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(31) गाय को मारने वाले कसाई को पाप लगता है तो गाय को बचाने वाले को धर्म होगा ही।
चूहे को मारने वाली बिल्ली को पाप लगता है, तो मौत के मुंह से चूहे को बचाने वाले को धर्म होगा ही।
बिल्ली को मारने वाले कुत्ते को पाप लगता है, तो मरती हुई बिल्ली को बचाने वाले को धर्म क्यों नहीं होगा? अवश्य होगा।
बूचड़खाने में पशुओं की कत्ल करने वाले कसाई को पाप लगता है, तो पिंजरा पोल या गौशाला में निराधार पशुओं को पालने वालों को धर्म नहीं तो क्या होगा?
भूखे भिखारी के हाथ से रोटी छीनने वाले को पाप लगता है, तो उसे रोटी देने वाले को धर्म ही तो होगा।
चक्रवर्ती भरत महाराजा की आठ पाट तक के जैन राजाओं ने अयोध्या की समस्त जनता को सदा भोजन करा कर आठों राजा उसी भव में मोक्ष में गए थे। साधू की तरह व्रती या अव्रती श्रावक भी सुपात्र ही हैं।
सोना चाहे बाईस केरेट का हो या चौदह केरेट का या नौ केरेट का आखिर वह है तो सोना ही। इसी तरह जैनी चाहे वह साधू हो, व्रती श्रावक हो या अव्रती श्रावक। ये तीनों सुपात्र ही हैं। .. माता-पिता अव्रती हैं, इसलिए इनकी भक्ति करने वालों को भी यदि पाप लगेगा। तो क्या धर्म माता-पिता को गाली