________________ -RRRRRRRRR नियुक्ति गाथा-4 9090020209020200 137) के माध्यम से सप्तमी अर्थ में द्वितीया का भी होना स्वीकार किया है। विभक्ति परिवर्तन की ca प्रक्रिया यह सांकेतिक है, अतः अन्य परिवर्तन भी अनुमत हैं, जैसे-तृतीया के अर्थ में द्वितीया का होना। - 83333333333333333333333333333333333333333333 a (हरिभद्रीय वृत्तिः) इदानीमभिहितस्वरूपाणामवग्रहादीनां कालप्रमाणमभिधित्सुराह (नियुक्तिः) उग्गह इक्कं समयं ईहावाया मुहुत्तमद्धं तु। कालमसंखं संखं च धारणा होइणायवा // 4 // [संस्कृतच्छायाः- अवग्रह एकं समयम् ईहा-अपायौ मुहूर्तान्तस्तु / कालमसंख्यं संख्यं च धारणा भवति ज्ञातव्या // ] . (वृत्ति-हिन्दी-) अवग्रह आदि का स्वरूप बताने के बाद, अब (नियुक्तिकार) उनका a काल-मान बता रहे हैं __(नियुक्ति-अर्थ-) अवग्रह एक समय तक रहता है, ईहा व अपाय-ये तो अर्धमुहूर्त (एक घड़ी) तक रहते हैं, और धारणा संख्येय, असंख्येय (एवं अन्तर्मुहूर्त) काल तक रहती है a -यह जानना चाहिए। ce (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) तत्र अभिहितलक्षणोऽर्थावग्रहो जघन्यो नैश्चयिकः, स खलु एकं समयं व भवतीति संबन्धः। तत्र कालः परमनिकृष्टः समयोऽभिधीयते, स च प्रवचनप्रतिपादितोत्पल« पत्रशतव्यतिभेदोदाहरणाद्जरत्पशाटिकापाटनदृष्टान्ताच्च अवसेयः।तथा सांव्यवहारिकार्थावग्रह व्यञ्जनावग्रहौ तु पृथक् पृथग् अन्तर्मुहूर्त्तमात्रं कालं भवति इति विज्ञातव्यौ / ईहा चावायश्च , ईहावायौ, प्राकृतशैल्या बहुवचनम्, उक्तं च दुव्वयणे बहुवयणं छट्ठीविहत्तीऍ भण्णइ चउत्थी। जह हत्था तह पाया, णमोऽत्यु देवाहिदेवाणं // a [द्विवचने बहुवचनम्, षष्ठीविभक्तौ भण्यते चतुर्थी।यथा हस्तौ तथा पादौ, नमोऽस्तु 7 देवाधिदेवेभ्यः॥] (r)(r)ca@nBR@@ce@@cR99280@CRO900 53 3