________________ cace cecace cece श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 90099 90 90 900| इसका सम्बन्ध व्यवहित है (अर्थात इसका सम्बन्ध बीच के पदों को छोड कर आगे से है।।। ce किस प्रकार (सम्बन्ध है)? (उत्तर-) 'च' का सम्बन्ध 'सेण्टितादि' के साथ है। (अर्थात् , हमारी विवक्षा यह है कि और सेण्टितादि (सीटी बजाना आदि) अनक्षर श्रुत हैं' / निःसिधित . CM यानी निःसिङ्घन। (नाक का मल निकालना)। अनुस्वार यानी अनुस्वार तुल्य, अर्थात् / CM अनक्षर भी यदि हुंकार आदि तरह अनुस्वार की तरह (या सानुनासिक) बोला जाय तो वह 1 cm अनक्षर श्रुत है। ये उच्छ्वसित आदि भी अनक्षरश्रुत हैं। सेण्टन यानी मुख से सीटी की / ce आवाज निकालना, वह भी अनक्षर श्रुत है। उच्छ्वसित (श्वास खींचना, निकालना) आदि " द्रव्यश्रुत मात्र हैं, क्योंकि ये ध्वनि रूप है। अथवा श्रुत-विज्ञान से उपयुक्त (श्रुतज्ञान में प्रवृत्त) " a प्राणी का सारा ही (संकेतपरक) व्यापार 'श्रुत' है, क्योंकि वह शारीरिक संकेत रूप व्यापार) उस (श्रुत) रूप में परिणत हो जाता है। ca (हरिभद्रीय वृत्तिः) आह-यद्येवं किमित्युपयुक्तस्य चेष्टापि श्रुतं नोच्यते? येनोच्छ्वसिताद्येवोच्यते इति। " ca अत्रोच्यते, रूढ्या, अथवा श्रूयत इति श्रुतम्, अन्वर्थसंज्ञामधिकृत्य उच्छ्वसिताद्येव श्रुतमुच्यते, . न चेष्टा, तदभावादिति।अनुस्वारादयस्तु अर्थगमकत्वादेव श्रुतमिति गाथार्थः। . (शंका-) यदि ऐसी (उपर्युक्त) बात है तो (श्रुतज्ञान) उपयोग-युक्त व्यक्ति की चेष्टा को , & ही श्रुत क्यों नहीं कह देते, क्योंकि चेष्टा से ही तो उच्छ्वसित आदि उच्चरित होते हैं? यहां . CM उत्तर दे रहे हैं- रूढ़ि से या जो सुना जाता है, वह श्रुत है -इस अन्वर्थसंज्ञा के आधार पर 4 उच्छ्वास आदि को ही श्रुत कहा जाता है, चेष्टा को नहीं, क्योंकि उसमें श्रवणयोग्यता का 8 अभाव है। अनुस्वार आदि में तो अर्थप्रतिपादक होने से 'श्रुत' रूपता है ही। यह गाथा का 4 (शाब्दिक) अर्थ हुआ। विशेषार्थ यह गाथा नन्दी सूत्र (चतुर्थ प्रकरण, परोक्षश्रुतज्ञान, सू. 60) में भी निर्दिष्ट है। जीव की जो " & चेष्टाएं घ्वन्यात्मक हैं और जो सांकेतिक अर्थ को व्यक्त करने की क्षमता भी रखती हैं, वे ही यहां - & अनक्षर श्रुत मानी गयी हैं- ऐसा नियुक्तिकार का अभिमत प्रतीत होता है। यदि कोई जमीन में डंडा ce मार कर ध्वनि करे तो उसका यहां ग्रहण नहीं है, हालांकि ध्वन्यात्मक कोई न कोई संकेत उससे हो / ही सकता है। (उक्त ध्वनि जो होती है, वह डंडे के भूमि पर होने वाले आघात से है, न कि मात्र कायिक चेष्टा से) - 154 -888888888888888888888888888888888888888.8 (r)(r)(r)(r)(r)(r)8890@cR98080888909