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गये....उस पर सवार 620 यात्रिकों को जीवन से हाथ धोना पड़ा... उसमें कारण कौन ? क्या कंट्रोल टावर की भूल ? नहीं.... नहीं... कंट्रोल टॉवर ने तो स्वस्थ होकर ही ऑर्डर दिया था 'जम्बो टेक ऑफ'.....हाँ, नंबर कहना भूल गया तो दोनों ने एक ही साथ अपने रन-वे पर दौड़ना शुरू कर दिया.... धुम्मस में पता न चला और जब पता चला तब तक तो काफी देर हो चुकी थी....... बेचारा पायलेट काफी सतर्क था फिर भी इस अनहोनी को टाल नहीं सका और अचरज तो तब होता है जब 674 यात्रिकों में से 54 यात्रिक जिंदा बाहर निकलते हैं..... आखिर ऐसा क्यों ?
बाह्य दृष्टि से तो कई कारण हो सकते हैं.... जैसे कि कंट्रोल टॉवर नंबर कहना भूल गया ..... परन्तु वह उसी दिन क्यों भूला ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है..... जैनदर्शन के कर्म सिद्धांत के पास इसकी उत्तम चाबी है.... लाजवाबी जवाब है.....कर्म के उदय के कारण ही टॉवर की भूल हुई 620 का आयुष्य कर्म उसी दिन सोपक्रमी या निरूपक्रमी पूरा हुआ, इसीलिये उन्हें मौत की मेजबानी माननी पड़ी, अन्य 54 बाल-बाल बच गये।
यदि हर जगह हम बाह्य कारणों को ही महत्त्व देते रहेंगे तो सुनिये जापान का किस्सा.... वैसे मेकेनिकल टेक्नोलॉजी में जापान बिनहरिफ माना जाता है..... 1923 में टोकियो शहर में ही भयंकर • भूकंप हुआ और एक लाख चालीस हजार वृद्ध, नौजवान देखते ही देखते धरती में समा गये.... सुपर टेक्नोलॉजी हाथ मलते रह गई..... ईराक के साथ वर्षों से संघर्षरत इस्लाम के कट्टरपंथी ईरान में सन् 1990 में छब्बीस हजार मनुष्य, मेक्सिको और रशिया के भूकंप में लाखों लोग मौत के निर्दयी दाँतों में पीसे गये.... कौन है
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 9
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