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________________ ६७ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार रखना। अर्थात् पूजा मत करना। (आजकल) ऐसी योग्यता नहीं है। इसलिए मन से पूजा करना। ६८ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार और यह पति ! पति का तुझे डर नहीं लगता। उस पति को ऊपर से तू धमकाती रहती है! बाघ जैसे पति का कचूमर कर देती है! इसलिए पत्नी से कहना कि 'तुझे मुझसे जितना लड़ना हो उतना लड़ना। मुझे तो दादा ने लड़ने को मना किया है, दादा ने मुझे आज्ञा दी है। मैं यहाँ बैठा हूँ, तुझे जो कुछ कहना हो कह डाल।' ऐसा उसे कह देना। प्रश्नकर्ता : लेकिन बोलेगी ही नहीं न फिर। दादाश्री : दादा का नाम आते ही चुप हो जाए। दूसरा कोई हथियार इस्तेमाल मत करना। यही हथियार इस्तेमाल करना। एक बहन ने तो मुझे बताया था कि, 'शादी हुई तब वे बड़े अकड़ते थे।' मैंने पूछा 'अब?' तब कहे, 'दादाजी, आप सारा स्त्री चरित्र जानते हो, मुझसे क्यों कहलवाते हो?' उन्हें मुझसे कोई सुख लेना हो तब मैं उनसे कहती हूँ, 'भाईसाब कहिए।' अर्थात् वह उससे भाईसाब कहलवाती तब (विषय के लिए लाचारी करवाती)! 'उसमें मेरा क्या दोष? पहले वे मुझसे भाईसाब कहलवाते थे और अब मैं उससे भाईसाब कहलवाती हूँ।' ये अमलदार भी ऑफिस से थककर घर आएँ न, तब बाईसाहब क्या कहती हैं? कि 'डेढ़ घण्टा लेट हए, कहाँ गए थे?' देखो! उसकी बीवी एक बार उसको धमकाती थी। तब ऐसा शेर जैसा आदमी, जिससे सारा गुजरात डरता, उसे भी डराती थी देखो न ! सारे गजरात में जिसका कोई नाम नहीं ले सकता, उसका उसकी बीवी ही नहीं सुनती और उसे धमकाती रहती थी! फिर मैंने उसे एक दिन पूछा, 'बहन, तुम्हारा पति है वह तुझे अकेली छोड़कर दस-पंद्रह दिन बाहर जाए तब?' तब बोले, 'मुझे तो डर लगता है।' 'किसका डर लगता है?' तब कहती है, 'भीतर दूसरे रूम में गिलास खड़के न, तब भी मेरे मन में ऐसा लगता है कि भूत आया होगा!' एक चुहिया गिलास खड़काये तब भी डर लगता है एक व्यक्ति तीन हजार की घोड़ी लाया था। रोजाना तो वैसे घोड़ी की सवारी बाप करता था। उसका चौबीस साल का बेटा था। एक दिन बेटा घोड़ी पर सवारी करके तालाब पर ले गया। उस घोड़ी के साथ ज़रा छेड़खानी की! अब तीन हजार की घोड़ी, उसके साथ छेड़खानी करना कितना योग्य है! उसके साथ छेड़खानी नहीं कर सकते। उसको उसकी चाल से ही चलने देना पड़े। उसने घोड़ी की छेड़खानी की तब घोड़ी तेजी से अगले दोनो पैरों पर खड़ी हो गई और वह लड़का गिर पड़ा। अब वह घर आकर क्या कहने लगा कि 'इस घोड़ी को बेच दो, घोड़ी खराब है।' उसे बैठना नहीं आता और घोड़ी की गलती निकालता है! देखो, यह उसका मालिक! फिर मैंने कहा, 'हाँ, वह घोड़ी खराब थी, यह तीन हजार की घोड़ी!' अरे, तुझे सवार होना नहीं आता, इसमें घोड़ी को क्यों बदनाम करता है? घोड़ी पर सवारी करना नहीं आनी चाहिए? घोड़ी को बदनाम करते हो? एक बार पति यदि पत्नी का प्रतिकार करेगा तो उसका प्रभाव ही नहीं रहेगा। हमारा घर ठीक से चल रहा हो, बच्चे अच्छी तरह से पढ़ रहे हों, किसी बात की झंझट नहीं हो और हमें पत्नी का उल्टा देखने में आया और बिना वजह प्रतिकार करें, तब हमारी अक्ल का नाप स्त्री निकाल लेती है कि इसमें कुछ बरकत नहीं है। तुम्हें स्त्रियों के साथ 'डीलिंग (वर्तन)' करना नहीं आता। तुम व्यापारियों को यदि ग्राहकों के साथ डीलिंग करना नहीं आए तो वे तुम्हारे पास नहीं आयेंगे। इसलिए हमारे लोग कहते है न कि 'सेल्समेन अच्छा रखो।' अच्छा, होशियार सेल्समेन हो तो लोग थोड़ी ज्यादा क़ीमत भी दे देंगे। इस प्रकार हमें स्त्री के साथ 'डीलिंग' करना आना चाहिए। यह तो स्त्री जाति की वजह से जगत का यह सब नूर है वर्ना घर में साधु से भी बुरा हाल आपका होता। सवेरे झाड़ ही नहीं निकला होता!
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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