________________ cace Acaca caca श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 000000000 (वृत्ति-हिन्दी-) अवधिज्ञान के क्षेत्र से सम्बन्धित प्रमाण द्वार का निरूपण हुआ। ca अब संस्थान-द्वार का व्याख्यान करने हेतु (आगे की गाथा) कह रहे हैं (54) __ (नियुक्ति-अर्थ-) जघन्य अवधिज्ञान 'स्तिबुक' (जलबिन्दु) की आकृति (संस्थान) 7 & का होता है, वह सभी ओर से वृत्ताकार होता है। उत्कृष्ट अवधि का संस्थान कुछ आयताकार होता है। (सर्वथा वृत्त नहीं होता)। अजघन्य-अनुत्कृष्ट (अर्थात् मध्यम अवधिज्ञान) तो क्षेत्र की दृष्टि से अनेक संस्थान वाला होता है। a (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) 'स्तिबुकः' उदकबिन्दुः, तस्येवाकारो यस्यासौ स्तिबुकाकारः, जघन्योऽवधिः। तमेव स्पष्टयन्नाह- 'वृत्तः' सर्वतो वृत्त इत्यर्थः, पनकक्षेत्रस्य वर्तुलत्वात्। तथा उत्कृष्ट आयतः प्रदीर्घः 'किञ्चित्' मनाक् वह्निजीवश्रेणिपरिक्षेपस्य स्वदेहानुवृत्तित्वात्।। तथा 'अजघन्योत्कृष्टश्च' न जघन्यो नाप्युत्कृष्टः, अजघन्योत्कृष्ट इति।चशब्दोऽवधारणे, ca अजघन्योत्कृष्ट एव। क्षेत्रतोऽनेकसंस्थानः' अनेकानि संस्थानानि यस्यासावनेकसंस्थान इति / & गाथार्थः // 14 // (वृत्ति-हिन्दी-) (व्याख्या-) स्तिबुक का अर्थ है- जल की बूंद, उसके आकार की 2 तरह आकार वाला जघन्य अवधि होता है। इसी को स्पष्ट करते हुए कहा गया है- वृत्त, 4 & अर्थात् वह सर्वथा गोल है, क्योंकि (उसे गाथा-30 में पनक जीव की अवगाहना वाला बताया , & गया है, और) पनक जीव का क्षेत्र वर्तुल (वृत्ताकार) होता है। और उत्कृष्ट (अवधिज्ञान) कुछ, दीर्ध आयताकार होता है (सर्वथा वृत्त नहीं होता है, क्योंकि गाथा-31 में की गई निरुपणा के . 4 अनुसार) वह्नि जीवों की सूची या श्रेणी को (अवधिधारी के आपादमस्तक शरीर तक) घुमाने , से उसकी अपने देह के जैसी अनुवृत्ति (आकार प्राप्ति) हो जाती है। और अजघन्योत्कृष्ट, 1 << यानी न जघन्य और न ही उत्कृष्ट (अर्थात् मध्यम अवधि)। 'च' शब्द अवधारण ('ही' अर्थ) " & को व्यक्त करता है, अतः अर्थ फलित होगा- मध्यम अवधि ही, क्षेत्र की दृष्टि से 'अनेकसंस्थान' " & होता है, अर्थात् अनेक प्रकार के आकार वाला हुआ करता है। यह गाथा का अर्थ पूर्ण . & हुआ ||54 // 333333333333333333333333333323333333333333333 - 238 (r)(r)(r)(r)RB0BR008cR9082cR@@