________________ Racecacee नियुक्ति-गाथा-46 PORRORRORE इदानीं भवप्रत्ययावधिस्वरूपमुच्यते।सच सुरवारकाणामेव भवति।तत्र प्रथममल्प << इतिकृत्वा नारकाणां प्रतिपाद्यत इति।अत आह-क्षेत्रतो 'गव्यूतं' परिछिनत्ति जघन्येनावधिः। क्व? नरान् कायन्तीति नरकाः, कै गैरै शब्दे इतिधातुपाठगत् नरान् शब्दयन्तीत्यर्थः। इह च / नरका आश्रयाः, आश्रयायिणोरभेदोपचारात्।नरकेषुतुयोजनमुत्कृष्ट इत्याह।एतदुक्तं भवति नारकाधारो योऽवधिः, असौ उत्कृष्टो योजनं परिछिनत्ति क्षेत्रतः।इत्थं क्षेत्रानुसारेण द्रव्यादयस्तु ce अवसेया इति गाथार्थः // 46 // (वृत्ति-हिन्दी-) यहां आहार व तैजस शरीर के कथन से औदारिक, वैक्रिय, आहारक व तैजस द्रव्यों का भी ग्रहण किया जाता है। आहार व तेज -इनका लाभ, लाभ, प्राप्ति, ca उपलब्धि, परिच्छित्ति -ये एक ही अर्थ के वाचक हैं। तात्पर्य यह है- तिर्यंच योनियों में। यहां , & योनि व योनि वाले -इनमें अभेद का उपचार (सम्बन्ध) मान कर कथन किया गया है। अतः / co: 'तिर्यश्चयोनियों में इसका अर्थ होगा- तिर्यञ्च योनि वाले प्राणियों में रहने वाला जो अवधि ज्ञान है, उसे द्रव्य दृष्टि से उत्कृष्टतया आहारक व तैजस द्रव्य का (साथ ही औदारिक व, 4 वैक्रिय द्रव्य का भी) ज्ञाता कहा गया है। इस प्रकार, द्रव्य के अनुसार ही क्षेत्र, काल व भाव : रूप से ज्ञेय विषयों को जान लेना चाहिए। - अब भवप्रत्ययिक (जन्मजात) अवधिज्ञान के स्वरूप का निरूपण कर रहे हैं। वह 6 (भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान) देवों व नारकों को ही होता है। इनमें पहले नारकों के ही 4 अवधिज्ञान का निरूपण कर रहे हैं, क्योंकि (देवों की तुलना में) वह अल्प होता है। इसलिए व कहा- जघन्य अवधिज्ञान क्षेत्र की दृष्टि से 'गव्यूत' (गाऊ) क्षेत्र प्रमाण को जानता है। यह है व ज्ञान कहां (किनमें) होता है? नरकों में। कै, गै, रै-ये धातुएं शब्द (चिल्लाना, पुकारना) , a अर्थ वाली हैं। जो नरों को (सहायतार्थ) पुकारते हैं, वे नरक यानी नारकी जीव हैं। (नारकी , आश्रयी, निवासी हैं, नरक उनके आश्रय हैं। आश्रय व आश्रयी में अभेद उपचार करते हुए) यहां नरक पद से, उन नारकियों के आश्रयभूत क्षेत्र गृहीत हैं। इन नरक क्षेत्रों में उत्कृष्ट अवधिज्ञान का क्षेत्र है- योजन। तात्पर्य यह है कि नारकों का आधारभूत (उनमें रहने वाला), जो अवधिज्ञान है, वह उत्कृष्टतया क्षेत्र की दृष्टि से योजन (तक क्षेत्र) को देख लेता है। इसी , के प्रकार क्षेत्रानुसार द्रव्य आदि की दृष्टि से भी समझ लेना चाहिए। यह गाथा का अर्थ पूर्ण , हुआ 146 // 1222222222222232223333333333333333333333333333 828808802880000000000000 225