस्सटया छटा ॥ १४ ॥ विष्ठा मजिष्टया काष्ठा पाठा शुण्डा गुडौ ५॥
वेडा वितण्डया दाढा राढा रीढाऽवलीढया ॥ १५॥ घृणोर्णा वर्वणा स्थूणा दक्षिणा लिखिता लता ॥ तृणता त्रिवृता त्रेता गीता सीता सिता चिता ॥ २६-२ मुक्ता वार्ता लूताऽनन्ता प्रस्ता मार्जिताऽमृता ॥ कन्था मर्यादा गदेक्षुगन्धा गोधा स्वधा सुधा ॥ १७ ॥ साता सूना धाना पम्पा झम्पा रम्पा प्रपा शिफा ॥ कम्बा भम्भा सभा हम्भा सीमा पामारुमे उमा ॥ १८॥ चिसा पद्या पर्या योग्या छाया माया पेया कक्ष्या ॥ दृष्या नस्या शम्या संख्या रथ्या कुल्या ज्या मजल्या ॥ १९ ॥ उपकार्या जलारा प्रतिसीरा परंपरा ॥ कण्डराऽसन्धरा होरा वागुरा शर्करा शिरा ॥ २० ॥ गुन्द्रा मुद्रा क्षुद्रा भद्रा भला छत्रा यात्रा मात्रा ॥ दंष्ट्रा फेला जलूकाऽपि ॥ प्राविका श्येन ॥ धूका पताका ॥ कालिका क्षारविशेष कीटश्च ॥ दीर्घिका परिवा ॥ उष्ट्रिका अलिअर । अर्थप्राधान्यान्नन्दापि ॥ १२ ॥ शलाका चित्रकूर्चिका ॥ वालुका सिकता ॥ वायुकान्तत्वाद्धिमवालुकापि कर्पूरे ॥ इषीका वीरणशलाकाविशेष ॥ विहझिका भारयष्टिः ॥ ईपिका गजाक्षिकूटम् ॥ उखा स्थाली । परिखा खेयविशेष ॥ विशिखा प्रतोली। शारा भुज ॥ शिसा चूढा ॥ भला तृणधान्यम् ॥ सुरक्षा गूढमार्ग. ॥ अर्थप्राथान्यात् । सधिलापि ॥ १३ ॥ जधानविशेष ॥ चचा तृणमयः पुरुषः । कच्छा कच्छोटिका | अर्थप्राधान्यात् कच्छाटिकापि ॥ पिच्छा काचिकम् ।। पिझा तूलम् ॥ गुजा पटह ॥ खजा मन्थ दर्विश्च । अर्थप्राधान्यात् खजाकापि ॥ प्रजा लोक ॥ शम्मा सशीकरो मेघवात ॥ घण्टा वाद्यविशेष । अर्थप्राधान्यात् किकिणीक्षुद्घण्टिके अपि ॥ जटा कचविकार ॥ घोण्टा पदरीफलम् ॥ पोटा शण्ड । अर्थप्राधान्यात् तृतीयाप्रकृतिरपि ॥ भिस्सटा दग्धिका ॥ छटा समूहविशेष ॥ १४ ॥ विष्टा पुरीपन् । मञ्जिष्टा रागद्रव्यविशेषोऽर्थप्राधान्यात् अरुणापि ॥ काष्टा मर्यादा ॥ पाठा औषधविशेष ॥ शुण्डा करिहस्त ॥ गुदा स्नुही । गुडिकापि च ॥ जडा शूकशिम्बी ॥ वेडा नौ ॥ वितण्डा वा| दभेद ॥ दावा दष्ट्रा ॥ राढा शोभा । रीठा अवहेला ॥ अवलीयापि ॥ १५॥ घृणा निन्दा ॥ ऊर्णा मेपरोम ॥ पर्वणा मक्षिका ॥ स्थूणा गृहादीनामुत्तम्भनकाष्ठम् ॥ दक्षिणा यशदानम् ॥ लिखिता लिपि ॥ तृणता चापम् ॥ त्रिवृता औषधि । अर्थप्राधान्यादरुणादयोऽपि तत्पर्याया' । त्रेता युगविशेष ॥ गीता शास्त्रविशेष ॥ सीता लागलपद्धति ॥ सिता शर्करा । अर्थप्राधान्यात्कठिन्यपि ॥ चिता मृतकदाहाय काठशय्या ॥ १६ ॥ मुक्ता मौक्तिकम् । वार्ता वृत्तिः ॥ लूता ऊर्णनाभ ॥ अनन्ता दूर्वा ॥ प्रसृता जड्या ।। मार्जिता शिखरिणी ।। अर्थप्राधान्यात मर्जिताशिखरिण्यावपि ॥ अमृता पच्या गुडूची च ॥ कन्था स्यूतजीर्णवमाप्रावरणम् ॥ मर्यादाऽवधि ॥ गदा प्रहरणविशेष ॥ इक्षुगन्धा कोकिलाक्षे गोक्षुरकाशझोष्ट्रीषु ॥ गोधा दोखाणं प्राणिविशेपश्च । पुध्वजोऽपि ॥ गोधान्तत्वात् तृणगोधा कृफलास ॥ स्वधा पितृदानाओं मन्त्रविशेष । सुधा पीयूष लेपन च ॥ १७ ॥ साना गोगलचर्म ॥ सूना घातस्थानम् ॥ धाना भ्रष्टययोऽरश्च ॥ पम्पा सरोवरविशेष | झम्पा उचादध पतनम् ॥ रम्पा चर्मकृदुपकरणम् । प्रपाऽम्युशाला । अकर्तरि क स्पादिति पुस्त्वे प्राप्तेऽस्य पाठ । शिफा तरुजटा। कन्वा कम्बि । भम्भा भेरी । सभा बृन्दम् सभासदश्च । एम्भा गोध्वनि । अर्थप्राधान्यादम्भापि । सीमा मर्यादा । पामा कण्डू' । अर्थप्राधान्याद्विचर्चिकापि । रुमा लवणाफर । उमा कीर्ति. ॥ १८ ॥ चिल्या चिता । पद्या मार्ग ।। पर्या क्रम । सहयोगे सपर्या पूजा । योग्याभ्यास । छाया शोभातम प्रतिविम्येषु पालनोरकोचयो पक्त्यर्कयोपिस्कान्त्यादिषु च । माया दम्भः । अर्थप्राधान्यात् शाम्बरी । पेया ऋत दुग्धादि । कक्ष्या काशी इम्यादमध्यभागश्च । बूण्या रज्जु' । नस्या वृषादीनां नासारज्जु । पाम्या युगकीलकः । सध्या चिन्तामर्यादादिषु । रध्या रथानां समूह प्रतोली पन्थाश्च । कुल्या सारणि । ज्या मूर्थी । मजल्या मल्लिकागन्ध्यगुरुश्च ॥ १९॥ उपकार्या नृपमन्दिरम् । अर्थप्राधान्यादुपकारिकापि । जलाही आईवस्त्रम् । इरा जलमग्न गीश्च । प्रतिसीरा जवनिका । परपरा परिपाटि सन्तानकश्च ।
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