________________ -RRERecent 9200000000 3333333333333333 नियुक्ति गाथा-4 है। यह एक दृष्टान्त है। दूसरा दृष्टान्त है- जरत्-पट्टशाटिका-पाटनः जरत् जीर्ण-शीर्ण, फटी-पुरानी। & पट्टशाटिका महीन वस्त्र साड़ी। पाटन-फाड़ना। जैसे जीर्ण-शीर्ण, महीन से महीन साड़ी को क्षण में , ही पूरा फाड़ी जा सकता है। किन्तु साड़ी के एक-एक रेशे (तन्तु) पृथक्-पृथक् समय में अलग-अलग है होते हैं। उनका समय भी सूक्ष्मतम है। प्राकृत में आ. हेमचन्द्र द्विवचनस्य बहुवचनम्' (हेमप्राकृत व्याकरण, 3/130) इस सूत्र द्वारा द्विवचन के स्थान पर बहुवचन प्रयोग करने का निर्देश दिया है। इसी प्रकार, 'चतुर्थ्याः षष्ठी' (हैम. व्याकरण- 3/131) इस सूत्र द्वारा चतुर्थी के स्थान पर षष्ठी करने का विधान किया है। इसलिए 'नमः' के योग में नमस्करणीय पदार्थ से संस्कृत में सर्वत्र चतुर्थी विभक्ति होती है, किन्तु प्राकृत में षष्ठी की जाती है, इसीलिए णमो अरिहन्ताणं' आदि में 'अरिहन्त' शब्द से षष्ठी बहुवचन हुआ है। " (हरिभद्रीय वृत्तिः) तावीहावायौ मुहूर्ताध ज्ञातव्यौ भवतः। तत्र मुहूर्तशब्देन घटिकाद्वयपरिमाणः / कालोऽभिधीयते, तस्याध तु मुहूर्तार्धम्।तुशब्दो विशेषणार्यः, किं विशिनष्टि?-व्यवहारापेक्षया : एतद् मुहूर्तार्धमुक्तम्, तत्त्वतस्तु अन्तर्मुहूर्तमवसेयमिति। a (वृत्ति-हिन्दी-) वे ईहा व अपाय (अवाय) अर्धमुहूर्त तक रहने वाले हैं -ऐसा जानें। 1 यहां 'मुहूर्त' शब्द दो घड़ी काल का वाचक है, उसका अर्द्ध काल 'मुहूर्तार्द्ध' है। (गाथा में 'तु', यह शब्द विशेषण (विशेषता को बताने) हेतु प्रयुक्त है। कौन-सी विशेषता बता रहा है? (उत्तर) , * यह सूचित कर रहा है कि व्यवहार-दृष्टि से ही इसे मुहूर्तार्द्ध वाला कहा गया है, वस्तुतः तो " - इसे अन्तर्मुहूर्त रहने वाला समझना चाहिए। विशेषार्थ नन्दी सूत्र (61, सू. 35 ) नियुक्ति में ईहा, अवाय का कालमान अन्तर्मुहूर्त बताया गया है। " व प्रस्तुत गाथा में ईहा और अवाय का कालमान अर्द्धमुहूर्त बताया गया है। हरिभद्रसूरि ने नियुक्ति तथा >> a नंदी सूत्र में सामञ्जस्य स्थापित किया है। उनके अनुसार, व्यवहार की अपेक्षा ईहा और अवाय का , a कालमान अर्द्धमुहूर्त है। वस्तुतः तो अन्तर्मुहूर्त समझना चाहिए। अर्द्धमुहूर्तस्थायी भी अन्तर्मुहूर्त , : (मुहूर्त के भीतर) होता है, इसलिए अर्द्धमुहूर्त कहें या अन्तर्मुहूर्त कहें, कोई विशेष अन्तर नहीं है। " इसीलिए अन्तर्मुहूर्त के भी अनेक तारतम्य-निमित्तक भेद होते हैं। 232223222333333333332 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r) ____55 1