________________ . -caca cace cacaca श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 0000000 करना / केवल जो ज्ञान -इस अर्थ में दो पदों का समास होकर 'केवल ज्ञान' शब्द निष्पन्न ce हुआ। गाथा में प्रयुक्त 'च' शब्द 'समुच्चय' अर्थ को व्यक्त करता है, अर्थात् यह सूचित करता " & है कि उक्त चार ज्ञानों के अतिरिक्त, पांचवां भी ज्ञान है और वह है- केवलज्ञान / अथवा, . अनन्तर (पूर्व) में कहे गये मनःपर्याय ज्ञान से इसकी समानता को व्यक्त करने वाला ही यह & 'च' पद है, क्योंकि दोनों के स्वामी अप्रमत्त (गुणस्थान, भाव) में रहने वाले यति (मुनि ca आदि) होते हैं और दोनों के विपर्यय ज्ञान नहीं होते- यह साधर्म्य है। यह गाथा का संक्षिप्त + अर्थ पूर्ण हुआ // (हरिभद्रीय वृत्तिः) आह-मतिज्ञान-श्रुतज्ञानयोः कः प्रतिविशेष इति? उच्यते, उत्पन्नाविनष्टायग्राहकं साम्प्रतकालविषयम् मतिज्ञानम्, श्रुतज्ञानं तु त्रिकालविषयम्, उत्पन्नविनष्टानुत्पन्नार्थ ग्राहकमिति। भेदकृतो वा विशेषः, यस्मादवग्रहाद्यष्टाविंशतिभेदभिन्नं मतिज्ञानम्, " ca तथाऽङ्गानङ्गादिभेदभिन्नं च श्रुतमिति।अथवाSSत्मप्रकाशकं मतिज्ञानम्, स्वपरप्रकाशकं च " श्रुतमित्यलं प्रसङ्गेन, गमनिकामात्रमेवैतदिति। अत्राह- एषां ज्ञानानामित्थं क्रमोपन्यासे किं प्रयोजनम् इति, उच्यते, . & परोक्षत्वादिसाधान्मतिश्रुतसद्भावेच शेषज्ञानसंभवात् आदावेव मतिश्रुतोपन्यासः।मतिज्ञानस्य : C पूर्व किमिति चेत्, उच्यते, मतिपूर्वकत्वात् श्रुतस्येति।मतिपूर्वकत्वं चास्य “श्रुतं मतिपूर्वम्" , ca (...व्यनेकद्वादशभेदम्, श्रीतत्त्वार्थे अ. 1 सू. 20) इति वचनात् / तत्र प्रायो / ल मतिश्रुतपूर्वकत्वात्प्रत्यक्षत्व-साधाच्च ज्ञानत्रयोपन्यास इति, तत्रापि कालविपर्ययादि ce साम्यान्मतिश्रुतो पन्यासानन्तर मे वावधे रुपन्यास इति। तदनन्तरं च . छाद्मस्थिकादिसाधान्मनः- पर्यायज्ञानस्य, तदनन्तरं भावमुनिस्वाम्यादिराधात्सर्वोत्तमत्वाच्च केवलस्येति गाथार्थः॥१॥ __ (वृत्ति-हिन्दी-) (शंका-) अच्छा, आप यह बताएं कि मति व श्रुत -इन दो ज्ञानों में , ca क्या अन्तर है? (उत्तर-) अन्तर बता रहे हैं- मतिज्ञान तो उत्पन्न, अविनष्ट (वर्तमान) पदार्थ , CR का (ही) ग्राहक है, किन्तु श्रुतज्ञान तो त्रिकाल (वर्ती पदार्थ) को विषय करता है, और उत्पन्न, . C. विनष्ट (अतीत) या अनुत्पन्न (भावी) पदार्थ को भी विषय करता है (यह एक भेद है)। (अलग अलग) भेदों की दृष्टि से भी इनमें अन्तर है। जैसे- मतिज्ञान के अवग्रह आदि अट्ठाईस भेद - 38 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)