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योगसार प्रवचन (भाग-२)
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मुमुक्षु : किसी प्रकार ढीला रखे ऐसा नहीं?
उत्तर : तो इस लोहे को करो, थोड़ा न निपटता हो तो थोड़ा ढीला करो परन्तु सत्य में ढीला किस प्रकार रखा जाए। लहंतु अर्थात् समझे? पोला... पोला... ढीला करो। आहा...हा...! भगवान तुझमें ढीले की बात ही नहीं है । आहा...हा...! तू अकेले वीर्य का पिण्ड है। यदि वीर्यगुण से देखे तो अकेला वीर्य का पिण्ड है। ज्ञान से देखे तो अकेले ज्ञान का पिण्ड है। आनन्द से देखे तो अकेला आनन्द का पिण्ड है। आहा...हा...! समझ में आया? ऐसा गुणपुञ्ज आत्मा। गुणपुञ्ज आत्मा है। कहा है न, सिद्धान्त प्रवेशिका में! द्रव्य किसे कहते हैं ? गुणों के समूह को (द्रव्य कहते हैं)। समूह कहो या पुञ्ज कहो । गुण का पुञ्ज, अनन्त गुण का ढेर। है ? जत्था कहते हैं ? हिन्दी में ढेर... ढेर... । और गुण किसे कहते हैं ? लो, इसमें है, रात्रि में कहा था। गुण किसे कहते हैं ? द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में और सर्व अवस्थाओं में रहे, उसे गुण कहते हैं । एक ही सिद्धान्त ले लिया। उसकी किसी भी दशा में वह गुण काम करता है। गुण प्रत्येक दशा में है। उस दशा में पर है तो दशा है? समझ में आया? ऐसा सीधा-सादा सिद्धान्त है । गुण सर्व भाग में और सर्व अवस्थाओं में (रहता है)। गुण-भाव तो अपना है और द्रव्य का भाव है, द्रव्य में भाव है, क्षेत्र वह सर्व भाग में आ गया; सर्व अवस्थाओं में काल आ गया। द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव चारों आ गये। आहा...हा...! शास्त्रकार की कथन पद्धति अलौकिक! दिगम्बर सन्तों की पद्धति ही कोई अलौकिक है ! एक-एक शब्द में पूरा सिद्धान्त उसमें भर दिया है। समझ में आया? श्वेताम्बर शास्त्र देखो तो कहीं यह बात नहीं है, ऐसी बात नहीं है। इस बात का स्वरूप ही बदल डाला है, स्वरूप बदल डाला है। हैं? यह तो सर्वज्ञ ने देखा, सर्वज्ञ ने कहा, ऐसा है। ऐसा अनुभव में आता है, ऐसा ही आता है। ऐसी चीज है। आहा...हा...! यह आ गया है न? 'प्रगट अनुभव आपका' पहले पिच्यासी में कह गये हैं, प्रभु! तू अनुभव कर तो तुझे ऐसा ही लगेगा। हम कहते हैं, वैसा ही तुझे ज्ञात होगा।
जब सर्व चिन्ताएँ मिटें तब ही मन स्थिर होकर सङ्कल्प-विकल्प रहित होकर अपने आत्मा के शुद्धस्वरूप का मनन कर सकता है। निर्ग्रन्थपने में अधिक ऐसा होता है। पहले ग्रन्थीभेद है, वह ठीक है, परन्तु ग्रन्थीभेद के अतिरिक्त दूसरी ग्रन्थी रहती है, उसे छोड़कर निर्ग्रन्थ (होता है)। पहले तो ग्रन्थीभेद हुआ, इस अपेक्षा से दृष्टि से