________________ Receman Rece नियुक्ति गाथा-2 9 9 9 9 9 9 90 9 RDER (2) 222232222222222222222222222222222222233333333 (नियुक्ति-अर्थ-) संक्षेप में, आभिनिबोधिक ज्ञान के अवग्रह, ईहा, अपाय (अवाय) : 4 और धारणा -इस प्रकार से (इसी क्रम से) चार ही भेदात्मक वस्तु (अर्थात् परस्पर भिन्नता " * रखने वाले और वस्तुरूप प्रकार) होते हैं // 2 // (हरिभद्रीय वृत्तिः) तत्र सामान्यार्थस्याशेषविशेषनिरपेक्षानिर्देश्यस्य रूपादेरवग्रहणम् अवग्रहः, . a तदर्थविशेषालोचनम् ईहा, तथा प्रक्रान्तार्थविशेषनिश्चयोऽवायः। चशब्दः पृथक् पृथक् अवग्रहादिस्वरूप-स्वातन्त्र्यप्रदर्शनार्यः।अवग्रहादीनाम् ईहादयः पर्याया न भवन्तीत्युक्तं भवति। " 4 अवगतार्थविशेषधरणं धारणा।एवकारः क्रमप्रदर्शनार्थः। एव' अनेनैव क्रमेण भवन्ति, चत्वारि, . आभिनिबोधिकज्ञानस्य। भिद्यन्त इति भेदा विकल्पा अंशा इत्यनर्थान्तरम्, त एव वस्तूनि , भेदवस्तूनि / कथम्?, यतो नानवगृहीतमीहते, न चानीहितमवगम्यते, न चानवगतं धार्यत इति।अथवा काक्वा नीयते-एवं भवन्ति चत्वार्याभिनिबोधिकज्ञानस्य भेदवस्तूनि?, 'समासेन', संक्षेपेण अविशिष्टावग्रहादिभावस्वरूपापेक्षया, न तु विस्तरत इति।विस्तरतोऽष्टाविंशतिव भेदभिन्नत्वात्तस्येति गाथार्थः। // (वृत्ति-हिन्दी-) (इन चारों में) समस्त विशेषों (भेदों) की अपेक्षा से रहित एवं : a अनिर्देश्य 'सामान्य' अर्थ के अवग्रहण को 'अवग्रह' कहते हैं। (तदनन्तर) उस अवगृहीत व सामान्य पदार्थ के विशेषों के सम्बन्ध में जो आलोचन (विचार-विमर्श, आन्तरिक) होता है, वह 'ईहा' है। उसके बाद, (ईहित) पदार्थ के विशेषों का निश्चय हो जाना 'अपाय' है। (गाथा : 4 में प्रयुक्त) 'च' पद अवग्रह आदि के पृथक्-पृथक् स्वतन्त्र स्वरूप को सूचित करता है। तात्पर्य यह है कि अवग्रह आदि के ईहा आदि (परस्पर) पर्याय नहीं हैं। अवगत (अर्थात् , निश्चित किये गये) पदार्थ-विशेषों की धृति (धारण- पुनः स्मृति हेतु सुरक्षित रखना) 'धारणा' / . है। यहां 'एव' पद क्रम (के औचित्य) को प्रदर्शित करता है। एव=ही, इस क्रम से ही, अर्थात् // a आभिनिबोधिक ज्ञान के ये चारों भेद (इस) क्रम से ही, होते हैं। जो भिन्न हो जाएं, वे 'भेद' , होते हैं, विकल्प व अंश भेद के ही पर्याय हैं। वे (भेद) ही 'वस्तु' (तात्त्विक स्थितिवाले, न कि ? कोरे काल्पनिक, अपितु यथार्थ) होते हैं। (प्रश्न-) इनका यही क्रम होता है- यह कैसे? . / (उत्तर दे रहे हैं-) चूंकि बिना अवग्रह हुए वस्तु ईहा-विषय नहीं होती, और बिना ईहित हुए / BBCReech@888888888808 43