________________ 222222222222222222333333333333323 -aaaacacace श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 90000000 तात्पर्य यह है- भाविनी (भविष्य में होने वाली) वृत्ति को स्वीकार कर जो मङ्गलca सम्बन्धी उपयोग का आधार है, वह बाल (या युवा) आदि का शरीर भी, 'मधुघट' के , & (पूर्वोक्त) न्याय के आधार पर ही 'भव्यशरीर द्रव्य मङ्गल' कहा जाता है। यहां भी 'नो'-शब्द . पूर्ववत् (पूर्ण-निषेध अर्थ का वाचक) है। इसी प्रकार, ज्ञशरीर व भव्यशरीर से अतिरिक्त है ca द्रव्यमङ्गल उस व्यक्ति को कहा जाएगा जो संयम, तप व नियम की क्रिया का अनुष्ठान a करता है और विवक्षित विषय में उपयोग नहीं रखता, उसी तरह जैसे 'आगम से अनुपयुक्त द्रव्यमङ्गल' होता है। और जो शरीर या आत्म-द्रव्य, अतीत में संयम आदि क्रिया की परिणति , से युक्त था, वह ज्ञशरीर द्रव्यमङ्गल की तरह उभय-व्यतिरिक्त (ज्ञशरीर-भव्यशरीर, इन दोनों से अतिरिक्त, नो-आगम) द्रव्यमङ्गल है। इसी प्रकार, जो स्वभाव से शुभ वर्ण, गन्ध आदि & गुण से युक्त हो, जैसे- सुवर्ण-माला आदि, वह भी, भावमङ्गल परिणाम का कारण होने से " (नो-आगम उभय व्यतिरिक्त) द्रव्यमङ्गल है। यहां भी 'नो'-शब्द सर्वनिषेध का वाचक है। इस प्रकार द्रव्यमङ्गल का निरूपण पूर्ण हुआ। (हरिभद्रीय वृत्तिः) भावो विवक्षितक्रियानुभूतियुक्तो हि वै समाख्यातः। सर्वज्ञैरिन्द्रादिवदिहे न्दनादि-क्रियानुभवात् // अस्यायमर्थः-भवनं भावः, स हि वक्तुमिष्टक्रियानुभवलक्षणः सर्वज्ञैः समाख्यातः, , इन्दनादिक्रियानुभवनयुक्तेन्द्रादिवदिति।तत्र भावतो मङ्गलं भावमङ्गलम्, अथवा भावश्चासौ मङ्गलं चेति समासः।तच द्विधा-आगमतो नोआगमतश्च।तत्रागमतो मङ्गलपरिज्ञानोपयुक्तो भावमङ्गलम्। (वृत्ति-हिन्दी-) जैसे इन्दन आदि क्रिया का अनुभव करने वाला 'इन्द्र' होता है उसी // तरह जो विवक्षित क्रिया की अनुभूति से युक्त होता है, उसे सर्वज्ञों ने 'भाव' (निक्षेप) कहा है||4|| " इसका भाव (अर्थ) इस प्रकार है- होना ही भाव है, उसे सर्वज्ञों ने इन्दन (ऐश्वर्य) , ca आदि क्रिया का अनुभव करने वाले इन्द्र (देवराज) आदि की तरह 'विवक्षित क्रिया की 7 & अनुभूति' रूप कहा है। इस रीति से, भाव से जो मङ्गल है, वह भावमङ्गल है। अथवा भाव ही , जो मङ्गल है, वह भावमङ्गल है -इस अर्थ में (भाव व मङ्गल -इन दो पदों का) समास : होकर 'भावमङ्गल' शब्द बना है। वह दो प्रकार का है- आगमतः और नोआगमतः। इनमें 2 'आगमतः भावमङ्गल' वह है जो मङ्गल-सम्बन्धी ज्ञान के उपयोग से युक्त है। - 22 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r) -