________________ -RRRRRRRRE ඟ ග ග ග ග ග ග ග ග .. ... 22223333333333333333333333333 - नियुक्ति गाथा-5 (हरिभद्रीय वृत्तिः) - आह- यबद्धं गन्धादि तत् स्पृष्टं भवत्येव, अस्पृष्टस्य बन्धायोगात्, ततश्च // स्पृष्टशब्दोच्चारणं गतार्थत्वादनर्थकमिति।उच्यते, सर्वश्रोतृसाधारणत्वाच्छास्त्रारम्भस्यायमदोष , इति।त्रिप्रकाराश्च श्रोतारो भवन्ति-केचिद् उद्घाटितज्ञाः, केचित् मध्यमबुद्धयः, तथाऽन्ये , 4 प्रपञ्चितज्ञा इति।तत्र प्रपञ्चितज्ञानाम् अनुग्रहाय गम्यमानस्याप्यभिधानमदोषायैव।अथवा , व विशेषणसमासाङ्गीकरणाददोषः, स्पृष्टं च तद्बद्धं च स्पृष्टबद्धम्, तत्र स्पृष्टं गन्धादि विशेष्यम्, . a बद्धमिति च विशेषणम्। (वृत्ति-हिन्दी-) (शंका-) जो भी ‘बद्ध' होता है, वह तो 'स्पृष्ट' होता ही है, क्योंकि 22 . स्पृष्ट हुए बिना बन्ध नहीं होता। इसलिए (बद्ध शब्द से ही) स्पृष्ट होने का अर्थ व्यक्त हो जाने " G के कारण स्पृष्ट शब्द का उच्चारण (प्रयोग) यहां निरर्थक ही है (अर्थात् बद्धस्पृष्ट की जगह " & 'बद्ध' इतना ही कह देना चाहिए था)। उत्तर दे रहे हैं- शास्त्र का निर्माण (या उपदेश) सभी से तरह के श्रोताओं को दृष्टि में रखकर किया जाता है, अतः उक्त दोष नहीं टिकता। क्योंकि , श्रोता तीन प्रकार के होते हैं- कुछ तो बोलते ही (तुरन्त) समझने वाले (तीव्र बुद्धि) होते हैं, . कुछ मध्यमबुद्धि वाले होते हैं, और बाकी लोग विस्तार से बताने पर समझते हैं। इनमें , विस्तार से बताने पर समझ सकने वाले लोगों पर अनुग्रह करते हुए जो (साधारणतया) , क स्पष्ट होती है, उस बात को भी कह देना कोई दोष नहीं होता। अथवा यहां 'विशेषण समास' >> a (कर्मधारय समास) को स्वीकारने से भी, दोष का अभाव (निराकरण) हो जाता है। जो स्पृष्ट . a हो और (वही) बद्ध हो (वह बद्ध-स्पृष्ट है)। यहां 'स्पृष्ट' (यह विशेषण है, उस) के विशेष्य / हैं- गन्ध आदि, 'बद्ध' पद भी उन (गन्ध) आदि का विशेषण है। a (हरिभद्रीय वृत्तिः) आह- एवमपि स्पृष्टग्रहणमतिरिच्यते, यस्माद्यबद्धं न तत्स्पृष्टत्वव्यभिचारि। : उभयपदव्यभिचारे च विशेषणविशेष्यभावो दृष्टये यथा नीलोत्पलमिति, न चेह उभयपदव्यभिचारः। , * अत्रोच्यते, नैष दोषः, यस्मादेकपदव्यभिचारेऽपि विशेषणविशेष्यभावो दृष्टः, यथा अब्दव्यं पृथिवी , द्रव्यमिति।भावना-अब् द्रव्यमेव, न द्रव्यत्वं व्यभिचरति, द्रव्यं पुनरब चानब् चेति व्यभिचारि, .. // अथ च विशेषणविशेष्यभाव इति। -333332222222222 890@ @ @cR@ @ @ @cRO9000@RO900 61 2