________________ -RRRRRecace ce 999999999999999 23333333333333 नियुक्ति गाथा-9 प्रज्ञापना (ग्यारहवां पद, तथा उसकी मलयगिरिवृत्ति) में जो निरूपण प्राप्त है, उसे पाठकों के हितार्थ / a यहां प्रस्तुत करना अप्रासंगिक नहीं होगा। आराधनी व विराधनी भाषाएं- सत्या, सत्यामृषा, मृषा व असत्यमृषा -इन चारों में कुछ 'आराधनी' हैं तो कुछ 'विराधनी'। जिसके द्वारा मोक्षमार्ग की आराधना की जाए, वह आराधनी / भाषा है। किसी भी विषय में शंका उपस्थित होने पर वस्तुतत्त्व की स्थापना की बुद्धि से जो 8. सर्वज्ञमतानुसार बोली जाती है, जैसे कि आत्मा का सद्भाव है, वह स्वरूप से सत् है, पररूप से असत् " & है, द्रव्यार्थिक नय से नित्य है, पर्यायार्थिक नय से अनित्य है, इत्यादि रूप से यथार्थ वस्तुस्वरूप का , कथन वाली होने से आराधनी है। जो आराधनी हो, उस भाषा को सत्याभाषा समझनी चाहिए। जो , विराधनी हो, वह मृषा है, अर्थात् –जिसके द्वारा मुक्तिमार्ग की विराधना हो, वह विराधनी भाषा है। 1 विपरीत वस्तुस्थापना के आशय से सर्वज्ञमत के प्रतिकूल जो बोली जाती है, जैसे- आत्मा नहीं है, . a अथवा आत्मा एकान्त नित्य है या एकान्त अनित्य है, इत्यादि। अथवा जो भाषा सच्ची होते हुए भी " परपीड़ा-जनक हो, वह भाषा विराधनी है। इस प्रकार रत्नत्रयरूप मुक्तिमार्ग की विराधना करने , वाली जो हो, वह भी विराधनी है। विराधनी भाषा को मृषा समझना चाहिए।जो आराधनी-विराधनी , & उभयरूप हो, वह सत्यामृषा- है, अर्थात् जो भाषा आंशिक रूप से आराधनी और आंशिक रूप से " a विराधनी हो, वह आराधनी-विराधनी कहलाती है। जैसे- किसी ग्राम या नगर में पांच बालकों का " a जन्म हुआ, किन्तु किसी के पूछने पर कह देना 'इस गांव या नगर में आज दसेक बालकों का जन्म , हुआ है।' 'पांच बालकों का जो जन्म हुआ' उतने अंश में यह भाषा संवादिनी होने से आराधनी है, .. a किन्तु पूरे दस बालकों का जन्म न होने से उतने अंश में यह भाषा विसंवादिनी होने से विराधनी है। " * इस प्रकार स्थूल व्यवहारनय के मत से यह भाषा आराधनी-विराधनी हुई। इस प्रकार की भाषा 2 'सत्यामषा' है। जो न आराधनी हो. न विराधनी, वह असत्यामषा-जिस भाषा में आराधनी के लक्षण भी घटित न होते हों तथा जो विपरीतवस्तुस्वरूप कथन के अभाव का तथा परपीड़ा का कारण न होने से जो भाषा विराधनी भी न हो तथा जो भाषा आंशिक संवादी और आंशिक विसंवादी भी न , a होने से आराधन-विराधनी भी न हो, ऐसी भाषा असत्यामृषा समझनी चाहिए। ऐसी भाषा प्रायः " a आज्ञापनी या आमंत्रणी होती है, जैसे- मुने! प्रतिक्रमण करो -ऐसा कहना। a इन भाषाओं के विविध प्रकारों का निरूपण इस प्रकार है- सत्या भाषा के 10 भेद हैं- (1) . जनपदसत्या, (2) सम्मतसत्या, (3) स्थापनासत्या, (4) जामसत्या, (5) रूपसत्या, (6) प्रतीत्यसत्या, (7) : * व्यवहारसत्या, (8) भावसत्या, (9) योगसत्या, (10) औपम्यसत्या। इनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है- " (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)cR9900 87 -