________________ m ca cace ca ca ca ca श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) n n n n n n n - (शंका-) पहले अवग्रह आदि के निरूपण में 'अर्थानामवग्रहः' इत्यादि (तीसरी / & नियुक्ति गाथा आदि के) रूप में इन प्रकृतियों का प्रदर्शन (स्पष्टीकरण) कर ही दिया गया है, . फिर यहां पुनः उनका निरूपण क्यों किया जा रहा है? उत्तर दे रहे हैं- पहले सूत्र में इन प्रकृतियों का कथन तो किया गया है, किन्तु संख्या-नियम के साथ नहीं कहा गया है, यहां . संख्या-नियम के साथ (अर्थात् उनकी संख्या अट्ठाईस है, सत्ताईस नहीं, उनतीस भी नहीं है ce है- इस दृष्टि से) प्रतिपादन किया गया है, इसलिए कोई विरोध वाली बात नहीं है। ca (हरिभद्रीय वृत्तिः) इदं च मतिज्ञानं चतुर्विधम्-द्रव्यतः क्षेत्रतः कालतो भावतश्च।तत्र द्रव्यतः सामान्यादेशेन CA मतिज्ञानी सर्वद्रव्याणि धर्मास्तिकायादीनि जानीते, न विशेषादेशत इति।एवं क्षेत्रतो लोकालोकम्, & कालतः सर्वकालम्, भावतस्तु औदयिकादीन् पञ्च भावानिति, सर्वभावानां चानन्तभागमिति।। (वृत्ति-हिन्दी-) यह मतिज्ञान चार प्रकार है- द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतः और भावतः।। 8 इनमें द्रव्यतः (द्रव्य-दृष्टि से), अर्थात् द्रव्य-सामान्य-अपेक्षा से मतिज्ञानी धर्मास्तिकाय आदि. & समस्त द्रव्यों को जानता है, न कि 'विशेष' (पर्याय) की दृष्टि से (अर्थात् वह सभी पर्यायों को ce नहीं जानता, कुछ ही पर्यायों को जानता है, अन्यथा सर्वज्ञ से अन्तर क्या रह जाएगा?)। << इसी प्रकार, क्षेत्र की दृष्टि से (धर्मास्तिकायादि के आधार) लोक और अलोक (मात्र आकाश) को जानता है। काल की दृष्टि से सभी (अतीत, वर्तमान व भावी -इन तीन) कालों को जानता है। भाव की दृष्टि से औदयिक आदि पांच भावों को जानता है, अथवा सभी पर्यायों के / 0 अनन्तवें भाग को जानता है ||13-15 // BBBBBBBBB 33 333333333333333333333333333333333333333333333 a विशेषार्थ मतिज्ञान की ज्ञेय वस्तु का प्रतिपादन जो यहां किया गया है, वह भगवती सूत्र (8/2/184) के अनुसार ही है। वहां ज्ञेय वस्तु के चार प्रकार बताए गये हैं- द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव / इन चतुर्विध ज्ञेय के आधार पर मतिज्ञान के विषय को स्पष्ट किया गया है। __ आभिनिबोधिकज्ञानी सर्वद्रव्य, सर्वक्षेत्र, सर्वकाल और सर्वभाव को जानता है।आभिनिबोधिक ज्ञान और श्रुतज्ञान परोक्ष ज्ञान हैं। परोक्ष ज्ञान के द्वारा सूक्ष्म, दूरस्थ और व्यवहित विषय को नहीं जाना जा सकता, इसीलिए 'सामान्यादेश' से जानने का निरूपण किया गया है। 140 (r)(r)(r)(r)(r)cR990888888@0090880808.