________________ -RRRRRRRRce 200900900200 822222222222222222223333333333333333333333332 नियुक्ति गाथा-44 (नियुक्तिः) एगपएसोगाढं परमोही लहइ कम्मगसरीरं। लहइय अगुख्यलघुअं, तेयसरीरे भवपुहुत्तं // 4 // [संस्कृतच्छायाः- एकप्रदेशावगाढं परमावधिः लभते कार्मणशरीरम् / लभते च अगुरुकलघुकं , 6 तैजसशरीरे भवपृथक्त्वम् // ] (वृत्ति-हिन्दी-) (शंका-) जघन्य अवधिज्ञान के प्रमेय का प्रतिपादन करते हुए यह है 4 कहा गया था कि अवधिज्ञान गुरुलघु व अगुरुलघु द्रव्य को ही जानता-देखता है, समस्त cm द्रव्य को नहीं। इसी प्रकार मध्यम अवधिज्ञान का प्रमेय भी अंगुल व आवलिका के असंख्येय " & भाग रूप बताया गया, अतः वह भी समस्त द्रव्य को नहीं जानता, क्योंकि वह (उक्त) नियत , क्षेत्र में स्थित द्रव्यों का ही दर्शन करता है। इसलिए उत्कृष्ट अवधिज्ञान का आलम्बन (विषय) : असमस्त द्रव्य है या नहीं? इस पर (इसी जिज्ञासा के समाधान हेतु) आगे कह रहे हैं _ (44) (नियुक्ति-अर्थ-) परमावधि (ज्ञान-सम्पन्न) एक प्रदेश में स्थित (परमाणु से लेकर है अनन्त प्रदेशी स्कन्धों तक) द्रव्यों एवं कार्मण शरीर, एवं अगुरुलघु (व गुरुलघु भी) द्रव्यों को . देखता-जानता है। तैजस शरीर को विषय करने पर (वह अवधि) भवपृथक्त्व (दो से लेकर . नौ भवों तक) को देखता है। (हरिभद्रीय वृत्तिः) . (व्याख्या-) प्रकृष्टो देशः प्रदेशः, एकश्चासौ प्रदेशश्चैकप्रदेशः, तस्मिन् अवगाटम्, अवगाटमिति व्यवस्थितम्, एकप्रदेशावगाढं परमाणुद्वयणुकादि द्रव्यम् ।परमश्चासाववधिश्च / परमावधिः उत्कृष्टावधिरित्यर्थः। 'लभते' पश्यति। अवध्यवधिमतोरभेदोपचारादवधिः ca पश्यतीत्युक्तम्।तथा कार्मणशरीरं च लभते। a (वृत्ति-हिन्दी-) (व्याख्या-) प्रदेश यानी प्रकृष्ट देश (भाग), एक जो प्रदेश, वह है- 1 एकप्रदेश, उसमें अवगाढ़ यानी व्यवस्थित (व्याप्त)। परमाणु, व्यणुक आदि (से लेकर a अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक) द्रव्य ‘एकप्रदेशावगाढ़' होता है। परमावधि का अर्थ है- परम - यानी उत्कृष्ट अवधि, अर्थात् उत्कृष्ट अवधिज्ञान / लभते यानी देखता है। अवधिज्ञान व ज्ञाता में : अभेद उपचार कर 'अवधिज्ञान देखता है' -यह कथन है (जिसका तात्पर्य है- अवधिज्ञानी " देखता है)। वह कार्मण शरीर को भी देखता है। (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r) &&&&&&&&&&&&&&&&&&& 219