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तिवासपरियाए समणे णिग्गंथे तीसंवासपरियायाए समणीए णिग्गंथीए कप्पई उवज्झायत्ताए उदिसित्तए ॥१९॥
पंचवासपरियाए समणे निग्गंथे सहिवासपरियायाए समणीए निगंथीए कप्पइ आयरियत्ताए उदिसित्तए ॥२०॥ ___गामाणुगाम दुइज्जमाणे भिक्खू य आहच्च वीसभेजा तं च सरीरंग केइ साहम्मिए पासेज्जा कप्पइ से तं सरीरगं न सागारियमिति कटु थंडिले बहुफामुए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिहवेत्तए, अस्थि य इत्थ केइ साहम्मियसंतिए उवगरणजाए परिदरणारिहे कप्पइ से सागारकडं गहाय दोच्चंपि ओग्गहे अणुण्णवेत्ता परिहारं परिहरित्तए ॥२१॥
सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउनेज्जा, से य वक्कइयं वएज्जा इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा णिगंथा परिवसंति से सागारिए परिहारिए. से य नो वएज्जा वक्कइए वएज्जा से सागारिए परिहारिए, दोवि ते वएज्जा दोवि सागारिया परिहारिया ॥२२॥
. सागारिए उवस्सयं विक्किणिज्जा से य कइयं वएज्जा इममि य इमंमि य ओवासे समणा णिग्गंथा परिवसंति, से य सागारिए परिहारिए, से य नो वएज्जा. कइए वएज्जा से सागारिए परिहारिए. दोचि ते वएज्जा दोवि सागारिया परिहारिया ।।
विवधूया नायकुलवासिणी सावि यावि ओग्गहं अणुन्नवेयन्वा किमंग ! पुण पिया वा भाया वा पुत्ते वा सेवि यावि ओग्गहं ओगिहियव्वे ॥२४॥
पहेवि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वे ॥२५॥
से रज्जपरियट्टेसु संथडेमु अब्बोगडेम्स अवोच्छिन्नेसु अपरपरिग्गहिएम -सच्चेव ओग्गहस्स पुवाणुन्नवणा चिट्टइ अहालंदमवि ओग्गहे ॥२६॥
से रज्जपरियझेस असंथडेस वोगडेसु वोच्छिन्नेसु परपरिग्गदिएमु भिक्खुभावस्स अट्टाए ओग्गहे अणुन्नवेयव्वे सिया ॥२७॥
॥ ववहारे सत्तमो उद्देसो समत्तो ॥७॥