________________ cace ca Caca cace श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 3000200 . जानता है'- यह कथन अवधि के क्षेत्र व काल -इन दोनों का विशेषण है। तात्पर्य यह है कि लोक-परिमित असंख्येय खण्ड एवं उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी काल खण्ड -ये दोनों क्षेत्र व . काल 'रूपी द्रव्य' होने पर ही अवधि के ज्ञेय होते हैं, न कि मात्र क्षेत्र व काल के रूप में, , क्योंकि वे (क्षेत्र व काल) तो अरूपी होते हैं, और अवधिज्ञान 'रूपी' द्रव्य को ही विषय करता है। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ ||45 / / (हरिभद्रीय वृत्तिः) & तावत् पुरुषानधिकृत्य क्षायोपशमिकः खलु अनेकप्रकारोऽवधिमुक्तः। साम्प्रतं C तिरश्चोऽधिकृत्य प्रतिपिपादयिषुराह . (नियुक्तिः) आहारतेयलंभो, उक्कोसेणं तिरिक्खजोणीसु। गाउय जहण्णमोही, नरएसु उ जोयणुक्कोसो॥४६॥ [संस्कृतछायाः- आहारतैजसलम्भः उत्कर्षेण तिर्यग्योनिषु / गव्यूतं जघन्यमवधिः नरकेषु च ca योजनमुत्कृष्टम् // (वृत्ति-हिन्दी-) यहां तक मनुष्यों को दृष्टि में रख कर विविध प्रकार के क्षायोपशमिक a अवधि का निरूपण हुआ। अब तिर्यञ्चों को दृष्टि में रख कर 'अवधि' के प्रतिपादन हेतु (आगे " a गाथा) कह रहे हैं (46) (नियुक्ति-अर्थ-) तिर्यंच योनियों में (होने वाला) अवधिज्ञान उत्कृष्टतया आहारक, . तैजस (व औदारिक, वैक्रिय -इन) को ग्रहण करता है। नरकों में (यह) अवधिज्ञान जघन्यतया , गव्यूत (वस्तुतः अर्धगव्यूत) और उत्कृष्टतया एक योजन तक का हुआ करता है। (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) तत्राहारतेजोग्रहणाद् औदारिकवैक्रियाहारकतेजोद्रव्याणि गृह्यन्ते। . ततश्चाहारश्च तेजश्च आहारतेजसी तयोर्लाभ इति समासः। लाभः प्राप्तिः / a परिच्छित्तिरित्यनन्तरम् / इदमत्र हृदयम्-तिर्यग्योनिषु योनियोनिमतामभेदोपचारात्, तिर्यग्योनिकसत्त्वविषयो योऽवधिः, तस्य द्रव्यतः खलु आहारतेजोद्रव्यपरिच्छेद उत्कृष्टत उक्तः। " इत्थं द्रव्यानुसारेणैव क्षेत्रकालभावाः परिच्छेद्यतया विज्ञेया इति। (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)RO900 2222222222222222222 224