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दित्तचित्तं भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स -गणावच्छेयगस्स निज्ञहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विष्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुस्सगे नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥१०॥
जक्खाइटें भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्य गणावच्छेयगस्स निज्जूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्ज वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तो पच्छा तस्स अहालहुस्सगे नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥११॥
उम्मायपत्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स निज्जूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्ज वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तओ पच्छा अहालहुस्सगे नामं ववहारे पछवियब्वे सिया ॥१२॥
उक्सग्गपत्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स निज्जूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्ज वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तओ पच्छा तस्स अहालहुस्सगे नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥१३॥
साहिगरणं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स, निज्जहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्ज वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तो पच्छा अहालहुस्सगे नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥१४॥
सपायच्छित्तं भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स निज्जूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तो पच्छा तस्स अहालहुस्प्लगे नाम ववहारे पट्टवियत्वे सिया ॥१५॥ .
भत्तपाणपडियाइक्खियं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स निहितए, अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तओ पच्छा अहालहुस्सगे नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥१६॥
__ अट्ठजायं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स निज्जूहित्तए, अगिलाए तस्स करणिज्ज वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तओ पच्छा अहालहुस्सगे नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥१७॥
अणवठ्ठप्पं भिक्खु अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स उवद्यावेत्तए । अणवठ्ठप्पं भिक्खुं गिदिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेयगस्स उवट्ठा वित्तए ॥१८॥ .