________________
अपनी आत्मा इन कर्मों के जटिल बन्धनों से जब मुक्त बनेगी तब उसमें रहे हुए 1. अनंत ज्ञान ( जगत के तमाम पदार्थों के भूत-भविष्य और वर्तमान में रही हुई अनंत पर्यायों को जिसके माध्यम से जाना जाय वह ज्ञान ) 2. अनंत दर्शन 3. वीतराग भाव 4. अनंत सुख 5. अक्षयस्थिति 6. अरूपीपना 7. अगुरुलघुपना 8. अनंत शक्ति - ये आठों गुण प्रगट हो जायेंगे.... यूँ . देखा जाय तो चार घातिकर्मों का नाश कर जब आत्मा केवलज्ञानी बन जाती है तब ही चार गुण तो प्रगट हो जाते हैं .... और शेष चार अघाति कर्मों का क्षय करने पर दूसरे चार प्रगट हो जाते हैं ..... इस प्रकार आत्मा जब कर्मों से सर्वथा मुक्त बनकर सिद्धावस्था को प्राप्त करती हैं, तब उसमें सदा काल के लिये आठों गुण मौजूद रहते हैं।
कर्म के कारण आत्मा के ये आठों गुण दबे हुए रहते हैं, अत: संसारी आत्मा को सभी पदार्थों का संपूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होता है। अनंत सुख का अनुभव नहीं होता है।
दुर्घटनाएँ क्यों ?
अभी-अभी एक प्लेन क्रेश हुआ था, जिसमें एक छोटा-सा बालक ही जीवित रह पाया, शेष सभी यात्रिकों ने मौत के दरवाजे खटखटाये ........ऐसा क्यों हुआ ? 'द अनसिंकेबल टाइटेनिक' (Titanic) बर्फ की पहाड़ी ( ग्लेशियर) की टक्कर खाकर समुद्र में डूब गया। उसको बनाने वाले ने तो छाती ठोक कर कहा था कि यह जहाज अपने आप में आला दर्जे का है..... किसी भी हालत में डूबेगा नहीं...। परन्तु हाय ! उसने तो अपनी प्रथम यात्रा (Maiden Voyage) में ही जलसमाधि ले ली।
अफ्रिका के टेनेराइफ शहर में 28 मार्च 1969 में लोस रोड्ज एयरफिल्ड के ऊपर दो जम्बोजेट विमान आपस में भीड़
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 8
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org